भारतीय जनता पार्टी (BJP) चंद्रपूर में इस समय जिस तरह दो गुटों में विभाजित नज़र आ रही है, वह किसी सामान्य राजनीतिक मतभेद का परिणाम नहीं, बल्कि सत्ता और संगठन पर नियंत्रण की खुली जंग बन चुकी है। वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वनमंत्री सुधीर मुनगंटीवार और विधायक किशोर जोरगेवार के बीच वर्षों पुराना टकराव अब एक निर्णायक दौर में पहुँच चुका है, जहाँ पार्टी के भीतर ही ‘सत्ता बनाम सम्मान’ का संघर्ष खुलकर सामने आ गया है।
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इस पूरे घटनाक्रम की पृष्ठभूमि 2014 में लिखी गई, जब किशोर जोरगेवार ने पार्टी छोड़ दी थी। यद्यपि 2024 में उन्होंने भाजपा में ‘घरवापसी’ की, परंतु संगठन के भीतर उनका पुराना ‘बाग़ी’ स्वरूप अब भी उनके साथ चिपका हुआ है। दूसरी ओर मुनगंटीवार गुट, जिसने वर्षों तक संगठन पर मजबूत पकड़ बनाए रखी है, अभी भी उसी प्रभाव को बनाए रखने की कोशिश में है।
राज्य नेतृत्व ने 20 मार्च को नई कार्यकारिणी के गठन के निर्देश दिए थे, लेकिन 10 अप्रैल तक मंडल अध्यक्षों की घोषणा और 20 अप्रैल तक पूरी शहर कार्यकारिणी तय करने की समयसीमा के बावजूद, बूथ स्तर की तैयारियाँ तक अधूरी पड़ी हैं। इसका सबसे बड़ा कारण दोनों गुटों की आपसी खींचतान है, जिसने संगठन की गति को जकड़ रखा है।
महानगर अध्यक्ष पद को लेकर दोनों गुटों ने अपने-अपने प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं। मुनगंटीवार खेमे से राहुल पावडे, विशाल निंबाळकर, सूरज पेद्दलवार और प्रज्जल कडू जैसे नाम चर्चा में हैं, जबकि जोरगेवार पक्ष से दशरथसिंग ठाकूर, सुभाष कासनगोडूवार और अमोल शेंडे की दावेदारी की जा रही है। लेकिन जब तक संगठनात्मक ढांचा ही अस्तित्व में नहीं आता, तब तक यह रस्साकशी केवल भ्रम और बिखराव ही उत्पन्न करेगी।
इस राजनीतिक खींचतान का सबसे बड़ा खामियाजा समर्पित कार्यकर्ताओं और आम कार्यसमिति को उठाना पड़ रहा है, जो न केवल नेतृत्व के संकेतों के इंतज़ार में हैं, बल्कि भविष्य को लेकर असमंजस में भी हैं। यह संघर्ष पार्टी की छवि को भी धूमिल कर रहा है, खासकर उस समय जब नगर पालिका जैसे अहम चुनाव सामने हैं।
भाजपा जैसी अनुशासन और संगठित कार्यप्रणाली के लिए प्रसिद्ध पार्टी यदि आंतरिक कलह में उलझी रह गई, तो इसका असर केवल चुनावों में नहीं, बल्कि जनता के विश्वास पर भी पड़ेगा। नेतृत्व को चाहिए कि वह जल्द से जल्द हस्तक्षेप कर, संगठन को दिशा दे और गुटबाज़ी की जगह समन्वय को प्राथमिकता दे—वरना चंद्रपूर में ‘अपने ही अपने के खिलाफ’ की तस्वीर पार्टी के लिए महँगी साबित हो सकती है।