शेतकरी संगठन के नेता पूर्व विधायक ॲड. वामनराव चटप ने पुलिस पर उठाए गंभीर सवाल, कहा- ठोस सबूतों के बावजूद एक साल से कोई गिरफ्तारी नहीं, मुख्य साजिशकर्ता को बचाने की कोशिश।
चंद्रपुर जिले के राजुरा विधानसभा क्षेत्र में हुए बहुचर्चित बोगस मतदाता पंजीकरण मामले ने एक नया और विस्फोटक मोड़ ले लिया है। शेतकरी संगठन के दिग्गज नेता और पूर्व विधायक ॲड. वामनराव चटप ने आक्रामक रुख अपनाते हुए इस मामले में सीधे तौर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शामिल होने का सनसनीखेज आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया है कि पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर (FIR) में उल्लिखित दो प्रमुख मोबाइल नंबर सीधे तौर पर भाजपा के स्थानीय पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से जुड़े हैं, लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने अब तक उनसे कोई पूछताछ नहीं की है।
यह मामला तब से राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में है, जब कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी ने अपनी एक सभा में चुनावी धांधली और फर्जी मतदाता पंजीकरण के संदर्भ में राजुरा का उल्लेख किया था। अब पूर्व विधायक ॲड. वामनराव चटप और ॲड. दीपक चटप ने ठोस सबूतों का हवाला देते हुए भाजपा पर सीधा निशाना साधा है, जिससे स्थानीय राजनीति में भूचाल आ गया है।
क्या हैं ठोस सबूत और आरोप?
राजुरा विधानसभा मतदाता सूची में पाए गए 6,853 फर्जी मतदाताओं के मामले में 19 अक्टूबर, 2024 को एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। ॲड. चटप का आरोप है कि इस एफआईआर को दर्ज हुए लगभग एक साल बीत चुका है, लेकिन पुलिस प्रशासन पूरी तरह से निष्क्रिय बना हुआ है।
उन्होंने खुलासा करते हुए कहा:
पहला कनेक्शन: एफआईआर में क्रम संख्या 15 पर दर्ज मोबाइल नंबर 78208xxxxx अनिल झाडे नामक व्यक्ति का है, जो गढ़चांदूर के भाजपा नेता निलेश ताजणे द्वारा संचालित एक मेडिकल स्टोर से जुड़ा है।
दूसरा कनेक्शन: क्रम संख्या 16 पर दर्ज मोबाइल नंबर 96072xxxxx प्रतीक सदानपवार का है, जो गढ़चांदूर के एक सक्रिय भाजपा कार्यकर्ता हैं। प्रतीक की तस्वीरें भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार और मौजूदा विधायक देवराव भोंगले के साथ सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं।
इसके अलावा, एफआईआर में उल्लिखित गंगाधर, बंडू और क्रीश नामक व्यक्ति, जो बाखर्डी इलाके के हैं, उनके भी भाजपा से संबंधित होने का आरोप है।
ॲड. चटप ने गंभीर सवाल उठाया कि जब एफआईआर में इन लोगों के नाम और मोबाइल नंबर स्पष्ट रूप से दर्ज हैं, तो पुलिस ने एक साल बाद भी उन्हें पूछताछ के लिए क्यों नहीं बुलाया, उनका बयान क्यों नहीं लिया या उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया?
लोकतंत्र पर हमला और पुलिस की निष्क्रियता
वामनराव चटप ने इसे लोकतंत्र की गला घोंटने की एक सुनियोजित साजिश करार दिया है। उन्होंने कहा, “यह चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए मतदाता सूचियों में जानबूझकर की गई हेराफेरी है। लेकिन पुलिस प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा है और मामले को चुनाव आयोग पर टाल रहा है। यह जनता के विश्वास के साथ सीधा धोखा है।”
उन्होंने पुलिस अधीक्षक को एक पत्र सौंपकर तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उनकी प्रमुख मांगें हैं:
- एफआईआर में नामित सभी आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार कर गहन पूछताछ की जाए।
- इस पूरे फर्जीवाड़े के पीछे के मुख्य साजिशकर्ता (मास्टरमाइंड) को बेनकाब किया जाए।
- पुलिस अपनी कार्रवाई की रिपोर्ट सार्वजनिक करे।
इस मुद्दे पर ॲड. चटप को वरिष्ठ नेता ॲड. मुरलीधर देवाळकर, शेतकरी संगठन युवा आघाडी के प्रदेशाध्यक्ष ॲड. दीपक चटप, स्वाभिमानी पक्ष के जिलाध्यक्ष निळकंठ कोरांगे और महिला आघाडी की जिलाध्यक्ष पूर्णिमा निरंजने जैसे नेताओं का भी समर्थन प्राप्त है। इन सभी ने चेतावनी दी है कि यदि पुलिस ने तत्काल कार्रवाई नहीं की, तो वे एक बड़ा आंदोलन करेंगे।
