चंद्रपुर जिले के घुग्घुस समीपस्त नकोडावर्धा नदी रेत घाट पर अवैध रेत खनन का काला खेल एक बार फिर उजागर हुआ है। बुधवार दोपहर करीब 1:30 बजे मिली गुप्त सूचना के आधार पर राजस्व प्रशासन ने जब छापा मारा तो मौके से दो नावें, 30 ब्रास अवैध रेत और पंप हाउस रोड पर 100 ब्रास रेत का भंडारण जब्त किया गया। इतना ही नहीं, उत्खनन के लिए इस्तेमाल की जा रही पोकलेन मशीन भी जब्त हुई। कार्रवाई के दौरान खननकर्ता मौके से फरार हो गए, जबकि नावों के महसूल विभाग के अनुसार मालिक का अभी तक पता नहीं लग पाया है।
कार्रवाई कैसे हुई?
नायब तहसीलदार डॉ. सचिन खंडाले ने इस छापेमारी को उपविभागीय अधिकारी संजय पवार और तहसीलदार विजय पवार के मार्गदर्शन में अंजाम दिया। टीम में मंडल अधिकारी प्रकाश सुरवे, तलाठी मनोज कांबले, मनोज शेंडे, नवनाथ गोडघासे, कोतवाल परशुराम पेंदोर और पुलिस पाटिल प्रणय कांबले मौजूद रहे।
निरीक्षण के दौरान नदी के पात्र में खनन करती नावें पकड़ी गईं। पंचनामा तैयार कर लौटते समय टीम को पंप हाउस रोड पर एक बड़ा रेत भंडारण दिखाई दिया, जिसके ऊपर खड़ी पोकलेन मशीन अवैध खनन की पुष्टि करती मिली। तुरंत रेत व मशीन का पंचनामा कर जब्ती की गई।
लीज के बावजूद अवैध खनन का खेल
मई माह में नकोडा और अजयपुर रेत घाट का उत्खनन अधिकार चंद्रपुर के अश्विन ठाकुर को अश्विन एंटरप्राइजेज नाम से दिया गया था, जिन्हें 83,004 ब्रास रेत उत्खनन की आधिकारिक अनुमति प्राप्त है। अश्विन ठाकुर ने घुग्घुस क्षेत्र के रेत व्यवसायियों को अपना पार्टनर बनाकर अपना काम को अंजाम दे रहा था फिर उसने अचानक पार्टनर बदला और नए पार्टनरों से हाथ मिलाकर फिर काम शुरू किया,जबकि 10 जून को रेती घाट की समय अवधि समाप्त होनेके बावजूद खुलेआम वर्धा नदी मे बोट लगाकर अवैध रूप से उत्खनन और रेत तस्करी जारी रकी थी, कल बुधवार को दोपहर मे महसूल विभाग की टीम ने छापा मारा तो वहा दो बोट और एक पोकलेन मशीन पर ही कार्रवाई की, जबकि चर्चा यह है की वहा जेसीबी मशीन और हायवा भी थे लेकिन उनको क्यों छोड़ा गया यह समझ से परे है।
विशेष बात यह है की, मशीन चालक फरार हो गए और इन जप्त मशीनों के मालकों का नाम सामने न आना महसूल विभाग के कार्रवाई पर प्रश्नचिन्ह निर्माण खड़ा कर रहा है!
ज्ञात हो जून में अजयपुर रेत घाट पर वन विभाग की जमीन पर अवैध पेड़ कटाई और खनन का मामला सामने आने के बाद कार्रवाई हुई थी, लेकिन जुलाई में कम बारिश का फायदा उठाकर नकोडा घाट पर अवैध उत्खनन फिर शुरू हो गया।
क्या सांठगांठ से चल रहा खनन माफिया?
स्थानीय सूत्रों का दावा है कि इस खेल में खनन माफिया और प्रशासनिक विभागों के बीच आर्थिक सांठगांठ की बू आती है।
बार-बार छापेमारी और जब्ती के बाद भी माफिया का बेखौफ होना बड़े सवाल खड़े करता है –
क्या जांच महज़ औपचारिकता है? क्या खनन माफिया को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है?
अब सवाल यह उठता है.. जब्त नावों, पोकलेन मशीन और रेत का मूल्यांकन कर मामला उच्चाधिकारियों को भेजा जाएगा।
साथ ही, वन विभाग और पुलिस की संयुक्त जांच की भी संभावना है।
सूत्रों का कहना है कि यदि इस बार कार्रवाई सख्त नहीं हुई, तो आने वाले मानसून में खनन माफिया और बेखौफ हो जाएंगे।
