छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार🔍 प्रशांत कोरटकर के मामले में चौंकाने वाला मोड़ आ गया है।🔍 खबरों के मुताबिक अब यह खुलासा हुआ है कि पूर्व 🔍चंद्रपुर लोकल क्राइम ब्रांच (LCB) के पुलिस निरीक्षक महेश कोंडावार कोरटकर को न केवल छिपाने में मदद कर रहे थे, बल्कि उसकी सेवा में भी तैनात थे।
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कोंडावार की मुश्किलें बढ़ीं, कांग्रेस नेता वडेट्टीवार ने लगाए गंभीर आरोप
राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है, क्योंकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में विपक्ष के नेता🔍 विजय वडेट्टीवार ने सीधे तौर पर महेश कोंडावार पर आरोप लगाए हैं। वडेट्टीवार ने कहा कि अपमानजनक टिप्पणी के बाद कोरटकर के खिलाफ मामला दर्ज होने में एक माह का विलंब हुआ, और इस दौरान वह पुलिस की पकड़ से बाहर रहा।
अब यह स्पष्ट हो गया है कि कोरटकर नागपुर से फरार होने के बाद चंद्रपुर के होटल 🔍’सिद्धार्थ प्रीमियर’ में छुपा हुआ था। होटल स्टाफ ने गुप्त रूप से जानकारी देते हुए बताया कि कोरटकर यहां आराम से रह रहा था, और उसकी मदद में एक पुलिस अधिकारी तैनात था। इस दावे की पुष्टि सीसीटीवी फुटेज से भी हो चुकी है।
होटल से सीसीटीवी फुटेज में मिला अहम सबूत!
सूत्रों के मुताबिक, होटल सिद्धार्थ प्रीमियर के सीसीटीवी फुटेज में कोरटकर को स्पष्ट रूप से देखा गया है। इतना ही नहीं, वह होटल से एक आलीशान कार में बैठकर रवाना हुआ था, जिसकी जानकारी चंद्रपुर पुलिस ने कोल्हापुर पुलिस को दी थी। इन्हीं सबूतों के आधार पर कोल्हापुर पुलिस ने कोरटकर को तेलंगाना के मंचेरियाल से गिरफ्तार किया।
अब सवाल उठ रहा है कि कोंडावार की इस भूमिका पर क्या कार्रवाई होगी? क्या वह इस साजिश में अकेले थे, या उनके साथ और भी अधिकारी शामिल थे?
क्या गिर सकती है कोंडावार पर गाज?
इस मामले में महेश कोंडावार की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। उनपर जल्द ही कड़ी कार्रवाई होने की संभावना जताई जा रही है। अगर जांच में पुष्टि हो जाती है कि उन्होंने कोरटकर को शरण दी थी, तो उनपर न केवल विभागीय कार्रवाई होगी, बल्कि उनकी गिरफ्तारी भी संभव है।
अब सबकी निगाहें जांच रिपोर्ट पर टिकीं!
फिलहाल, इस मामले में पुलिस विभाग और प्रशासन की साख पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जनता यह जानना चाहती है कि क्या कानून सबके लिए समान है, या फिर रसूखदार अपराधी पुलिस के संरक्षण में खुलेआम घूम सकते हैं?
इस पूरे प्रकरण पर महाराष्ट्र की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है। अब देखना होगा कि महेश कोंडावार पर आखिर कब और क्या कार्रवाई होती है?