महाराष्ट्र विधानसभा में कांग्रेस विधायक नाना पटोले ने प्रधानमंत्री मोदी पर तीखा हमला बोला – “मोदी तुम्हारे बाप होंगे, किसानों के नहीं।” सदन में हंगामा, अध्यक्ष नार्वेकर ने की निलंबन की कार्रवाई। जानें पूरी राजनीतिक हलचल।
मुंबई, महाराष्ट्र विधानसभा – राज्य के मानसून सत्र की शुरुआत से ही विधानसभा का वातावरण गरमा गया है। कांग्रेस विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक बबनराव लोणीकर के एक विवादास्पद बयान के विरोध में जबरदस्त आक्रामक रुख अपनाया। पटोले ने खुले मंच से कहा –
“नरेंद्र मोदी तुम्हारे बाप हो सकते हैं, लेकिन किसानों के बाप नहीं हैं!”
यह बयान जैसे ही सदन में गूंजा, हंगामा मच गया। नाना पटोले ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि, “लोणीकर का बयान किसानों का अपमान है, जिसे अब यह देश का अन्नदाता सहन नहीं करेगा। मुख्यमंत्री को किसानों से माफी मांगनी चाहिए, और ऐसे बयानों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।”
हंगामे का सिलसिला यहीं नहीं थमा।
पटोले और कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार आक्रोशित होकर सीधे सदन के हौद (वेल) में उतर गए। अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने स्थिति संभालने की कोशिश करते हुए पटोले से कहा, “यह भाषा आपसे अपेक्षित नहीं है।” लेकिन बात नहीं बनी। कार्यवाही पांच मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।
कार्यवाही फिर शुरू हुई तो…
अध्यक्ष नार्वेकर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि नाना पटोले का व्यवहार शोभनीय नहीं था। उन्होंने याद दिलाया कि पटोले खुद कभी सदन के अध्यक्ष रहे हैं, ऐसे में उनसे जिम्मेदार व्यवहार की अपेक्षा थी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी कहा कि “अध्यक्ष की ओर आक्रामक ढंग से बढ़ना लोकतांत्रिक मर्यादाओं के खिलाफ है।”
इसके बावजूद, पटोले दोबारा हौद में जा पहुंचे। इसके चलते अध्यक्ष नार्वेकर ने कड़ा फैसला लेते हुए उन्हें पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया।
यह घटनाक्रम महाराष्ट्र की सियासत में एक नई टकराव की लकीर खींचता है। कांग्रेस और भाजपा के बीच बढ़ते तनाव, खासकर किसानों के मुद्दों पर, अब सदन के अंदर भी खुलकर सामने आ रहे हैं। नाना पटोले की भाषा और तेवर यह दर्शाते हैं कि विपक्ष अब सीधी भिड़ंत के मूड में है। वहीं, भाजपा इसे “सदन की गरिमा पर हमला” करार दे रही है।
एक ओर जहां यह बयानबाज़ी किसान राजनीति को केंद्र में ला रही है, वहीं दूसरी ओर यह स्पष्ट संकेत है कि मानसून सत्र अब कड़वे राजनीतिक टकरावों का मंच बनने जा रहा है।
