ओबीसी आरक्षण से सियासी समीकरणों में बड़ा बदलाव: महाराष्ट्र की 12,496 महिलाएं बनेंगी सरपंच
2030 तक ग्रामपंचायत आरक्षण का नया फार्मूला, ओबीसी आरक्षण बढ़ा, महिलाएं बनीं सशक्त चेहरा
महाराष्ट्र सरकार ने ग्रामपंचायत सरपंच पदों के आरक्षण का किया बड़ा ऐलान, ओबीसी आरक्षण में इजाफा, 12,496 महिलाएं सीधे सरपंच पद पर काबिज होंगी। महाराष्ट्र के ग्रामविकास विभाग ने वर्ष 2030 तक कार्यकाल समाप्त करने वाली ग्रामपंचायतों के सरपंच पदों का आरक्षण कोटा तय कर दिया है। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देशों के बाद लिया गया है, जिसमें स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में ओबीसी को 27% आरक्षण देने की मान्यता दी गई है। इस फैसले से प्रदेश की ग्रामीण राजनीति में भूचाल आने की संभावना है।
आरक्षण कोटे का नया फॉर्मूला:
वर्ग सरपंच पद
खुला वर्ग 13,067
ओबीसी 6,729
अनुसूचित जाति (SC) 3,262
अनुसूचित जनजाति (ST) 1,866
महिलाओं के लिए आरक्षित 12,496
क्या बदला है नया?
मार्च 2025 में ग्रामविकास विभाग ने जब अधिसूचना जारी की थी, तब ओबीसी को 26.04% आरक्षण दिया गया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के अनुसार, अब यह 27% किया गया है, जिसके चलते पहले जारी आरक्षण अधिसूचना को रद्द कर दिया गया है। परिणामस्वरूप, ओबीसी के कई पद जो खुले वर्ग में चले गए थे, वे अब पुनः ओबीसी के हिस्से में आएंगे।
राजनीतिक असर क्या होगा?
नए आरक्षण के चलते सभी जिलों में सरपंच पदों की नई आरक्षण सूची जारी होगी।
तहसील स्तर पर सरपंच पदों के लिए दस दिनों के भीतर आरक्षण लॉटरी प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
इससे पहले से तय उम्मीदवारों के समीकरण बदल सकते हैं, जिससे कई जगह नए चेहरे सामने आ सकते हैं और राजनीतिक उठा-पटक तेज होगी।
महिलाओं को सीधी भागीदारी:
ग्रामपंचायतों में 12,496 सरपंच पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं, जो ग्रामीण क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे। यह कदम महिलाओं को न केवल नेतृत्व में लाएगा, बल्कि गांव स्तर पर उनके निर्णयकारी अधिकारों को भी मजबूती देगा।
अब आगे क्या?
जिलों को प्राप्त आरक्षण कोटे के अनुसार, तालुकानुसार सरपंच पदों का वितरण होगा।
तहसीलदार द्वारा जल्द ही आरक्षण प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
जिला परिषद और पंचायत समितियों को सूचना भेजी जा रही है, जिससे ग्राम पंचायत चुनावों की तैयारी नई दिशा लेगी।
यह आरक्षण नीतिगत बदलाव न केवल ग्रामस्तर की राजनीति को पुनर्परिभाषित करेगा, बल्कि ओबीसी और महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को मजबूती देगा। आगामी ग्रामपंचायत चुनावों में इसका गहरा असर देखने को मिलेगा।
इस निर्णय के बाद प्रदेश भर में गांवों की सत्ता में महिलाएं और ओबीसी वर्ग एक निर्णायक ताकत बनकर उभरेंगे।
