चंद्रपुर जिले में भाजपा की अंदरूनी कलह अब किसी रहस्य की मोहताज नहीं रही। विधानसभा चुनाव के बाद से शुरू हुआ सियासी शीत युद्ध अब खुले संघर्ष का रूप ले चुका है। इसका ताज़ा उदाहरण घुग्घूस क्षेत्र के पांढरकवडा में स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर में सामने आया है, जहां एक ही ‘भक्तनिवास’ के लिए दो अलग-अलग लोकार्पण समारोह आयोजित किए गए—एक अधिकृत, दूसरा ‘सियासी झटका’!
Whatsapp Channel |
एक भक्तनिवास, दो लोकार्पण, दो खेमे
करीब 1.5 करोड़ की निधि से सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा निर्मित इस भक्तनिवास का आधिकारिक लोकार्पण 13 अप्रैल, रविवार को शाम 7 बजे तय था। निमंत्रण पत्रिका महाराष्ट्र शासन की ओर से छप चुकी थी, जिसमें पालकमंत्री अशोक उईके उद्घाटनकर्ता और दो सांसद-आट विधायकों को मुख्य अतिथि बनाया गया है।
लेकिन इससे ठीक एक दिन पहले, शनिवार को हनुमान जयंती के पावन दिन पर भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने अपने समर्थकों के साथ ‘गुपचुप’ तरीके से एक अलग लोकार्पण कर डाला। ना विभागीय अनुमति, ना कोई सरकारी हरी झंडी और ना ही कोई आमंत्रित जनप्रतिनिधि—फिर भी मुनगंटीवार खेमे ने इसे “जनता के नाम समर्पण” बता कर शक्ति प्रदर्शन कर दिया।
राजनीति ने ली श्रद्धा की जगह
धार्मिक स्थल पंचमुखी हनुमान मंदिर का यह भक्तनिवास अब राजनीति का अखाड़ा बन गया है। जो निर्माण जनसेवा के लिए था, वही अब सत्ता और वर्चस्व की लड़ाई का मैदान बन गया है। मुनगंटीवार और किशोर जोरगेवार के बीच लंबे समय से चली आ रही खींचतान इस मौके पर फिर से चरम पर पहुंच गई है। राजनीतिक गलियारों में इसे भाजपा के भीतर “कमान संघर्ष” और “वर्चस्व की जंग” करार दिया जा रहा है।
क्या होगा रविवार के कार्यक्रम का?
अब सबकी निगाहें 13 अप्रैल को होने वाले आधिकारिक लोकार्पण समारोह पर टिकी हैं। क्या सभी अतिथि—including मुनगंटीवार—इसमें उपस्थित होंगे? क्या जोरगेवार खेमा इस कार्यक्रम को पार्टी की एकता दिखाने का मौका बना पाएगा? या यह विवाद और गहराकर भाजपा के लिए गुटबाजी का कारण बनेगा?
आधिकारिक कार्यक्रम के आमंत्रित अतिथि:
अशोक उईके (पालकमंत्री, महाराष्ट्र शासन), नामदेव किरसान (सांसद, गडचिरोली), प्रतिभा धनोरकर (सांसद, चंद्रपुर), किशोर जोरगेवार, सुधीर मुनगंटीवार, विजय वडेट्टीवार, अभिजीत वंजारी, कीर्तीकुमार भांगड़िया, सुधाकर अडबाले, देवराव भोंगले, करण देवतले (विधायकगण)
विनय गोंडा (जिलाधिकारी, चंद्रपुर), अरुण गाडेगोणे (अधीक्षक अभियंता, सार्वजनिक निर्माण विभाग), अक्षय पगारे (कार्यकारी अभियंता, पीडब्ल्यूडी, चंद्रपुर)
आगे क्या होगा?
भक्तनिवास पर ‘डबल उद्घाटन’ ने साफ कर दिया है कि भाजपा की अंदरूनी दरार अब काबू से बाहर हो चली है। धर्म और विकास के नाम पर राजनीतिक प्रचार की यह होड़ बताती है कि चुनाव बाद की सत्ता-संधान की भूख अभी खत्म नहीं हुई। अब देखना होगा कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व इस ‘हनुमान स्थल’ से शुरू हुए राजनीतिक घमासान को कैसे शांत करता है—या यह मुद्दा पार्टी के लिए एक और राजनीतिक सिरदर्द बन जाएगा।
एक सवाल जनता के बीच गूंज रहा है:
क्या पंचमुखी हनुमान अब भाजपा को एकमुखी करने में सफल होंगे, या यह गुटबाजी पार्टी को और बिखेर देगी?राजनीति में आस्था की ये सियासत—कहानी अभी बाकी है।