चंद्रपुर जिले के गोंडपिपरी तहसील में एक राष्ट्रीय पार्टी द्वारा हाल ही में सामूहिक ‘रक्षाबंधन’ और महिला सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। यह पवित्र त्योहार जो भाई-बहन के रिश्ते में मिठास बढ़ाने के लिए मनाया जाता है, इस अवसर पर कार्यक्रम आयोजित तो किया गया लेकिन, प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, महिला सम्मान समारोह को दरकिनार करते हुए रक्षाबंधन के नाम पर राजनीतिक खेल खेला गया। मराठी दैनिक पुण्यनगरी में प्रकाशित एक खबर के अनुसार यह दावा किया गया है कि रक्षाबंधन के मौके पर उपहार का लालच दिखाने के बाद, कार्यक्रम में आई बहनों के गले में पार्टी के दुपट्टे डालकर सदस्यता की औपचारिकताएं पूरी की गईं। इतना ही नहीं, सभागृह के मुख्य द्वार पर ताला लगाने के कारण विरोध करने वाली महिलाएं बाहर नहीं निकल सकीं। इस दौरान मौन रहीं महिलाएं स्थिति से परेशान हो गईं, जिसके चलते दादा का ‘प्यार’ सैकड़ों प्यारी बहनों के ‘दिलों’ पर वार कर गया, ऐसी चर्चा गोंडपिपरी के राजनीतिक हलकों में जोर पकड़ रही है।
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वोटरों को रिझाने सरकारी महिला विभाग का दादा ने किया (दुरु) उपयोग
दैनिक पुण्यनगरी अखबार में प्रकाशित समाचार के अनुसार बालकों और गर्भवती माताओं की देखभाल के लिए आशा कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी सेविका और सहायिका मामूली मानदेय पर काम करती हैं। चुनाव नजदीक आते ही मेलों का व्यापक रूप से आयोजन कर इन्हें वोटों में बदलने की कोशिशें की जाती हैं। सामाजिक कार्यक्रम की आड़ में राजनीतिक आयोजन और कार्यक्रम आयोजित करने का ‘फैशन’ हाल ही में बढ़ा है। इस सिलसिले में, ‘दादा’ की पार्टी भी पीछे नहीं रही। उन्होंने महिला विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया। अधिकारियों ने भी अपने अधीनस्थों को ‘टारगेट’ दिया। यह सब मौखिक निर्देशों के आधार पर हुआ और कोई लिखित आदेश जारी नहीं किया गया।
‘दादा’ की करतूत से नाराज होकर चले गये अधिकारी
बताया जाता है कि सामाजिक कार्यक्रम के नाम पर महिला कर्मचारियों को भी बुलाया गया। संबंधित अधिकारियों द्वारा सुबह 11 बजे कार्यक्रम में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए। लेकिन, जब कार्यक्रम की वास्तविकता सामने आई, तो वरिष्ठ अधिकारी नाराज होकर सभागृह से चले गए। इस दौरान आशा कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी सेविका, सहायिका आदि को विभिन्न सरकारी लाभों के साथ महिला सम्मान, उपहार और स्वादिष्ट भोजन का प्रलोभन देकर कार्यक्रम में बुलाया गया था, यह चर्चा भी आम है। वहीं, खाली टिफिन बॉक्स और पार्टी के पट्टे के साथ महिलाओं को खाली हाथ लौटना पड़ा, यह कई लोगों ने खुलकर कहा। भीड़ के कारण कुछ बहनों को उपहार से भी वंचित रहना पड़ा।
बंधन बनाने वाले ‘दादा’ पर क्या पुलिस कर पाएगी कानूनी कार्रवाई ?
पुण्यनगरी अखबार में दावा किया गया है कि राजुरा विधानसभा के लिए ‘नया खिलाड़ी, नई चाल’ की कोशिश के तहत ‘दादा’ को प्यारी बहनों की याद आई। लेकिन, कार्यक्रम में आयी बहनों को बेवजह परेशानियों का सामना करना पड़ा। सभागृह के मुख्य द्वार पर ताला लगने की चर्चा कार्यक्रम के दौरान चलने लगी। जिन महिलाओं की इस कारण से मनोकामना पूरी नहीं हुई, वे कार्यक्रम से बाहर नहीं निकल सकीं, यह अब उनके ही दायरे में चर्चा का विषय बन गया है। यदि सभागृह को ताला जड़ने की बात में थोड़ी भी सच्चाई है तो यह काफी गंभीर मामला है। महिलाओं को बंधक बनाकर, उनके गले में राजनीतिक दल का दुपट्टा पहनाने की करतूत वाकई में शर्मनाक है। बंधक बनाने की वारदात यकीनन अपराध के दायरे में आती है। ऐसे में क्या इस मामले की उचित जांच होगी ? क्या पुलिस इस प्रकरण को गंभीरता से लेकर दादा के खिलाफ कोई कार्रवाई कर पाएगी, यह सवाल अब जिले की आम जनता पूछने लगी है।