गुरुवार रात करीब आठ बजे नागभीड़ तालुका के चिंधीचक, चिंधीमाल, तळोधी (बा), उश्राळमेंढा सहित आसपास के गांवों में तेज आंधी और ओलावृष्टि ने जमकर कहर बरपाया। खेतों में लहलहाती धान की फसलें महज़ कुछ दिनों में कटने को तैयार थीं, लेकिन कुदरत ने किसान के मुँह से निवाला ही छीन लिया। बेमौसम बारिश और भारी ओलावृष्टि के कारण 70 से 80 प्रतिशत तक धान की फसलें जमीन पर बिछ गई हैं।
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किसानों ने बताया कि ओले बोर के आकार के थे, जो सीधे खड़ी फसल पर गिरे और उसके तिनके तिनके बिखेर दिए। आधे से पौन घंटे तक तेज़ हवाओं के साथ बारिश और ओलों का कहर जारी रहा, जिससे खेतों में खड़ी फसलें पूरी तरह नष्ट हो गईं। क्षेत्र के गंगासागर हेटी, आकारपूर, सावर्ला सहित कई गांवों में नुकसान की तस्वीरें दिल दहला देने वाली हैं।
खरीफ सीजन में पहले ही कीट प्रकोप से तबाह फसलों की भरपाई किसान नहीं कर पाए थे। अब उन्होंने सिंचाई की सुविधा होने के कारण रबी सीजन में उम्मीद के साथ धान की फसल लगाई थी, परंतु अब वह भी बरबाद हो चुकी है।
कर्ज, जेवर और कड़ी मेहनत सब पानी में
ग्राम पंचायत उपसरपंच प्रदीप समर्थ ने बताया कि गर्मियों में धान की खेती बेहद खर्चीली होती है—खेत की तैयारी, बुवाई, खाद, कीटनाशक, सिंचाई और कटाई तक का खर्च खरीफ सीजन के मुकाबले दोगुना होता है। सिंचाई सुविधा वाले किसान कर्ज लेकर, यहां तक कि गहने गिरवी रखकर खेती करते हैं। लेकिन अब जब फसल हाथ आने वाली थी, तब इस प्राकृतिक आपदा ने सब कुछ बर्बाद कर दिया है।
सरकार से तत्काल मुआवजे की मांग
क्षेत्र के किसानों और ग्राम पंचायत ने प्रशासन से मांग की है कि तुरंत सर्वे (पंचनामा) करवाया जाए और किसानों को यथाशीघ्र मुआवजा प्रदान किया जाए। मौसम विभाग ने आगे भी असमय बारिश का पूर्वानुमान जताया है, जिससे किसानों की बची-खुची फसल पर भी खतरा मंडरा रहा है।
किसानों का दर्द: “हमने उम्मीद लगाई थी, अब आसमान ने भी साथ छोड़ दिया” एक किसान की पीड़ा सुनते हुए आँसू छलक पड़ते हैं—“खरीफ में नुकसान झेला, अब गर्मियों में फसल तैयार होने के बाद भी कुछ न बचा। कर्ज चुकाने का कोई रास्ता नहीं। सरकार हमारी सुध ले, नहीं तो हम बर्बाद हो जाएंगे।”
अब सवाल उठता है—क्या सरकार जागेगी, या किसान फिर निराशा की गर्त में धकेल दिए जाएंगे?
यह खबर केवल किसी एक तालुका की नहीं, बल्कि उस किसान की भी है जो हर मौसम से लड़कर देश का पेट भरता है—अब वक्त है कि सरकार उनके ज़ख्मों पर मरहम लगाए।