Chandrapur Assembly Eelections : महाराष्ट्र में चुनावी प्रचार का आगाज हो चुका है। चंद्रपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस को बगावत का झटका लगा है। यहां भाजपा से ब्रिजभूषण पाझारे ने बगावत की है। वहीं कांग्रेस से राजू झोडे ने भी बगावत कर दी। दोनों बागियों के चुनावी मैदान में डटे रहने के कारण चंद्रपुर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में चौरंगी संघर्ष का चित्र नजर आ रहा है। जिस भाजपा और कांग्रेस पार्टी से पाझारे तथा झोडे ने बगावत की है, वहां से उन्हें निष्कासित तो किया गया है। परंतु पार्टी के अनेक कार्यकर्ता इन बागियों के संपर्क में है। कुछ फोन पर हाल-चाल पूछते हुए अपना समर्थन दे रहे हैं तो कुछ कार्यकर्ता सीधे इन बागियों के साथ चुनावी मैदान में प्रचार के लिए उतर गये हैं। ऐसे में भाजपा और कार्यकर्ता के आला पदाधिकारियों की मुश्किलें बढ़ गई है। किस-किसको निष्कासित करें, यह स्थिति निर्माण होते जा रही है। वहीं दूसरी ओर पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों का सिरदर्द बागियों के चलते लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
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ज्ञात हो वर्ष 2019 के विधानसभा चुनावों के समय जब कांग्रेस ने महेश मेंढे को और भाजपा ने नाना शामकुले को उम्मीदवारी दी थी, तब कांग्रेस के अधिकांश नेता और कार्यकर्ता निर्दलीय उम्मीदवार रहे किशोर जोरगेवार का खुलकर प्रचार किया था। यहां तक की उनके मंच पर बैठकर कांग्रेस नेताओं ने जोरगेवार को अपना समर्थन दिया था। इस पर जब महेश मेंढे ने कांग्रेस के आला पदाधिकारियों से शिकातय की थी, बावजूद किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकीं। यही हाल भाजपा का रहा। भाजपा के अनेक कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी पिछली बार खुलकर जोरगेवार का प्रचार करते हुए देखे गये, किंतु किसी के खिलाफ पार्टी विरोधी कार्य करने के चलते कार्रवाई नहीं हो सकीं।
इस बार तो निर्दलीय उम्मीदवार रहे किशोर जोरगेवार ने भाजपा में पक्ष प्रवेश कर भाजपा का टिकट पा लिया। ऐसे में टिकट की आस लगाये बैठे ब्रिजभूषण पाझारे खफा हो गये। भाजपा से बगावत कर ली और नामांकन भर दिया। उनके बागी तेवरों को देखते हुए भाजपा ने उन्हें निष्कासित कर दिया। परंतु सवाल यह उठता है कि इस पूरी प्रक्रिया के पूर्व पाझारे की दावेदारी के लिए बड़ी संख्या में नागपुर गये कार्यकर्ता उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस एवं भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से मिले। कुछ नेता तो दिल्ली तक जाकर आयात का मुद्दा उछालते हुए जोरगेवार का विरोध किया और पाझारे के लिए टिकट मांगा। अब जब पाझारे निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं तो इनमें से अधिकांश कार्यकर्ताओं को अब भी पाझारे के खेमे में ही देखा जा सकता है। अंदरूनी रूप से भाजपा कार्यकर्ताओं कितनी बड़ी फौज पाझारे के लिए संघर्षरत है, यह कहा नहीं जा सकता।
ब्रिजभूषण पाझारे, जिले की औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले महत्वपूर्ण शहर घुग्घुस क्षेत्र के नकोडा निवासी है। करीब 22 वर्षों से वे इस क्षेत्र में भाजपा का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं। उनके कार्यकर्ताओं की एक बड़ी फौज यहां सेवारत है। हालांकि एक दूसरा गुट भी यहां कार्यरत है। यह दूसरा गुट भाजपा नेता देवराव भोंगले के लिए कार्यरत है। परंतु भोंगले को राजुरा विधानसभा से टिकट मिलने के कारण वे राजुरा की ओर कूच कर गये। उनके साथ उनकी टीम भी कूच कर गई। ऐसे में घुग्घुस में रह रहे अहिर गुट के भाजपा कार्यकर्ता ही जोरगेवार के प्रचार के लिए दिखाई पड़ रहे हैं। अमूमन यह देखने को मिल रहा है कि मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के कट्टर समर्थक भोंगले की टीम राजुरा में और पाझारे की टीम पाझारे के साथ दिख रही है। ऐसे में अब भाजपा प्रत्याशी किशोर जोरगेवार को भाजपा की टीम का इंतजार दिख रहा है।
अब अगर बात की जाएं कांग्रेस की तो कांग्रेस में भी भाजपा की तरह ही हालात नजर आते हैं। कांग्रेस की ओर से प्रवीण पडवेकर को चंद्रपुर विधानसभा की टिकट दिये जाने के बाद यहां का एक बड़ा खेमा इस फैसले से नाराज नजर आता है। पडवेकर को विरोधी दल नेता विजय वडेट्टीवार का करीबी व समर्थक माना जाता है। ऐसे में सांसद प्रतिभा धानोरकर की टीम अब तक पडवेकर के साथ खुलकर प्रचार करते हुए नजर नहीं आयी। जो कार्यकर्ता वडेट्टीवार के समर्थक के रूप में आगे रहे, वहीं कार्यकर्ता पडवेकर के साथ चुनावी प्रचार में दिख रहे हैं। जबकि कांग्रेस से बागी हुए राजू झोडे फिलहाल अपने उलगुलान संगठन के कार्यकर्ताओं को लेकर ही चुनावी प्रचार के मैदान में कूद पड़े हैं। आगामी दिनों में पता चल पाएगा कि सांसद प्रतिभा धानोरकर की टीम और उनके समर्थक असल में पडवेकर के लिए अपना खून-पसीना बहाएंगे या राजू झोडे का साथ देंगे ?
विश्वसनीय जानकारी के अनुसार तो कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ता झोडे के संपर्क में है, जो भले ही खुलकर प्रचार नहीं कर पा रहे हो, लेकिन वे पडवेकर की बजाय झोडे को आगे बढ़ाने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा रहे हैं। ऐसे में इस चौरंगी संघर्ष की गतिविधियों पर जनता में यह चर्चा का विषय बनना लाजमी है।