चंद्रपुर जिले की औद्योगिक नगरी घुग्घुस में आवारा कुत्तों का आतंक एक बार फिर नरसंहार की दहलीज तक पहुंच गया है। हालही मे शहर के चांदनी नगर क्षेत्र में तीन वर्षीय राजा हुसैन नामक मासूम बच्चा आवारा कुत्तों के झुंड का शिकार बन गया। गनीमत रही कि समय रहते स्थानीय नागरिकों ने उसे बचा लिया, लेकिन बच्चा गंभीर रूप से घायल हो चुका था और अभी भी निजी अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहा है।
Whatsapp Channel |
घटना का पूरा विवरण: कैसे हुआ हमला?
बुधवार रात करीब साढ़े 7 बजे राजा हुसैन अपने घर के बाहर खेल रहा था। तभी अचानक कुत्तों के एक झुंड ने उस पर हमला कर दिया और उसके पूरे शरीर को चबाना शुरू कर दिया। शरीफ खान, जो पास ही रहते हैं और ड्यूटी से लौट रहे थे, उन्होंने मौके की नजाकत को भांपते हुए पत्थरों से हमला कर कुत्तों को भगाया, जिससे बच्चे की जान बच सकी। बच्चे की चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग भी जुटे और किसी तरह कुत्तों के चंगुल से बच्चे को छुड़ाया। उसे तत्काल निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत अभी भी चिंताजनक बनी हुई है।
स्थानीय जनआक्रोश: नगरपरिषद के खिलाफ प्रदर्शन
इस दिल दहला देने वाली घटना के बाद शहर में जबरदस्त आक्रोश फैल गया है। कांग्रेस पार्टी, खासकर शहर अध्यक्ष राजू रेड्डी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने पोलीस उप-निरीक्षक योगेश पाटील को ज्ञापन सौंपा और नगरपरिषद के मुख्य अधिकारी निलेश रांजनकर पर ‘सदोष मनुष्यवध’ (IPC 304) के तहत केस दर्ज करने की मांग की। इसके बाद नगरपरिषद कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया गया। “नगरपरिषद मुर्दाबाद”, “मुख्य अधिकारी हटाओ – बच्चों की जान बचाओ” जैसे नारों से शहर का वातावरण गूंज उठा।
🐶 कुत्तों का कहर: कोई पहली घटना नहीं
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहली घटना नहीं है।
पहले भी बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं कुत्तों के हमले का शिकार हो चुके हैं।
दो बार नगरपरिषद कार्यालय के सामने ही कुत्तों ने दो बछड़ों को नोच-नोचकर मार डाला था।
हर वार्ड में 10 से 20 कुत्तों के झुंड खुलेआम घूमते हैं।
ये आवारा कुत्ते पालतू जानवरों, गोधन और पक्षियों को भी मार चुके हैं।
वरिष्ठ नागरिक डर के मारे लाठी लेकर बाहर निकलते हैं, और बच्चों को घर से बाहर भेजने में माता-पिता डरते हैं।
कांग्रेस की पुरानी मांगें और नगरपरिषद की निष्क्रियता
महिला कांग्रेस समेत कांग्रेस संगठन ने 2022 से अब तक कई बार लिखित निवेदन देकर हिंसक कुत्तों पर कार्रवाई की मांग की है। लेकिन नगरपरिषद ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जिसकी वजह से आज ये मासूम बालक गंभीर रूप से घायल हो गया।
🎯 मांगें:
1. नगरपरिषद मुख्याधिकारी पर आपराधिक मामला दर्ज हो।
2. पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाए।
3. आवारा कुत्तों पर स्थायी और ठोस कार्रवाई की जाए।
4. नगर की प्रत्येक कॉलोनी में निगरानी एवं संरक्षण प्रणाली लागू की जाए।
प्रशासन की नींद अब भी नहीं टूटी तो अगला निशाना किसी और मासूम की जान हो सकती है
घुग्घुस जैसे उभरते औद्योगिक शहर में आवारा कुत्तों का बेलगाम आतंक एक गंभीर सामाजिक और प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक बन गया है।
यदि प्रशासन ने अब भी ठोस कदम नहीं उठाए, तो यह लापरवाही किसी दिन जानलेवा साबित हो सकती है।