चंद्रपुर जिले को हर क्षेत्र में अग्रणी बनाने का संकल्प
चंद्रपुर जिले के पालक मंत्री और राज्य के आदिवासी विकास मंत्री डॉ. अशोक उइके ने प्रजासत्ताक दिवस के अवसर पर मुख्य शासकीय ध्वजारोहण कार्यक्रम में चंद्रपुर जिले के सर्वांगीण विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों, मजदूरों, आदिवासियों, दलितों, महिलाओं और युवाओं को विकास का केंद्र बिंदु मानते हुए आगे बढ़ रही है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि वे तन, मन और धन से इस जिले को सभी क्षेत्रों में अग्रणी बनाने के लिए कार्यरत रहेंगे।
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इस अवसर पर विशेष अतिथियों में सांसद प्रतिभा धानोरकर, विधायक सुधाकर अडबाले, सुधीर मुनगंटीवार, किशोर जोरगेवार, जिलाधिकारी विनय गौड़ा जी.सी., मुख्य कार्यकारी अधिकारी विवेक जॉनसन, जिला पुलिस अधीक्षक मुम्मका सुधर्शन, मनपा आयुक्त विपिन पालीवाल समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी और गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े चंद्रपुर का ऐतिहासिक महत्व
डॉ. उइके ने अपने संबोधन में कहा कि चंद्रपुर जिले का इतिहास स्वतंत्रता संग्राम की गौरवशाली कहानियों से भरा हुआ है। गोंडकालीन वंश और सांस्कृतिक धरोहर के साथ यह क्षेत्र वन, खनिज, जल और आदिवासी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर भारतीय संविधान लागू होने तक इस जिले ने ऐतिहासिक योगदान दिया है।
उन्होंने संविधान दिवस की पृष्ठभूमि को रेखांकित करते हुए कहा कि 26 नवंबर 1949 को डॉ. भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में भारत का संविधान तैयार हुआ था, जो स्वतंत्रता, समानता, न्याय और बंधुत्व पर आधारित है। यह वर्ष संविधान के अमृत महोत्सव का प्रतीक भी है।
पालक मंत्री ने चंद्रपुर जिले के नाम के ऐतिहासिक परिवर्तन का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि यह जिला प्राचीन काल में ‘लोकापुर’ के नाम से जाना जाता था। ब्रिटिश शासन के दौरान 1874 में इसे ‘चांदा’ नाम दिया गया। 1964 में इसका नाम बदलकर चंद्रपुर रखा गया।
चंद्रपुर जिले का नाम और विरासत
पालक मंत्री ने चंद्रपुर जिले के नाम के ऐतिहासिक परिवर्तन का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि यह जिला प्राचीन काल में ‘लोकापुर’ के नाम से जाना जाता था। ब्रिटिश शासन के दौरान 1874 में इसे ‘चांदा’ नाम दिया गया। 1964 में इसका नाम बदलकर चंद्रपुर रखा गया।
शहीदों के परिजनों का सम्मान
कार्यक्रम में पालक मंत्री डॉ. अशोक उइके ने वीर नारियों, वीर माता-पिता और शौर्य चक्र विजेताओं को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। सम्मान पाने वालों में वैक्कमा गोपाल भिमनपल्लीवार, अरुणा सुनील रामटेके, पार्वती वसंत डाहुले, वसंतराव डाहुले, छाया नवले, बाळकृष्ण नवले और शौर्य चक्र प्राप्त सुबेदार शंकर मेंगरे शामिल थे।
ग्राम पंचायतों का अभिनंदन
कार्यक्रम में जनहित योजनाओं में उत्कृष्ट कार्य करने वाली ग्राम पंचायतों का भी सत्कार किया गया। इनमें आकापुर (ता. नागभीड), चिचबोडी (ता. सावली), और माजरी (ता. भद्रावती) का विशेष उल्लेख हुआ।
डॉ. उइके ने अपने संबोधन का समापन करते हुए कहा कि यह स्वतंत्रता क्रांतिकारियों के बलिदान का परिणाम है और इसे ‘सुराज’ में बदलने की जिम्मेदारी शासन, प्रशासन और हर भारतीय की है।