लगता है कि अब चंद्रपुर जिले में भाजपा नेता हंसराज अहीर का दौर फिर एक बार लौट आने के लिए दस्तक दे रहा है। कल तक कस्तूरबा मार्ग की अहीर गली जो सूनसान पड़ी थी, अब अचानक से भाजपा कार्यकर्ताओं की भीड़ से गूलजार होने लगी है। अहीर गली की चकाचौंध लगातार बढ़ने लगी। यूं लगता है कि पूर्व केंद्रीय गृहराज्य मंत्री हंसराज अहीर का हर राजनीतिक दांव सटीकता से सही निशाने पर लग रहा है। एक एक करके अहीर की ताकत अनेक गुना बढ़ती चली जा रही है।
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पिछले कुछ माह में ऐसा कुछ हुआ कि भाजपा का खेमा अब अहीर का रुख करने लगा है। संसदीय चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सुधीर मुनगंटीवार का ढाई लाख से अधिक वोटों से हार जाना, किशोर जोरगेवार के प्रखर विरोध के बावजूद दिल्ली आलाकमान द्वारा उन्हें भाजपा की टिकट मिलना, विधानसभा चुनावी प्रचार में देवेंद्र फडणवीस का झूकाव अहीर गुट पर होना, राज्य के नवगठित मंत्रिमंडल में सुधीर मुनगंटीवार को दरकिनार किया जाना, फडणवीस की सभाओं में मुनगंटीवार की अनुपस्थिति और अहीर का वर्चस्व और अब हंसराज अहीर के बेहद करीबी तथा रालेगांव के भाजपा नेता अशोक उईके को चंद्रपुर जिले के पालकमंत्री की कमान सौंपना, इस बात की ओर स्पष्ट इशारा करते हैं कि राजनीतिक शतरंज के फांसे पलटने लगे हैं। जो कार्यकर्ता कल तक मुनगंटीवार के खेमे में नजर आते रहे, वे अब अहीर के आशियाने के चक्कर काटने लगे हैं। ज्ञात हो कि अशोक उईके की जीत और अनेक मौकों पर अहीर उनके साथ स्पष्टता से देखे गये। उईके का चंद्रपुर पालकमंत्री बनना यह अहीर गुट की जीत को सुनिश्चित करता है।
7 बार की विधायकी पर भारी पड़ गये उईके
विधायक अशोक उईके को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी और विश्वासपात्र नेता के तौर पर पहचाना जाता है। यवतमाल जिले के राळेगांव विधानसभा क्षेत्र से उईके लगातार तीसरी बार जीत हासिल कर चुके हैं। उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व शिक्षामंत्री वसंत पुरके को तीन बार पराजित कर यह उपलब्धि हासिल की है। वहीं इधर, 7 बार विधायक बने भाजपा के दिग्गज नेता सुधीर मुनगंटीवार को अपने ही गृह जिले में पतन की ओर बढ़ना पड़ा। 7 बार विधायकी का ताज संभालने के बावजूद 3 बार विधायक बने अशोक उईके को फड़णवीस सरकार ने न केवल मंत्री बनाया बल्कि चंद्रपुर जिले का पालकमंत्री बनाकर एक राजनीतिक संदेश दिया है। यह संदेश भाजपा के भितर चर्चाओं का तूफान ला दिया है।
15 साल बाद जिले की कमान बाहरी शख्स के हाथों में
1995 में मनोहर जोशी सरकार के दौरान जिले की वरिष्ठ बीजेपी नेत्री शोभा फडणवीस को कैबिनेट मंत्री बनाया गया और उन्हें जिले के अभिभावक मंत्री पद की जिम्मेदारी भी दी गई थी। इसके बाद, 1999 से 2008 तक पूरे 9 साल जिले को मंत्री पद से वंचित रखा गया। अब इस जिले के पालकमंत्री पद की जिम्मेदारी बाहरी व्यक्ति को सौंपी गई है। 2010 में जिले के संजय देवतले, 2014 में सुधीर मुनगंटीवार, 2019 में विजय वडेट्टीवार और 2022 में सुधीर मुनगंटीवार पालक मंत्री बने।