घुग्घूस भाजपा शहर अध्यक्ष पद: गुटबाजी और राजनीतिक खींचतान का विश्लेषण
घुग्घूस, जिसे चंद्रपुर जिले की औद्योगिक नगरी के रूप में जाना जाता है, हमेशा से राजनीति के केंद्र में रहा है। यहां के नेता न केवल राजनीतिक दलों में महत्वपूर्ण पदों पर काबिज रहे हैं, बल्कि विधायक बनने तक का सफर भी तय कर चुके हैं। यही वजह है कि यह शहर राजनीतिक हलचलों के कारण लगातार चर्चा में बना रहता है।
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भाजपा की ‘वन मैन आर्मी’ अब दो गुटों में बंटी
विधानसभा चुनावों से पहले घुग्घूस में भाजपा को एक संगठित और मजबूत दल माना जाता था, जिसे ‘वन मैन आर्मी’ की उपमा दी जाती थी। लेकिन चुनावों के बाद स्थिति पूरी तरह बदल गई। अब भाजपा यहां दो खेमों में विभाजित हो चुकी है।
एक तरफ पूर्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार और विधायक देवराव भोंगले के समर्थक हैं, तो दूसरी तरफ विधायक किशोर जोरगेवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री हंसराज अहीर का खेमा मजबूती से उभर रहा है।
गुटबाजी के बीच पाला बदलते कार्यकर्ता
राजनीति में दल-बदल और गुटबाजी कोई नई बात नहीं है, लेकिन घुग्घूस में यह प्रवृत्ति अब स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। जिन पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को पहले विधायक सुधीर मुनगंटीवार सेवा केंद्र का कट्टर समर्थक माना जाता था, वे अब पूर्व केंद्रीय मंत्री हंसराज अहीर और विधायक किशोर जोरगेवार के खेमें में शामिल हो चुके हैं।
इस बदलाव के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे—राजनीतिक लाभ, आगामी नगरपरिषद चुनावों में टिकट की संभावनाएं, और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं।
शहर भाजपा में गहराती गुटबाजी और नेतृत्व संकट
वर्तमान में भाजपा के शहर अध्यक्ष और जिला महामंत्री का पद विवेक बोडे के पास है। हालांकि, अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या भाजपा को एक नया अध्यक्ष मिलना चाहिए?
कार्यकर्ताओं के बीच यह मांग जोर पकड़ रही है कि अब पार्टी में बदलाव होना चाहिए, और अध्यक्ष पद पर किसी नए चेहरे को मौका मिलना चाहिए। पार्टी के भीतर अंदरूनी खींचतान इस कदर बढ़ चुकी है कि यह अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्द ही नेतृत्व परिवर्तन की घोषणा हो सकती है।
भाजपा के लिए नई चुनौती: कौन होगा अगला शहर अध्यक्ष?
अध्यक्ष पद की दौड़ में कई दावेदार सामने आ चुके हैं। इनमें मुख्य रूप से निम्नलिखित नाम चर्चा में हैं—
1. संजय तिवारी – पूर्व उपसरपंच, जो हंसराज अहीर और किशोर जोरगेवार के कट्टर समर्थक माने जाते हैं।
2. साजन गोहने – ग्राम पंचायत के पूर्व सदस्य, जिनकी स्थानीय पकड़ मजबूत है।
3. अमोल थेरे – नगर में भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता।
4. इमरान खान – विधायक किशोर जोरगेवार के करीबी और प्रभावशाली नेता।
5. सुधाकर बांदुरकर – हाल ही में कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले पूर्व उपसरपंच, जो अब भाजपा में नई भूमिका तलाश रहे हैं।
मुनगंटीवार, अहीर या जोरगेवार—किसका खेमा रहेगा प्रभावी?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि भाजपा का शहर अध्यक्ष पद सुधीर मुनगंटीवार के खेमें में जाएगा या फिर हंसराज अहीर और किशोर जोरगेवार के गुट को इसका फायदा मिलेगा?
अगर मुनगंटीवार का खेमा मजबूत रहता है, तो विवेक बोडे जैसे नेताओं का प्रभाव बरकरार रह सकता है। लेकिन अगर जोरगेवार और अहीर गुट अपना दबदबा बनाए रखते हैं, तो शहर अध्यक्ष पद पर किसी नए चेहरे की ताजपोशी हो सकती है।
घुग्घूस भाजपा की अंदरूनी राजनीति: आगे क्या होगा?
भाजपा के लिए घुग्घूस में नगरपरिषद चुनावों से पहले संगठन को एकजुट रखना बड़ी चुनौती बन गई है। कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ रहा है, और वे नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहे हैं। अगर यह गुटबाजी जारी रहती है, तो भाजपा को आगामी चुनावों में इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है।
फिलहाल, पार्टी नेतृत्व को यह तय करना होगा कि क्या विवेक बोडे ही अध्यक्ष बने रहेंगे, या फिर किसी नए चेहरे को यह जिम्मेदारी दी जाएगी? अगले कुछ महीनों में भाजपा के इस आंतरिक संघर्ष का असर स्थानीय राजनीति पर जरूर देखने को मिलेगा।
घुग्घूस भाजपा में अध्यक्ष पद को लेकर घमासान जारी है। मुनगंटीवार, जोरगेवार और अहीर गुटों के बीच चल रही यह रस्साकशी इस बात को तय करेगी कि शहर भाजपा का अगला नेतृत्व किसके हाथ में होगा। अगर पार्टी समय रहते इस गुटबाजी को नहीं संभालती, तो आगामी नगरपरिषद चुनावों में इसे बड़ा झटका लग सकता है।
अब देखना यह होगा कि भाजपा नेतृत्व क्या फैसला लेता है—क्या विवेक बोडे को बरकरार रखा जाएगा, या फिर नए चेहरे के रूप में कोई और भाजपा का शहर अध्यक्ष बनेगा?