“सांसद प्रतिभा धानोरकर ने लोकसभा में रेलवे किराया वृद्धि और तत्काल टिकट बुकिंग नियमों पर सवाल उठाए। जनता ने सरकार के जवाब को नाकाफी बताया, जानें पूरा मामला।”
रेलवे किराया वृद्धि और यात्री सेवाओं में सुधार को लेकर केंद्र सरकार पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। चंद्रपुर से सांसद प्रतिभा धानोरकर द्वारा लोकसभा में उठाए गए अतारांकित प्रश्न क्रमांक 656 के जवाब में रेलवे मंत्रालय ने जो जानकारी दी, वह जनता की शंकाओं को दूर करने में नाकाम रही है। इस जवाब के बाद आम यात्रियों में असंतोष और रोष फैल गया है।
किराया वृद्धि पर विवाद: जनता को राहत या नया बोझ?
1 जुलाई 2025 से लागू नए किराया ढांचे के अनुसार, विभिन्न श्रेणियों में प्रति किलोमीटर आधा पैसा से दो पैसे तक किराया बढ़ाया गया है। इसमें द्वितीय श्रेणी सामान्य, शयनयान श्रेणी सामान्य, प्रथम श्रेणी सामान्य, मेल-एक्सप्रेस गैर-एसी और आरक्षित एसी श्रेणियां शामिल हैं।
रेलवे मंत्रालय का दावा है कि मासिक पास (MST) और उपनगरीय यात्राओं के किराए में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जिससे निम्न और मध्यम आय वर्ग को राहत मिलेगी। लेकिन लंबी दूरी के यात्रियों पर बढ़े हुए किराए का बोझ स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है।
मंत्रालय ने यह भी बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में यात्रियों को ₹60,466 करोड़ की सब्सिडी दी गई। लेकिन विपक्ष और आम जनता का कहना है कि सब्सिडी के आंकड़ों के बावजूद लगातार बढ़ते किराए से उनका घरेलू बजट बिगड़ रहा है।
तत्काल टिकट बुकिंग प्रणाली में सख्ती: सुविधा या परेशानी?
नए नियमों के तहत अब केवल आधार-प्रमाणित उपयोगकर्ता ही IRCTC वेबसाइट या ऐप के माध्यम से तत्काळ टिकट बुक कर पाएंगे। इसके अलावा, अधिकृत एजेंटों को बुकिंग शुरू होने के पहले 30 मिनट तक टिकट बुक करने से रोका गया है।
जहां मंत्रालय इसे टिकट बुकिंग में पारदर्शिता का कदम बता रहा है, वहीं यात्रियों का कहना है कि इससे तत्काल टिकट हासिल करना और मुश्किल हो जाएगा।
रेलवे सुधार योजनाओं पर भी उठे सवाल
- रेल मंत्रालय ने कई योजनाओं का हवाला दिया –
- अमृत भारत स्टेशन योजना
- वंदे भारत और अमृत भारत ट्रेनें
- रेल मदद पोर्टल, रेल वन ऐप, UTS ऑन मोबाइल ऐप
इन पहलों के जरिए रेलवे ने दावा किया है कि यात्री सुविधाओं में सुधार हुआ है। मगर जमीनी स्तर पर यात्रियों की शिकायतें अब भी बरकरार हैं – टिकट उपलब्धता, समयपालन और स्वच्छता जैसी समस्याएं जस की तस हैं।
क्या सरकार का जवाब जनता को गुमराह कर रहा है?
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार ने आंकड़ों और योजनाओं की लंबी सूची पेश तो की, लेकिन किराया वृद्धि और यात्रियों की मूलभूत समस्याओं पर ठोस समाधान देने में विफल रही।
जनता इसे “दिशाभूल करने वाला जवाब” मान रही है और विपक्ष ने भी सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं।
रेलवे मंत्रालय का दावा है कि वह परवडने योग्य किराया और बेहतर सेवा देने के लिए कटिबद्ध है, लेकिन किराए में वृद्धि और कठोर नियमों के चलते यात्रियों का भरोसा डगमगाता दिख रहा है। यह मुद्दा आने वाले सत्रों में और गरमा सकता है।
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