लोकसभा चुनावों के पूर्व कांग्रेस की उम्मीदवारी मिलने के बाद प्रतिभा धानोरकर, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष व विधायक सुभाष धोटे तथा अन्य ने गड़चिरोली जाकर विरोधी दल नेता व विधायक विजय वडेट्टीवार से गुप्त भेंट की। इसके बाद वडेट्टीवार समेत उनकी टीम प्रतिभा धानोरकर के चुनावी प्रचार में सक्रिय दिखाई दिये। परंतु लगता है कि अब पासा उलटा पड़ रहा है।
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सांसद बनने के बाद प्रतिभा धानोरकर लगातार आक्रामक होती हुई नजर आ रही हैं। शुरु में तो उन्होंने सभी को यह कहकर चौंका दिया कि वे खुद तय करेगी कि जिले की 6 विधानसभाओं की सीटें किसको दी जाएं। उनके इस बयान के बाद कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने पल्ला झाड़ लिया। पश्चात सांसद धानोरकर (Pratibha Dhanorkar) ने भाजपा नेता व जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार (Sudhir Mungantiwar) को निशाना बनाते हुए एक विवादित बयान दे ड़ाला। इस बयान पर वरोरा के चौराहे पर भाजपा के महिला संगठन ने धानोरकर की तस्वीर पर जूते मारो आंदोलन कर दिया। यह मामला अभी थमा ही नहीं था कि फिर एक बार नये विवाद को प्रतिभा धानोरकर ने जन्म दे दिया है। इस बार उनके निशाने पर विजय वडेट्टीवार (Vijay Wadettiwar) आ गये। हालांकि उन्होंने वडेट्टीवार का नाम नहीं लिया। लेकिन ब्रम्हपुरी विधानसभा से किसी सशक्त कुणबी उम्मीदवार को टिकट देने की पैरवी करना, उनके अपने ही विरोधी दल नेता वडेट्टीवार के नेतृत्व को खत्म करने की चेतावनी देने जैसा है। वडेट्टीवार के राजनीतिक अस्तित्व का सूपड़ा साफ करने की अप्रत्याशित अपील बहुजन समाज मंडल व कुणबी महासम्मेलन में देना, और वह भी ब्रम्हपुरी में जाकर यह बयान जारी करना सांसद धानोरकर के लिए एक नई मुश्किलें पैदा कर सकता है।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने और खासकर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने बीते कुछ वर्षों में लगातार जनगणना का मुद्दा उठाते हुए जातियों की भागीदारी का विषय पटल पर ला दिया है। जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी भागीदारी का कांशीराम का नारा अब कांग्रेस में स्वीकार्य हो गया है। राहुल गांधी के भाषण के लाइन को पकड़ते हुए प्रतिभा धानोरकर ने कांग्रेस के विजय वडेट्टीवार के सिंहासन को ही डोलने पर मजबूर कर दिया है।
ब्रह्मपुरी विधानसभा (Bramhapuri Assembly) क्षेत्र में अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व पर बदलाव की मांग सांसद प्रतिभा धानोरकर ने कर डाली। इससे विजय वडेट्टीवार पर अप्रत्यक्ष निशाना साधा गया। आगामी विधानसभा चुनाव में बदलाव का आह्वान करना, और वह भी बहुसंख्यक कुणबी समुदाय (Kunbi community) के मंच पर जाकर इस तरह से बयान देना कांग्रेस के खेमों के लिए काफी चिंता का विषय है। मजबूत राजनीतिक प्रतिनिधित्व की वकालत करते समय धानोरकर महोदया शायद यह भूल गई कि वे अपने ही दल के खिलाफ और अपने ही नेता के खिलाफ लोगों के मन में संदेहास्पद स्थिति निर्माण कर रही है।
विधायक विजय वडेट्टीवार के खिलाफ बिना नाम लिए किया गया कटाक्ष क्या कांग्रेस के हाईकमान के लिए सहज होगा। प्रतिभा धानोरकर ने अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधित्व के मुद्दे पर अपनी असहमति जताई है। धानोरकर ने अपने संबोधन में कहा कि ब्रह्मपुरी (Bramhapuri) और गढ़चिरोली (Gadchiroli) में कई सालों से अल्पसंख्यक समुदाय (Minority community) के लोग ही राजनीतिक प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और इस परंपरा में बदलाव होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कुणबी समुदाय को कुछ राजनीतिक नेताओं की चतुराई भरी बातों में नहीं आना चाहिए और आगामी विधानसभा चुनाव में अपने सही प्रतिनिधि का चयन करना चाहिए। प्रतिभा धानोरकर का यह बयान सीधे तौर पर आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा को लाभ पहुंचा सकता है। कुणबी समाज वडेट्टीवार से खफा होकर भाजपा के पाले में डालने की यह रणनीति सांसद धानोरकर के लिए संकट पैदा कर सकती है। क्योंकि इस बयान के वक्त मंच पर (BJP) बीजेपी विधायक परिणय फुके (Parinay Fuke) भी मौजूद थे। उन्होंने भी इस बात का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि वह अपने बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं से आग्रह करेंगे कि आगामी विधानसभा चुनावों में ब्रह्मपुरी से किसी कुणबी उम्मीदवार (Kunbi community Candidates) को टिकट दिया जाए। इससे तो यही अर्थ निकलता है कि कुणबी समाज के वोट विजय वडेट्टीवार से छिटककर, दूर जाकर भाजपा उम्मीदवार को लाभ पहुंचा सकें।