जनसुनवाई में मिला प्रकल्प को समर्थन, लेकिन वर्धा नदी के जलस्तर व प्रदूषण को लेकर जताई गई चिंता
घुग्घुस के समीप बेलसनी-मुर्सा गांव में प्रस्तावित 432 करोड़ रुपये की लागत वाले 30 मेगावाट के मिलियन पावर और स्टील प्लांट को लेकर शुक्रवार सुबह 11 बजे महामाया कोल वशरीज के सामने फुएल्को रेलवे साइडिंग के पास जनसुनवाई का आयोजन किया गया। यह जनसुनवाई उप जिलाधिकारी नितिन व्यवहारे, निवासी उप जिलाधिकारी संजय पाटिल और चंद्रपुर प्रदूषण नियंत्रण विभाग के उमाशंकर भहदुले की उपस्थिति में आयोजित की गई।
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इस जनसुनवाई में म्हातारदेवी, शेणगाव, बेलसनी, मुर्सा, येरूर, वाढ, उसगांव सहित कई गांवों के ग्रामीण, किसान, सामाजिक कार्यकर्ता और विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। जनसुनवाई के दौरान जहां एक ओर प्रकल्प का स्वागत किया गया, वहीं दूसरी ओर क्षेत्र में संभावित प्रदूषण और घटते जलस्तर को लेकर चिंता भी व्यक्त की गई।
स्थानीय रोजगार और मुआवज़े का आश्वासन
मिलियन स्टील प्लांट के अधिकारियों की ओर से जनसुनवाई में प्रकल्प के प्रबंधन अधिकारी अखलेश राय ने जवाब देते हुए कहा कि इस योजना के अंतर्गत प्राथमिकता स्थानीय किसानों और युवाओं को दी जाएगी। उन्होंने कहा कि जिन किसानों की जमीन इस परियोजना के लिए अधिग्रहित की जाएगी, उन्हें मुआवज़ा सरकारी मापदंडों के अनुसार दिया जाएगा। साथ ही प्लांट के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य और सीएसआर के तहत विभिन्न सामाजिक उपक्रम भी चलाए जाएंगे। प्रकल्प के निर्देशक मोहित अग्रवाल और प्रबंधक निकेश भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
प्रदूषण और वर्धा नदी पर निर्भरता बनी चिंता का विषय
जनसुनवाई में यह बात विशेष रूप से उभरकर सामने आई कि यह पहली बार था जब केवल मिलियन स्टील प्लांट ही नहीं, बल्कि अन्य उद्योगों के प्रतिनिधि भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं ने मिलकर यह आवाज उठाई कि इस क्षेत्र की जीवनदायिनी वर्धा नदी पहले से ही कोयला खदानों, सीमेंट और स्टील उद्योगों के अत्यधिक जल उपयोग से प्रभावित हो रही है। उन्होंने प्लांट प्रबंधन से अपील की कि वे जलस्तर के संरक्षण को लेकर ठोस योजना बनाएं।
बांध निर्माण की मांग
चंद्रपुर एमआईडीसी एसोसिएशन के अध्यक्ष मधुसूदन रूंगटा ने चंद्रपुर प्रदूषण नियंत्रण विभाग के समक्ष क्षेत्र में लगातार घटते जलस्तर को लेकर चिंता जताई। उन्होंने जिला प्रशासन से वर्धा नदी के वढा-धानोरा क्षेत्र में एक बांध निर्माण करने की मांग की ताकि जल की उपलब्धता बनी रहे और भविष्य में औद्योगिक तथा घरेलू आवश्यकताएं पूरी हो सकें।
शांतिपूर्ण माहौल में सम्पन्न हुई जनसुनवाई
हालांकि सवाल-जवाब के दौर में कई मुद्दों पर तीखी चर्चा हुई, लेकिन समापन शांतिपूर्ण वातावरण में हुआ। सभी पक्षों ने यह सहमति जताई कि उद्योगों के आने से जहां क्षेत्र के युवाओं को रोजगार मिलेगा, वहीं संबंधित पक्षों की जिम्मेदारी है कि वे पर्यावरण और जल संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
432 करोड़ की लागत से स्थापित होने जा रहा मिलियन स्टील प्लांट एक ओर क्षेत्रीय विकास, रोजगार और औद्योगिकीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है, तो वहीं जल संकट और पर्यावरणीय संतुलन की चुनौतियाँ इसे एक गंभीर जिम्मेदारी भी बनाती हैं। अब देखना यह होगा कि इस परियोजना का संचालन किस हद तक जनभावनाओं और पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए किया जाता है।