चंद्रपुर जिले के घुग्घूस शहर में भाजपा के भीतर भारी उथल-पुथल मची हुई है। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही पार्टी में असंतोष का माहौल गहरा गया है। राजुरा के नवनिर्वाचित विधायक के प्रति बढ़ती निष्ठा और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के प्रति नाराजगी के चलते कई वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता पार्टी नेतृत्व परिवर्तन की मांग कर रहे हैं। इस अंतर्कलह ने नगर परिषद चुनावों से पहले घुग्घूस भाजपा में एक बड़े भूचाल की स्थिति पैदा कर दी है।
Whatsapp Channel |
भाजपा कार्यकर्ताओं में असंतोष क्यों?
भाजपा कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं का आरोप है कि शहर का शीर्ष नेतृत्व केवल अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति में लगा रहा। स्थानीय नेताओं और निष्ठावान कार्यकर्ताओं को नज़रअंदाज़ किया गया, जबकि अपने करीबी लोगों को ही फायदा पहुँचाने की नीति अपनाई गई।
कार्यकर्ताओं की अनदेखी: वरिष्ठ कार्यकर्ताओं का कहना है कि भाजपा नेतृत्व सिर्फ अपने करीबी लोगों को रोजगार और पद दे रहा था, जबकि पार्टी के पुराने निष्ठावान कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर दिया गया।
चुनावी प्रदर्शन की गिरावट: हाल के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशियों को घुग्घूस में कांग्रेस प्रत्याशियों से भी कम वोट मिले, जिससे पार्टी के भीतर नाराजगी और असंतोष बढ़ गया।
जनता से दूरी: कार्यकर्ताओं का आरोप है कि शहर का शीर्ष नेतृत्व जनता से जुड़ाव बनाने में विफल रहा, जिसके कारण चुनावों में पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली।
भाजपा में गुटबाजी या नेतृत्व परिवर्तन की मांग?
वर्तमान स्थिति को लेकर भाजपा के भीतर दो मत उभरकर आ रहे हैं। एक ओर कुछ नेता इसे पार्टी के भीतर गुटबाजी मान रहे हैं, तो दूसरी ओर कई वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह नेतृत्व परिवर्तन की स्वाभाविक मांग है।
विरोध के सुर: पार्टी के असंतुष्ट नेताओं का कहना है कि जो नेता शिक्षक रहते हुए अपने छात्रों को न्याय नहीं दिला सकता, वह भाजपा कार्यकर्ताओं के हितों की रक्षा कैसे करेगा?
मिलनसार नेतृत्व की मांग: कार्यकर्ताओं का मानना है कि भाजपा को एक ऐसा नेतृत्व चाहिए, जो कार्यकर्ताओं को एकजुट रख सके और जनता से सीधे संवाद कर सके।
नेता का जन्मदिन और राजनीतिक समीकरण
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता, जो पहले कांग्रेस समर्थित ग्राम पंचायत चुनाव जीत चुके थे और बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे, उनका जन्मदिन इस बार अलग ही अंदाज में मनाया गया। भाजपा के विभिन्न गुटों ने शहर में अलग-अलग स्थानों पर केक काटकर और आतिशबाजी कर उनके जन्मदिन को भव्य रूप में मनाया।
यह कदम राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह संकेत देता है कि पार्टी के भीतर की गुटबाजी को रोकने और वरिष्ठ नेताओं को अपने पक्ष में बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसा पहली बार देखने को मिला कि एक भाजपा नेता के जन्मदिन को इस तरह धूमधाम से मनाया गया, जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि पार्टी के भीतर समीकरण बदल रहे हैं।
भाजपा अध्यक्ष पद पर रस्साकशी – कौन होगा नया अध्यक्ष?
अब भाजपा कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं की निगाहें इस बात पर टिकी हुई हैं कि पार्टी का अगला शहर अध्यक्ष कौन होगा?
नए नेतृत्व की आवश्यकता: कार्यकर्ताओं का मानना है कि आगामी नगर परिषद चुनावों को ध्यान में रखते हुए भाजपा को एक ऐसा अध्यक्ष चाहिए, जो न केवल पार्टी को मजबूत करे, बल्कि कार्यकर्ताओं को एकजुट भी रख सके।
आंतरिक रस्साकशी: भाजपा के विभिन्न गुट अपने-अपने पसंदीदा नेता को शहर अध्यक्ष बनाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं।
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को जल्द ही इस राजनीतिक संकट का समाधान निकालना होगा। अगर कार्यकर्ताओं की नाराजगी बनी रही, तो आगामी नगर परिषद चुनावों में भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
आगामी चुनावों पर प्रभाव: यदि भाजपा नेतृत्व इस संकट का समाधान नहीं निकाल पाता, तो इसका सीधा फायदा कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों को मिलेगा। पार्टी में आंतरिक कलह बनी रही, तो भाजपा का परंपरागत वोट बैंक भी खिसक सकता है।
घुग्घूस भाजपा में मची हलचल यह संकेत दे रही है कि पार्टी के भीतर नेतृत्व परिवर्तन की जरूरत महसूस की जा रही है। भाजपा कार्यकर्ताओं और वरिष्ठ नेताओं में असंतोष बढ़ रहा है, और अगर इसे समय रहते नहीं सुलझाया गया, तो आगामी नगर परिषद चुनावों में पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस संकट से कैसे निपटता है और क्या घुग्घूस को जल्द ही नया शहर अध्यक्ष मिलता है?