बीते 3 सितंबर को ‘चंद्रपुर Tak’ ने एक प्रकरण को उजागर किया। राजनीतिक खेमों में हलचल मच गई। घुग्घुस (Ghugus) की एक सरकारी भूमि (Government Land) जिसकी कीमत करोड़ों में हैं, उस पर भाजपा (BJP) की ओर से बरसों से अतिक्रमण किया गया था। किंतु किसी अफसर ने इस अतिक्रमण को ध्वस्त करने की हिम्मत नहीं दिखाई। घुग्घुस शहर के असंख्य दुकानों को अतिक्रमण के नाम पर तोड़ दिया गया। इस बीच घुग्घुस नगर परिषद में एक पत्र आ धमका। इस पत्र को लेकर राजनीतिक षड़यंत्र की बू आने लगी। मियाद समाप्ति के बाद इसे जाहिरनामा नोटिस के तौर पर नोटिस बोर्ड पर चिपका दिया गया। नागरिकों को आपत्ति उठाने का मौका ही नहीं मिला। जब ‘चंद्रपुर Tak’ ने मामले का पर्दाफाश किया तो कांग्रेस भी मैदान में कूद पड़ी। जिलाधीश से शिकायत और पत्रकार परिषदों का दौर चल पड़ा। अब यह मामला कांग्रेस सांसद प्रतिभा धानोरकर (Congress MP Pratibha Dhanorkar) के दरबार में पहुंचा। उनके एक विवादित बयान को लेकर वरोरा (Warora) में उनके खिलाफ भाजपा के महिला संगठनों ने तीव्र निषेध जताया था। अब पलटवार करने की बारी कांग्रेस की थी। ऐसे में सांसद धानोरकर कहां पिछे रह सकती थी। उन्होंने ने भी मौके का भरपूर फायदा उठाते हुए अपना एक लेटर बम जिलाधिकारी के कोर्ट में डाल दिया। इसके बाद तो भाजपा के नेताओं और खासकर घुग्घुस के भाजपाईयों में खलबली मच गई है।
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कलेक्टर को दिये पत्र में क्या कहा धानोरकर ने ?
सांसद प्रतिभा धानोरकर के कार्यालय की ओर से जारी किये गये अधिकारिक प्रेसनोट में कहा गया है कि चंद्रपुर जिले में अतिक्रमण हटाने का अभियान चल रहा है, लेकिन क्या कुछ राजनीतिक दलों को जानबूझकर छूट दी जा रही है? इस सवाल को सांसद प्रतिभा धानोरकर ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र के माध्यम से उठाया है। जिसमें उन्होंने घुग्घुस के सर्वे नं. 17 में राजनीतिक दल द्वारा अतिक्रमित की गई जमीन पर ध्यान दिलाया है। चंद्रपुर और घुग्घुस शहरों में प्रशासन द्वारा न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए अतिक्रमण हटाने का अभियान जारी है। इसमें आम नागरिकों के अतिक्रमण हटाए जा रहे हैं। लेकिन, घुग्घुस के सर्वे नं. 17 में एक राजनीतिक दल का सेवा केंद्र चल रहा है जिसे प्रशासन का संरक्षण क्यों प्राप्त है, यह सवाल सांसद धानोरकर ने पूछा है।
संस्था प्रमुख ही नहीं जाते स्कूल, वडेट्टीवार भी हुए थे फेल !
घुग्घुस नायब तहसील कार्यालय के सामने वाली राजस्व विभाग की खुली जगह पर BJP ने न केवल अतिक्रमण किया, बल्कि यहां के स्थानीय नेताओं ने यहां सुधीरभाऊ मुनगंटीवार सेवा केंद्र नाम से एक उपक्रम शुरू कर दिया। इसे अब लीगल बनाने प्रशासनीक खेल शुरू किया गया। और चंद्रपुर तहसील प्रशासन मेहरबान हो गया। समृद्धि लोककल्याणकारी संस्था घुग्घुस की ओर से अध्यक्ष किरण विवेक बोढे ने घुग्घुस के सर्वे क्रमांक 17 की 0.43 हेक्टेयर आर जगह को संस्था के वाचनालय के निर्माण के लिए किराये के तत्व पर प्राप्त करने हेतु तहसील प्रशासन के पास आवेदन किया। इस आवेदन पर चंद्रपुर के तहसीलदार ने जाहिरनामा निकालते हुए लिखित आपत्तियां पेश करने की सूचना की अंतिम मियाद 30 अगस्त 2024 को तय की। यह जाहिरनामा 8 अगस्त 2024 को निकाला गया। परंतु यह पत्र घुग्घुस नगर परिषद में मियाद के अंतिम दिन अर्थात 30 अगस्त 2024 को ही पहुंच पाया। घुग्घुस नप के मुख्याधिकारी को 2 सितंबर 2024 को यह प्राप्त हुआ। अब इस प्रकरण में सांसद धानोरकर का कहना है कि राजनीतिक दल से जुड़े व्यक्ति द्वारा की गई थी, जिनकी पत्नी (किरण विवेक बोढे) एक संस्था से संबद्ध हैं। यह संस्था शिक्षण क्षेत्र से जुड़ी है, लेकिन संस्था प्रमुख (विवेक बोढे) स्कूल नहीं जाते। आपको याद ही होगा कि विवेक बोढ़े साखरवाही के एक स्कूल में टीचर हैं। लेकिन उनकी कक्षा के बच्चे उन्हें पहचानते तक नहीं। क्योंकि उन्होंने अपनी जगह पर एक किराये का टीचर रख लिया था। वे नागपुर, मुंबई में राजनीतिक दौरे करते हैं, मुख्यमंत्री से भेंट करते हैं। और ठीक उसी समय उनकी हाजरी स्कूल में भी लग जाती है। वे मोठी रकम सरकार से वेतन के रूप में भी उठाते हैं। इस मामले को विरोधी दल नेता विजय वडेट्टीवार (Opposition leader Vijay Wadettiwar) ने विधानसभा (Maharashtra Assembly) में उठाया था। लेकिन वडेट्टीवार इस घोटाले पर फर्जी शिक्षक और शिक्षा क्षेत्र के फ्रॉड मामले में भाजपा नेता का बाल भी बांका नहीं कर पाये। परंतु यह मुद्दा अब सांसद प्रतिभा धानोरकर ने उछालकर विधानसभा चुनावों की सरगर्मी को बढ़ा दिया है।
सांसद ने कलेक्ट्रेट को दी आंदोलन की चेतावनी
सांसद धानोरकर ने पूछा है कि यह जानबूझकर किया गया है या नहीं। साथ ही, उन्होंने यह सवाल भी उठाया है कि जब आम नागरिकों को जमीन नहीं मिल रही है, तो एक संस्था को 0.43 हेक्टेयर जमीन किराए पर कैसे दी जा सकती है? सांसद धानोरकर ने जिलाधिकारी से तत्काल अतिक्रमण हटाने और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है, अन्यथा उन्होंने आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
राजनीतिक लाभ पहुंचाने चंद्रपुर तहसील प्रशासन मुस्तैद
ज्ञात हो कि घुग्घुस शहर के नायब तहसील कार्यालय के सामने बीते कुछ वर्षों से राजस्व विभाग की भूमि पर एक राजनीतिक दल की ओर से अतिक्रमण कर वहां सेवा केंद्र चलाया जा रहा है। इस अतिक्रमित जगह को अब लीगल चोला ओढ़ाने के लिए चंद्रपुर के तहसील प्रशासन की ओर से तुगलकी कार्य शुरू हो गया है। सत्ताधारियों या यूं कहे राजनीतिक दल पर असिम कृपा और अपनी प्रशासनीक सेवा(लाभ) मुहैया कराने के लिए चंद्रपुर तहसीलदार ने 8 अगस्त 2024 को एक जाहिरनामा घोषित किया। इस जाहिरनामे पर आपत्तियां पेश करने की मियाद 30 अगस्त 2024 तय की गई। लेकिन सबसे ज्यादा हैरत की बात यह है कि उक्त जाहिरनामा का पत्र घुग्घुस नगर परिषद को डेडलाइन समाप्ति के अंतिम दिन अर्थात 30 अगस्त को प्राप्त हुआ। यह पत्र घुग्घुस नगर परिषद के मुख्याधिकारी तक पहुंचा 2 सितंबर 2024 को। असल में यह जाहिरनामा जनता के लिए था ही नहीं। यह चंद्रपुर तहसील प्रशासन का तुगलकी फरमान साबित हुआ।