Mla Kishor Jorgewar Janta Darbar in Ghugus, citizens voiced their concerns, and the administration assured effective solutions.
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चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के 🔍विधायक किशोर जोरगेवार द्वारा आयोजित🔍 जनता दरबार शुक्रवार को सेन्हा प्रभा हॉल में संपन्न हुआ। इस दरबार में SDO, नगर परिषद के मुख्य अधिकारी नीलेश राजांकर, एमएसईबी के अधिकारी, क्षेत्र के विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधि, और स्थानीय नागरिकों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही।
जनता दरबार में शहरवासियों ने अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर विधायक और प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष निवेदन प्रस्तुत किए। लेकिन इस आयोजन में शहर के अति ज्वलंत मुद्दों पर अपेक्षित गंभीरता नहीं दिखी, जिससे कुछ नागरिकों और पत्रकारों में असंतोष देखा गया।
जनता ने रखी समस्याएँ, पर मुख्य मुद्दों पर रही चुप्पी
जनता दरबार में नागरिकों को प्रशासन से सीधा संवाद करने का अवसर मिला, जो एक सकारात्मक पहलू रहा। लेकिन शहर के प्रमुख मुद्दों – निर्माणाधीन रेलवे पुल, मुख्य मार्गों पर धूल और प्रदूषण, आवासीय परिसरों में सड़क और नाली निर्माण, स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, और नए ग्रामीण अस्पताल की समस्याएँ – पर अपेक्षित जोर नहीं दिया गया।
स्थानीय पत्रकार ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उनका कहना था कि जनता दरबार में पहली बार आला अधिकारियों की मौजूदगी देखी गई, लेकिन आम जनता अपने महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने में पूरी तरह सक्रिय नहीं दिखी। इसके अलावा, शहर के जनहितेषी नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं की भी अनुपस्थिति इस आयोजन की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े करती है।
जनता को माइक पर बोलने का अवसर मिलना चाहिए – पत्रकार
एक वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि जनता दरबार की अवधारणा सार्थक है, लेकिन इसे और अधिक लोकतांत्रिक और प्रभावी बनाने की जरूरत है। उन्होंने सुझाव दिया कि नागरिकों को माइक पर अपनी समस्या खुलकर रखने का अवसर मिलना चाहिए ताकि न केवल अधिकारी बल्कि अन्य नागरिक भी उन समस्याओं को सुन सकें। इससे प्रशासन पर जनता का सीधा दबाव बनेगा और समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकते हैं।
प्रशासन ने दिया समाधान का आश्वासन
जनता दरबार में प्रशासन ने जनता की कई समस्याओं के जल्द समाधान का भरोसा दिलाया, लेकिन घुग्घूस के नागरिकों में अब भी यह संदेह बना हुआ है कि इन समस्याओं पर वास्तव में कार्रवाई होगी या नहीं। शहर में हर घर का कोई न कोई व्यक्ति प्रदूषण की चपेट में आकर अनेक विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं, लेकिन फिर भी इस मुद्दे को प्रमुखता से नहीं उठाया गया, जो इस दरबार की सबसे बड़ी विफलता मानी जा सकती है।
अब आगे क्या?
अब देखने वाली बात होगी कि जनता दरबार में उठी समस्याओं का समाधान कितनी जल्दी और कितनी प्रभावी तरीके से किया जाता है। क्या प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई होगी या यह आयोजन महज औपचारिकता बनकर रह जाएगा?
जनता दरबार की सफलता का असली पैमाना आने वाले दिनों में नजर आएगा, जब यह स्पष्ट होगा कि नागरिकों की आवाज को सही मायनों में सुना गया या नहीं।