Public Vigilance Exposes Cash-for-Votes Scandal in Rajura Assembly Elections | BJP Voter Influence Under Scrutiny”
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राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर प्रत्येक उम्मीदवार को अपने चुनावी प्रचार के लिए 40 लाख रुपये धन खर्च करने की मर्यादा तय की है। लेकिन जहां जिले का पुलिस प्रशासन एवं चुनाव विभाग इस चुनाव में नोट बांटने के गंदे खेल को रोकने में कमजोर पड़ता दिखाई दिया, वहीं जनता स्वयं ही सामने आकर लोकतंत्र को कलंकित करने एवं नोट से वोट खरीदने के कुकर्मों का पर्दाफाश किया और संबंधित आरोपियों को पुलिस के हवाले कर दिया। बाकायदा इसकी शिकायत चुनाव आयोग से भी की गई। परंतु सवाल यह उठता है कि जब प्रत्येक उम्मीदवार के लिए खर्च की मर्यादा 40 लाख रुपये हैं, तब राजुरा विधानसभा क्षेत्र में उजागर हुए मामले में भाजपा कार्यकर्ताओं के पास 62 लाख रुपयों से अधिक की राशि आयी कहां से ? इस अवैध धन का स्त्रोत क्या है ? इस राशि का असली मालिक कौन है ? यह राशि आयकर में दर्शाये गये धन से मेल खाती है या इसे हवाला के माध्यम से हासिल किया गया है। जब्त लाखों रुपये आखिर कौनसे माध्यम से कमाये गये है ? यह सवाल आम नागरिकों को सताने लगा है। जबकि पुलिस एवं चुनाव विभाग की ओर से अब तक इस अवैध धन के स्त्रोत पर कोई अधिकारिक जानकारी मीडिया को नहीं दी गई है।
राजुरा विधानसभा क्षेत्र में एक बड़ी कार्रवाई के तहत स्थानीय जागरूक नागरिकों ने चुनाव आयोग के माध्यम से बाहरी लोगों और बाउंसरों की उपस्थिति के जरिए मतदाताओं को पैसे बांटने की साजिश का खुलासा किया। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राजुरा विधानसभा प्रमुख अरुण निमजे की शिकायत के आधार पर यह कार्रवाई की गई। शिकायत के अनुसार, पूरे विधानसभा क्षेत्र के हर गांव में बाहरी पुरुषों और महिलाओं के जरिए पैसे बांटने की योजना बनाई जा रही थी।
रातभर चली जांच, बड़ी रकम बरामद
जागरूक ग्रामीणों की मदद से चुनाव आयोग की टीम ने पूरी रात छापेमारी और जांच कर इस गड़बड़ी का पर्दाफाश किया। बरामद राशि को आयोग की हिरासत में सौंप दिया गया है। इस घटना ने चुनाव की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इतना पैसा आखिर आया कहां से?
भाजपा उम्मीदवार देवराव भोंगले के ठिकाने एवं उनके कार्यकर्ताओं से जुड़ी इस बड़ी रकम की बरामदगी ने विपक्ष को आक्रामक बना दिया है। विपक्षी दल पूछ रहे हैं, “इतनी बड़ी राशि आखिर कहां से आई?” इस घटना ने राजुरा विधानसभा चुनाव का माहौल गरमा दिया है, और अब सभी की नजरें चुनाव आयोग के अगले कदम पर टिकी हैं।
“चुनाव के दिन सतर्क रहें” – कांग्रेस उम्मीदवार सुभाष धोटे
कांग्रेस उम्मीदवार सुभाष धोटे ने इस घटना पर भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “भाजपा की नीति ‘सत्ता से पैसा और पैसे से सत्ता’ है। भाजपा उम्मीदवार पूरे विधानसभा क्षेत्र के गांव और शहरों में पैसे के बल पर चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे हैं।” उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं और मतदाताओं से अपील की कि वे सतर्क रहें और इस तरह की साजिश को विफल करें। साथ ही मतदाताओं से विकास के नाम पर कांग्रेस को वोट देकर विजयी बनाने का अनुरोध किया। इस घटना ने राजुरा विधानसभा चुनाव को चर्चा का केंद्र बना दिया है, और अब सभी निगाहें चुनाव आयोग और जनता की ओर हैं।
बाऊंसर की आवश्यकता कार्यकर्ताओं को ?
हमने अक्सर सुना और देखा है कि जो रसूखदार नेता होते हैं, वे अपने साथ बाऊंसर लेकर चलते हैं। शायद उन्हें किसी अनहोनि या किसी अज्ञात हमले की आशंका होती है। सुरक्षा के लिहाज से यह किया जाता है। बाऊंसर रखने के लिए लाखों रुपये खर्च किये जाते हैं। परंतु इस चुनाव के समय मामूली कार्यकर्ताओं के साथ बाऊंसर का नजर आना एक बड़ी साजिश का हिस्सा लगता है। वोट पाने के लिए नोट बांटते समय यदि ग्रामीणों की ओर से विरोध हुआ तो बाऊंसर के बलबूते ग्रामीणों को डराने धमकाने तथा अपने कार्यकर्ताओं को सुरक्षित बाहर निकालने की इस रणनीति को लेकर आम जनता में अनेक सवाल उठाये जा रहे है। कल रात नोटों के बंडलों के साथ धर गये भाजपा उम्मीदवार देवराव भोंगले के कार्यकर्ताओं के साथ बाऊंसर भी देखे गये। इस मसले को लेकर जनता आश्चर्य व्यक्त कर रही है।