भाजपा के अंदर सत्ता कब्जे को लेकर गुटबाजी गरमा गई है। चंद्रपूर शहर और राजुरा विधानसभा क्षेत्र में मंडल अध्यक्ष पदों को लेकर विधायक सुधीर मुंगंटीवार के विरोधी सक्रिय हो गए हैं। इस मामले में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने हस्तक्षेप किया है, जिसके बाद चुनाव प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया था। अब शुक्रवार को प्रदेश निरीक्षकों की मौजूदगी में दोबारा चुनाव होने हैं, लेकिन इससे पहले ही मुंगंटीवार विरोधियों ने मोर्चा संभाल लिया है।
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क्या है विवाद?
जिला कार्यकारिणी के पुनर्गठन की प्रक्रिया समय पर पूरी नहीं हो पाई, खासकर चंद्रपूर शहर में मंडल अध्यक्षों का चयन लंबित था। इसके बाद शहर की 5 और ग्रामीण की 1 मंडल के लिए नामांकन हुए, लेकिन प्रदेश भाजपा की बैठक में विधायक किशोर जोरगेवार और पूर्व विधायक संजय धोटे ने आरोप लगाया कि “पार्टी प्रक्रिया की अनदेखी करके गुटबाजी की गई है।”
जोरगेवार और धोटे का आरोप है कि –
-» “हमें विश्वास में नहीं लिया गया।”
-» “पार्टी मानकों पर खरे न उतरने वाले लोगों को चुनाव में शामिल किया गया।”
इन आरोपों के बाद चंद्रपूर शहर और राजुरा विधानसभा क्षेत्र की मंडल अध्यक्ष चुनाव प्रक्रिया रद्द कर दी गई और 25 अप्रैल को नए सिरे से चुनाव कराने का फैसला हुआ।
आज होगा फिर चुनाव, मुकाबला
शुक्रवार को चंद्रपूर के श्यामाप्रसाद मुखर्जी वाचनालय में प्रदेश महामंत्री विक्रांत पाटील और विधायक रणवीर सावरकर की उपस्थिति में मंडल अध्यक्षों का चयन होगा। जोरगेवार का दावा है कि “इस बार केवल योग्य मतदाताओं को ही वोटिंग का अधिकार मिलेगा।” वहीं, मुंगंटीवार समर्थकों का कहना है कि पहले की सूची ही नियमों के अनुसार थी, इसलिए कोई बदलाव नहीं होगा।
दोनों गुटों ने जमाया दबाव
-» मुंगंटीवार गुट: शहर अध्यक्ष राहुल पावड़े के नेतृत्व में स्थानिक विश्रामगृह पर बैठक हुई।
-» विरोधी गुट: किशोर जोरगेवार और संजय धोटे ने जलराम मंदिर में पदाधिकारियों की बैठक बुलाई।
क्यों है यह चुनाव इतना अहम?
चंद्रपूर जिले में भाजपा की कार्यकारिणी पर लंबे समय से मुंगंटीवार का दबदबा रहा है। शहर और ग्रामीण अध्यक्ष पदों पर उनके करीबियों का कब्जा रहा है। लेकिन अब विरोधी गुट ने “कार्यकारिणी पर कब्जे” की पूरी तैयारी कर ली है।
कैसे होती है मंडल अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया?
1. सदस्यता अभियान: नए सदस्य जोड़े जाते हैं, पुरानों का नवीनीकरण होता है।
2. सक्रिय कार्यकर्ताओं की सूची बनाई जाती है।
3. निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं।
4. सहमति से चयन का प्रयास होता है, नहीं तो मतदान कराया जाता है।
5. शीर्ष 3 नाम प्रदेश भाजपा को भेजे जाते हैं।
आगे क्या?
आज का चुनाव निर्णायक साबित हो सकता है। अगर मुंगंटीवार का वर्चस्व कायम रहा, तो उनकी ताकत और बढ़ेगी। वहीं, अगर विरोधी गुट सफल रहा, तो जिले में भाजपा की राजनीति का नक्शा बदल सकता है।
देखते हैं, आज शाम तक किसके हाथ लगती है जीत!
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