95 लाख की दीवार के पीछे सत्ता की साजिश? भाजपा विधायक किशोर जोरगेवार घिरे भ्रष्टाचार के आरोपों में
सरकारी निधि से नाले की दीवार या खास मित्र की हवेली की हिफाज़त? जांच के घेरे में भाजपा विधायक, AAP और NCP के तीखे सवाल
चंद्रपुर जिले के चर्चित भाजपा विधायक किशोर जोरगेवार एक बार फिर विवादों की भंवर में हैं। इस बार उन पर 95 लाख रुपये की सरकारी निधि का दुरुपयोग कर अपने करीबी सराफा व्यापारी मित्र की आलीशान हवेली ‘हवेली गार्डन’ के पास सुरक्षा दीवार बनवाने का आरोप लगा है। यह मामला अब न केवल स्थानीय राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना है, बल्कि राज्य सरकार की जांच एजेंसियों की नजर में भी आ चुका है।
जांच की शुरुआत और स्थल निरीक्षण:
नागपुर के मृद व जलसंधारण विभाग की दक्षता एवं गुणवत्ता नियंत्रण शाखा ने इस पूरे प्रकरण में औपचारिक जांच शुरू कर दी है। विभाग के मुख्य कार्यकारी अभियंता अनंत जगताप ने सोमवार, 23 जून को स्वयं चंद्रपुर पहुंचकर वडगांव प्रभाग में दीवार का स्थल निरीक्षण किया। उनके साथ कार्यकारी अभियंता निलीमा मंडपे और डिप्टी इंजीनियर मोहन बल्की समेत अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।
बाढ़ का खतरा या जानबूझी साजिश?
निरीक्षण के दौरान स्थानीय नागरिकों ने आरोप लगाया कि दीवार निर्माण के लिए नाले की चौड़ाई को जानबूझकर कम किया गया, जिससे क्षेत्र में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। लोगों का कहना है कि बस्तियों में बाढ़ के खतरे की अनदेखी कर विशेष रूप से विधायक के मित्र की संपत्ति की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई।
AAP और NCP के गंभीर आरोप:
आम आदमी पार्टी के चंद्रपुर जिलाध्यक्ष मयूर राईकवार ने आरोप लगाया कि इस निर्माण के लिए ना महापालिका की अनुमति ली गई, ना ही कोई ‘ना-हरकत प्रमाणपत्र’ (NOC) प्राप्त किया गया। उन्होंने इसे “सत्ता का खुला दुरुपयोग” करार दिया।
वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) के जिलाध्यक्ष राजीव कक्कड ने भी दावा किया कि नाले के मूल स्वरूप के साथ छेड़छाड़ की गई है, जिससे जलनिकासी में रुकावट उत्पन्न हो रही है।
राज्य सरकार की सक्रियता:
मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार के आपदा प्रबंधन मंत्रालय ने जिलाधिकारी कार्यालय से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। विधिमंडल के आगामी सत्र में इस मुद्दे को तारांकित प्रश्नों के माध्यम से उठाने की तैयारी की जा रही है।
संभावित सवाल:
क्या वास्तव में 95 लाख की सरकारी निधि का दुरुपयोग हुआ?
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को छोड़कर निजी संपत्तियों के पास दीवार क्यों?
क्या इस दीवार निर्माण की कोई सरकारी प्रक्रिया अपनाई गई?
अब तक की जांच में क्या सामने आया है? कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
अभियंता की प्रतिक्रिया:
इस विषय पर पूछे गए सवालों पर अनंत जगताप ने स्वीकार किया कि उन्हें लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही हैं, और पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी जाएगी।
यह मामला अब भ्रष्टाचार, सत्ता के दुरुपयोग और प्रशासनिक मिलीभगत के संभावित त्रिकोण की ओर इशारा करता है। चंद्रपुर में भ्रष्टाचार बनाम जनहित की यह लड़ाई, आने वाले समय में भाजपा की स्थानीय छवि और प्रशासनिक पारदर्शिता दोनों के लिए अग्निपरीक्षा बन सकती है।
