चंद्रपूर जिला सहकारी बैंक चुनाव में बदलते समीकरण, विरोधी खेमों के नेता एक साथ दिखे—राजनीतिक गोटियाँ फिर से बिठाई जा रहीं?
चंद्रपूर जिले में होने वाले 🔍जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक चुनाव ने अब पूरी तरह से राजनीतिक रंग ले लिया है। 10 जुलाई को होने वाली इस अहम चुनावी प्रक्रिया ने सियासी पारा चढ़ा दिया है। 🔍कांग्रेस, 🔍भाजपा, और अन्य प्रमुख दलों ने इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न मानते हुए पूरी ताक़त झोंक दी है। लेकिन हाल ही में जो नज़ारा सामने आया, उसने राजनीति के गलियारों में नई चर्चाओं को हवा दे दी है।
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सोमवार को कांग्रेस की लोकसभा🔍 सांसद प्रतिभा धानोरकर, भाजपा 🔍विधायक देवराव भोंगले, और शिक्षक विधायक सुधाकर अडबाले को एक ही वाहन में यात्रा करते देखा गया। वे जिला नियोजन समिति की बैठक के बाद बाहर निकले, और एक साथ रवाना हुए। इस अनपेक्षित साथ ने सभी राजनीतिक विश्लेषकों और कार्यकर्ताओं को चौंका दिया। राजनीतिक वैचारिक विरोध को पीछे छोड़कर एक साथ नजर आना अब नए समीकरणों की ओर इशारा कर रहा है।
सांसद प्रतिभा धानोरकर और कांग्रेस नेता 🔍विजय वडेट्टीवार के बीच लंबे समय से मतभेद किसी से छुपे नहीं हैं। वहीं दूसरी ओर, भाजपा के दिग्गज नेता 🔍सुधीर मुनगंटीवार के करीबी माने जाने वाले विधायक देवराव भोंगले का कांग्रेस सांसद के साथ देखे जाना एक सधा हुआ राजनीतिक संदेश माना जा रहा है।
इसके साथ ही, भाजपा के ही अन्य 🔍विधायक बंटी भांगडिया और 🔍विधायक किशोर जोरगेवार भी इस चुनाव में सक्रिय हो चुके हैं। ये दोनों मुनगंटीवार के विरोधी माने जाते हैं, जिससे भाजपा की भीतरी राजनीति में भी खलबली है। ऐसे में भोंगले का कांग्रेस खेमे के साथ नजर आना एक बड़ी रणनीतिक चाल के रूप में देखा जा रहा है।
क्या है असली खेल?
चंद्रपूर जिला सहकारी बैंक की सत्ता केवल आर्थिक हितों का केंद्र नहीं है, बल्कि यह स्थानीय राजनीतिक पकड़ का भी पैमाना बन चुका है। पहली बार इस चुनाव में इतने बड़े स्तर पर विधायक और सांसदों की भागीदारी देखी जा रही है। हर गुट अपनी ताक़त को नए तरीके से परिभाषित करने की कोशिश कर रहा है।
क्या इसका असर 2029 की रणनीति पर पड़ेगा?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस चुनाव की जीत-हार से आगे जाकर विधानसभा और लोकसभा के समीकरण भी प्रभावित हो सकते हैं। अगर वर्तमान में विरोधी नेता एक साथ आ रहे हैं, तो यह संकेत है कि आने वाले समय में गठजोड़ की राजनीति फिर से जोर पकड़ सकती है।
प्रतिद्वंद्वियों का इस तरह एक साथ नजर आना केवल संयोग नहीं, बल्कि रणनीतिक भविष्यवाणी है। चंद्रपूर की सहकारी बैंक चुनाव ने अब राजनीति को केवल विचारधारा से ऊपर उठाकर ‘गणित’ की नई दिशा दे दी है। अब देखना यह है कि सत्ता की चाभी किसके हाथ में जाती है, और यह नई दोस्ती कितनी दूर तक साथ निभाती है।