’10 से 25 लाख में जिलाध्यक्ष पद’ — चंद्रपुर में लगे पोस्टर ने खोली उद्धव गुट की कलई?
शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) की चंद्रपुर इकाई में जबरदस्त राजनीतिक भूचाल आया है। वरोरा और भद्रावती शहरों में कुछ चौंकाने वाले बैनर लगे हैं, जिन पर लिखा है — “शिवसेना (उद्धव गुट) का जिलाध्यक्ष पद बिकाऊ है! कीमत: ₹10 से ₹25 लाख!” यह बैनर न सिर्फ पार्टी की साख पर सवाल उठा रहे हैं, बल्कि पूरी जिले की राजनीति में सनसनी फैला चुके हैं।
पृष्ठभूमि:
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब 15 जुलाई को शिवसेना (उद्धव गुट) के तत्कालीन जिलाध्यक्ष रविंद्र शिंदे ने भाजपा का दामन थाम लिया। रविंद्र शिंदे को पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राऊत का करीबी माना जाता है। ऐसी भी चर्चाएं थीं कि राऊत की सिफारिश पर ही शिंदे को जिलाध्यक्ष पद मिला था।
परंतु उनकी नियुक्ति के समय से ही पार्टी के अंदर नाराजगी व्याप्त थी। कई स्थानीय नेता और कार्यकर्ता खुलकर विरोध कर रहे थे। अब जब शिंदे ने भाजपा जॉइन की है, तो पार्टी की अंदरूनी कलह और अधिक सतह पर आती दिखाई दे रही है।
बैनर के मायने और संदेश:
इन बैनरों के माध्यम से सीधा आरोप संजय राऊत पर लगाया गया है कि पार्टी में पद पैसे लेकर बेचे जा रहे हैं। यह संदेश आम जनता तक बड़े प्रतीकात्मक और तीखे अंदाज़ में पहुंचाया गया है।
किसने लगाए पोस्टर?
अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इन पोस्टरों के पीछे किसका हाथ है। न कोई संगठन सामने आया है, न ही किसी ने इसकी जिम्मेदारी ली है। लेकिन जिस तरह से पोस्टर की भाषा, स्थान और समय का चयन हुआ है, उससे यह एक सुनियोजित राजनीतिक हमला प्रतीत होता है।
पार्टी की चुप्पी भी सवालों के घेरे में:
अब तक शिवसेना (उबाठा गुट) या संजय राऊत की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। यह चुप्पी कहीं न कहीं इन आरोपों को और हवा दे रही है।
चंद्रपुर में लगे ये पोस्टर सिर्फ कागज के टुकड़े नहीं, बल्कि शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के अंदरूनी विवादों और नेतृत्व संकट का प्रतीक बन गए हैं। आने वाले दिनों में यह मामला और तूल पकड़ सकता है और यदि पार्टी ने समय रहते पारदर्शिता नहीं दिखाई, तो इसका राजनीतिक नुकसान गंभीर हो सकता है।
