चंद्रपुर अब विकास के नाम पर मौत के कुएँ में बदलता जा रहा है। आंकड़े बताते हैं कि यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह संकट और भीषण रूप ले सकता है। यह सिर्फ एक जिले की नहीं, पूरे महाराष्ट्र और भारत की चेतावनी है।
वायू और जल प्रदूषण ने चंद्रपुर को बीमारियों की राजधानी में बदला, गर्भवती महिलाएं, बच्चे और बुज़ुर्ग सबसे अधिक प्रभावित
चंद्रपुर में वायू और जल प्रदूषण से बीमारियों में 1.2 लाख की बढ़ोतरी, प्रशासन पर लापरवाही का आरोप, जनस्वास्थ्य गंभीर संकट में।
चंद्रपुर जिला प्रदूषण के जहरीले चक्रव्यूह में फंसता जा रहा है। औद्योगिक और नगरीय क्षेत्रों में वायू और जल प्रदूषण में बेतहाशा वृद्धि ने मानव जीवन, वन्यजीव, जलीय जीवों और पक्षियों की सेहत पर गंभीर खतरा उत्पन्न कर दिया है।
कर्मवीर मां. स. कन्नमवार शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय और रुग्णालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, 2023 से 2025 के बीच:
- त्वचा रोग: 77,543
- दमा (अस्थमा): 11,568
- हृदय रोग: 7,083
- अतिसार: 18,708
- डेंगू-मलेरिया: 3,151
- मानसिक रोग: 1,902
- टीबी (फेफड़ों का क्षयरोग): 821
- गर्भवती महिलाओं के रोग:
- 2023 में: 1,254
- 2024 में: 1,560
- 2025 (जनवरी-जून): 774
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि वायू प्रदूषण, गर्मी और जल प्रदूषण के कारण बीमारियों में चौंकानेवाली वृद्धि हुई है।
प्रदूषण के मुख्य कारण:
चंद्रपुर महानगरपालिका क्षेत्र में वायू प्रदूषण की भयावहता लगातार बढ़ रही है। इसके पीछे मुख्यतः ये कारण हैं:
- कचरा और टायर जलाना
- स्क्रैप और ऑटोमोबाइल व्यवसाय
- कॉपर वायर जलाना
- कोयला खदानें और औद्योगिक उत्सर्जन
जिन उद्योगों पर आरोप लगे हैं:
भटाळी, पद्मापूर, दुर्गापूर, चांदा रयतवारी, लालपेठ, वेस्टर्न कोलफील्ड्स, चंद्रपुर महाऔष्णिक विद्युत केंद्र, धारीवाल प्लांट, गोपानी, ओमाटा वेस्ट, ग्रेस इंडस्ट्रीज, चमन मेटल्स, लॉयड्स मेटल्स, एसीसी, अल्ट्राटेक, अंबुजा, दालमिया, चुनखड़ी खदानें, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया, भाटिया कोल वॉशरी, गिट्टी क्रशर, हॉट मिक्स प्लांट आदि पर पर्यावरण को नष्ट करने का आरोप है।
प्रशासन और जनआंदोलन:
- प्रदूषण नियंत्रण मंडल के प्रादेशिक अधिकारी तानाजी यादव के कार्यकाल में प्रदूषण में अप्रत्याशित वृद्धि हुई।
- जिलाधिकारी और जिला पर्यावरण समिति के अध्यक्ष विनय गौड़ा ने विभाग को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
- संजीवनी पर्यावरण संस्था के राजेश बेले ने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और पर्यावरण मंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए दोषी अधिकारियों पर फौजदारी मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।
चंद्रपुर अब विकास के नाम पर मौत के कुएँ में बदलता जा रहा है। आंकड़े बताते हैं कि यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह संकट और भीषण रूप ले सकता है। यह सिर्फ एक जिले की नहीं, पूरे महाराष्ट्र और भारत की चेतावनी है।
