औद्योगिक नगरी घुग्घुस में भाजपा युवा नेता 🔍गणेश खुटेमाटे के जन्मदिन के अवसर पर नगर प्रशासन द्वारा निर्धारित नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाई गईं। 🔍नगरपरिषद से 5 होर्डिंग्स की अनुमति लेकर 30 से अधिक अवैध होर्डिंग्स शहर के प्रमुख चौक-चौराहों और मार्गों पर लगा दिए गए, और यह सिलसिला आज भी जारी है।
बावजूद इसके, स्थानीय नगरपरिषद प्रशासन अब तक कोई कार्रवाई नहीं कर पाया है, जिससे उसकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। क्या यह चुप्पी राजनीतिक दबाव का नतीजा है?
कर में धांधली का आरोप:
सूत्रों के अनुसार, 🔍भाजपा नेता गणेश खुटेमाटे के नाम पर, घनश्याम मिनराज खुटेमाटे ने 14 से 18 जून (चार दिन) की अवधि के लिए प्रति दिन 5 होर्डिंग्स की अनुमति ली थी, जिसका कुल शुल्क ₹8,400 प्रतिदिन नगरपरिषद में जमा किया गया।
लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इन 5 अधिकृत होर्डिंग्स के QR कोड को लगभग 30 से अधिक अन्य अवैध होर्डिंग्स पर भी छाप दिया गया, जिससे कानूनी प्रक्रिया की सीधी अनदेखी की गई है। अब सवाल यह उठता है कि जब सिर्फ 5 होर्डिंग्स की अनुमति थी, तो बाकी 30 अवैध होर्डिंग्स का कर कौन भरेगा? क्या नगरपरिषद केवल कर वसूलने तक सीमित है, या फिर राजनीतिक संरक्षण के चलते कार्रवाई करने से कतरा रही है?
जनता में नाराजगी:
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि देश की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ही सार्वजनिक नियमों का उल्लंघन करेगी, तो आम जनता से कानून पालन की उम्मीद कैसे की जा सकती है? जनता सवाल कर रही है कि अगर यही काम कोई आम नागरिक करता, तो क्या उस पर जुर्माना और कार्रवाई तुरंत नहीं होती?
समय सीमा भी पार, फिर भी कार्रवाई नहीं:
नगरपरिषद से प्राप्त अनुमति केवल 14 से 18 जून तक की अवधि के लिए थी, लेकिन 20 जून तक भी ये होर्डिंग्स शहर में लगे हुए हैं। यह स्पष्ट नियम उल्लंघन है। इसके बावजूद, न तो घनश्याम खुटेमाटे से अतिरिक्त कर की वसूली हुई, और न ही अवैध होर्डिंग्स को हटाने की कार्रवाई की गई है। यह पूरी स्थिति नगर प्रशासन और सत्तारूढ़ दल के बीच मिलीभगत की ओर इशारा करती है।
घुग्घुस में यह मामला अब केवल अवैध होर्डिंग्स का नहीं रहा, बल्कि यह प्रशासनिक निष्क्रियता और राजनीतिक हस्तक्षेप का प्रतीक बनता जा रहा है। यदि नगरपरिषद ने जल्द ही निष्पक्ष जांच व सख्त कार्रवाई नहीं की, तो यह एक बड़े राजनीतिक विवाद का रूप ले सकता है।
