चंद्रपुर जिले में प्रस्तावित दो वेकोली कोयला खदान प्रकल्पों—दुर्गापुर ओपनकास्ट माइन प्रोजेक्ट और पौनी प्रोजेक्ट—को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने मंजूरी देने से इनकार कर दिया है। ये प्रोजेक्ट ताडोबा-अंधारी बाघ परियोजना और तेलंगाना के कावल टाइगर प्रोजेक्ट के बीच स्थित हैं, जिससे बाघों के आवागमन में बाधा आ सकती थी।
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समिति ने जताई बाघों के विचरण में बाधा की आशंका
27 जनवरी को पर्यावरण मंत्रालय की वन सलाहकार समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। समिति ने स्पष्ट किया कि दुर्गापुर ओपनकास्ट माइन प्रोजेक्ट को मिली जमीन ताडोबा टाइगर रिजर्व से मात्र 5.68 किमी दूर है, जिससे बाघों के प्राकृतिक कॉरिडोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसी वजह से इस परियोजना को लेकर नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) से सलाह मांगी गई थी।
लीज नवीनीकरण और वन भूमि हस्तांतरण के प्रस्ताव खारिज
महाराष्ट्र सरकार ने जून 2024 में दुर्गापुर प्रोजेक्ट के लीज नवीनीकरण और जून 2021 में पौनी प्रोजेक्ट के तहत 12.07 हेक्टेयर वन भूमि के डायवर्जन का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था।
दुर्गापुर प्रोजेक्ट को 1597.50 हेक्टेयर भूमि लीज पर मिली थी, जिसमें से 80.77 हेक्टेयर वन भूमि है, जिसकी लीज 2006 में दी गई थी और 2013 में समाप्त हो गई थी।
वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (WCL) ने लीज नवीनीकरण के लिए राज्य सरकार से अनुरोध किया था, लेकिन यह मामला पिछले कई वर्षों से लंबित था।
वन्यजीव संरक्षण प्राथमिकता, विकास पर पर्यावरण की चिंता
सरकार और वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि बाघों के आवास और उनके प्राकृतिक आवागमन क्षेत्रों को संरक्षित रखना बेहद जरूरी है। इसीलिए, इन कोयला प्रोजेक्ट्स को पर्यावरणीय मंजूरी नहीं दी गई। हालांकि, इससे औद्योगिक विकास पर असर पड़ सकता है, लेकिन वन्यजीव संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए सरकार ने यह सख्त निर्णय लिया है।