चंद्रपुर जिले के घुग्घुस में स्वयं को जनसेवक कहलानेवाले स्वयंघोषित ‘हितैशी’ का अधिकारियों में इन दिनों ऐसा खौफ छाया हुआ है कि जिस गली में यह दिखाई दे, अधिकारी उधर से जाना भी छोड़ देते हैं। विशेष रूप से लोकनिर्माण विभाग के अधिकारी तो इससे बुरी तरह से परेशान हो चुके हैं। किसी भी जनसमस्या के मुद्दे पर अधिकारियों के पास जाना, उन पर धौंस जमाना और फिर धीरे से जाकर उनसे काम का कान्ट्रैक्ट अपने रिश्तेदारों के नाम करवा लेना यह इसका गोरखधंधा बन चुका है। जनहित के नाम पर जनता की आंखों में धूल झोंकनेवाले इस ‘बगुला भगत’ की हरकतों पर जनप्रतिनिधि भी अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं।
Whatsapp Channel |
यह एकमात्र स्वयंघोषित ‘हितैशी’ का विगत कई वर्षों से एक ही फंडा चल रहा है। वह मंत्री, सांसद, विधायकों के अलावा आयुक्त, जिलाधिकारी तथा क्षेत्र के लोकनिर्माण विभाग (PWD) अंतर्गत आनेवाले विभिन्न कार्यों के संदर्भ में अधिकारियों को निवेदन देता है, फ़ोटो शेषन करवाता है और फिर उसे विभिन्न समाचार पत्रों के साथ-साथ सोशल मीडिया पर प्रसारित करता है। इसके बाद जब कार्य हो जाता है तो श्रेय लूटने से भी पीछे नहीं हटता। वह दावा करता है कि सिर्फ़ मेरे ही प्रयास से कार्य को सफलता मिली है। उसकी इन करतूतों के पीछे छिपे स्वार्थ से अधिकांश अधिकारी और जनप्रतिनिधि वाकिफ हैं लेकिन भोलीभाली जनता को क्या पता कि वह उनकी भावनाओं के साथ किस तरह से खिलवाड़ कर रहा है। लोकनिर्माण विभाग के कार्यों पर बवंडर मचाकर यह अपने गिट्टी, बोल्डर, रेती और जेसीबी का व्यवसाय को चमकाने में लगा हुआ है।
लोकनिर्माण विभाग (PWD) ही इसके निशाने पर क्यों?
शहर के विभिन्न राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र के विकास कार्यों के मुद्दों को लेकर आंदोलन और हंगामा करने के बाद बड़ी मुश्किल से विकास कार्यों को प्रशासन से मंजूरी मिल पाती है, किंतु यह स्वयंघोषित हितैशी स्वयं को जनप्रतिनिधियों से भी अधिक पॉवरफुल बताने का स्वांग रचता आ रहा है। फिलहाल शहर में शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित करने, पुलिस आवासों का निर्माण और अप्पर तहसील कार्यालय की मांग को लेकर संघर्ष चल रहा है। बरसों से यह मांगें अधर में लटकी हुई हैं। फिलहाल जनहित का ढोंग रचनेवाला यह पाखंडी इन समस्याओं का निवेदन लेकर जिलाधिकारी कार्यालय के चक्कर काटता नजर आ रहा है। यदि बिल्ली के भाग से छींका टूट जाता है और यह मांगें सरकार पूरी कर देती हैं तो फिर से यह महाशय अपने सफेद झक वस्त्रों में अखबारों में तस्वीरें खिंचवाने के लिए तैयार ही खड़े हैं। फिर ये साहब बताएंगे, मैंने, मैंने ही यह काम करवाया है…।
बताया जाता है कि, इसका और इसके रिश्तेदारों का निर्माण सामग्री का व्यवसाय होने से यह निवेदन के माध्यम से किसी भी मामले को उठाता है और फिर लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों पर दबाव डालकर सारे कार्य अपनी और अपने रिश्तेदारों की झोली में डाल देता है। यानी समाजसेवा का लबादा ओढ़े यह मगरमच्छ अपनी जेबें भरने में लगा हुआ है। जनता को ऐसे ’हितैशीयों’ से सावधान रहने की जरुरत है।
Ghugus Poltical Story -6