नेताओं का दावा- चुनाव आयोग ने कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद विपक्षी दलों के दिग्गज नेताओं ने चुनावी प्रक्रिया और ईवीएम को लेकर सवाल खड़े करते हुए हाईकोर्ट में 27 याचिकाएं दाखिल की हैं। याचिकाओं के मुताबिक, चुनाव आयोग ने ईवीएम से चुनाव कराने से पहले और परिणामों के बाद जरूरी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया। याचिकाएं दाखिल करने की अंतिम तारीख 7 जनवरी थी, और इन सभी याचिकाओं को तय समय सीमा के भीतर दर्ज किया गया है।
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दिग्गज नेता भी पराजित, महाविकास आघाड़ी को लगा झटका
पिछले लोकसभा चुनावों में महाविकास आघाड़ी को मिली बड़ी जीत के बावजूद, विधानसभा चुनावों में गठबंधन को बड़ा झटका लगा। कांग्रेस से मात्र 16, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) से 21, और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) से केवल 10 विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे। विदर्भ क्षेत्र के कई दिग्गज नेताओं को करारी हार का सामना करना पड़ा।
ईवीएम और वीवीपैट को लेकर गंभीर आरोप
- पराजित उम्मीदवारों ने याचिकाओं में दावा किया है कि:
- चुनाव आयोग ने ईवीएम का उपयोग करते समय नोटिफिकेशन जारी नहीं किया।
- परिणामों के बाद सीसीटीवी फुटेज और फॉर्म नंबर 17 उपलब्ध नहीं कराए गए।
- वीवीपैट की गिनती नहीं की गई।
- सूचना का अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी को भी नजरअंदाज किया गया।
यह सब गंभीर आरोप हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं का हिस्सा हैं।
इन बड़े नेताओं ने दाखिल की याचिकाएं, याचिकाकर्ताओं में निम्न नेता शामिल हैं:
1. यशोमती ठाकुर (तिवसा), 2. राजेंद्र शिंगणे (विदर्भ क्षेत्र), 3. वसंत पुरके, 4. रमेशचंद्र बंग (राष्ट्रवादी कांग्रेस), 5. प्रफुल गुडधे (दक्षिण-पश्चिम नागपुर), 6. गिरीश पांडव (दक्षिण नागपुर),
7. सुभाष धोटे, चरण वाघमारे और महेश गणगणे समेत अन्य नेता। इन सभी याचिकाओं को एडवोकेट आकाश मून और एडवोकेट ऋग्वेद ढोरे के माध्यम से दाखिल किया गया है।
क्या है विवाद का मूल कारण?
याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी थी। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक करार दिया है। अब इन याचिकाओं पर कोर्ट का निर्णय आने तक यह मामला चर्चा में रहेगा।