चंद्रपुर की राजनीति में पोस्टर पॉलिटिक्स कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब यह सत्तारूढ़ दल के ही दो विधायकों के बीच हो, तो यह चर्चा का विषय बन जाता है। चंद्रपुर जिले में महाकाली यात्रा को लेकर भाजपा के दो कद्दावर नेताओं—बल्लारपुर विधानसभा के विधायक सुधीर मुनगंटीवार और चंद्रपुर के विधायक किशोर जोरगेवार—के बीच राजनीतिक खींचतान चरम पर पहुंच गई है। दोनों ही नेता यात्रा की तैयारी और उससे जुड़े विकास कार्यों को लेकर अपने-अपने दावे पेश कर रहे हैं, जिससे यह विवाद अब ‘पोस्टर वॉर’ तक पहुंच गया है।
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यात्रा की तैयारी बनी सियासी अखाड़ा
चंद्रपुर में महाकाली माता की यात्रा एक प्रमुख धार्मिक आयोजन है, जिसे लेकर हर साल बड़ी तैयारियां की जाती हैं। इस बार यात्रा को लेकर दो विधायकों के बीच वर्चस्व की लड़ाई छिड़ गई है। जहां सुधीर मुनगंटीवार ने झरपट नदी के सौंदर्यीकरण और स्वच्छता के लिए सरकार से 2.90 करोड़ रुपये की मंजूरी दिलवाई, वहीं किशोर जोरगेवार यात्रा के प्रबंधन को लेकर लगातार प्रशासन के साथ बैठकें कर रहे हैं और उसकी तैयारी में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।
दोनों ही नेता यात्रा के आयोजन में अपनी भूमिका को जनता के सामने प्रमुखता से रखना चाहते हैं, जिससे यह प्रतिद्वंद्विता अब खुलकर सामने आ गई है।
पोस्टर वॉर: ‘कौन बड़ा, कौन आगे?’
इस सियासी लड़ाई ने अब पोस्टर युद्ध का रूप ले लिया है। महाकाली मंदिर परिसर में किसका पोस्टर बड़ा होगा, किसका बोर्ड प्रमुख जगह पर लगेगा, और किसके पोस्टर के सामने किसका पोस्टर रहेगा—इन्हीं मुद्दों पर दोनों नेताओं के समर्थक आमने-सामने हैं।
एक ओर सुधीर मुनगंटीवार के समर्थकों ने यात्रा में उनके योगदान को उजागर करने के लिए बड़े-बड़े पोस्टर लगाए हैं, वहीं दूसरी ओर किशोर जोरगेवार के समर्थक यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि यात्रा के आयोजन की कमान उन्हीं के हाथ में है।
‘एक ही पार्टी, दो खेमे’
भाजपा के अंदर इस तरह का खुला टकराव पार्टी के लिए चिंता का विषय बन सकता है। दोनों ही विधायक सत्तारूढ़ दल के हैं, फिर भी वे एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। इस पोस्टर पॉलिटिक्स के चलते चंद्रपुर का स्थानीय राजनीतिक माहौल गरमा गया है, और भाजपा के अंदर गुटबाजी की चर्चा तेज हो गई है।
स्थानीय राजनीति पर असर
इस विवाद का असर चंद्रपुर की राजनीति पर लंबे समय तक रह सकता है। चूंकि दोनों ही नेता भाजपा के प्रमुख चेहरे हैं, ऐसे में यह टकराव पार्टी की आंतरिक एकता पर सवाल खड़े कर सकता है। अगर यह विवाद समय रहते नहीं सुलझा, तो इसका असर आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है।
क्या पार्टी नेतृत्व करेगा हस्तक्षेप?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस टकराव को कैसे संभालता है। क्या दोनों विधायकों को साथ बैठाकर विवाद को खत्म किया जाएगा, या फिर यह गुटबाजी और गहरी होगी? फिलहाल, महाकाली यात्रा की तैयारियों से ज्यादा चर्चा इस राजनीतिक लड़ाई की हो रही है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि चंद्रपुर की राजनीति में पोस्टर पॉलिटिक्स का दौर जारी है।
चंद्रपुर में महाकाली यात्रा को लेकर भाजपा के दो विधायकों के बीच छिड़ी वर्चस्व की लड़ाई ने यह साबित कर दिया है कि राजनीति में अपने प्रभाव को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण होता है। यात्रा से जुड़े विकास कार्यों और तैयारियों की जगह अब पोस्टर पॉलिटिक्स सुर्खियों में है। जनता भले ही यात्रा में आस्था के साथ शामिल होगी, लेकिन नेताओं के बीच की यह लड़ाई स्थानीय राजनीति में नए समीकरण जरूर बना सकती है।