Maharashtra Assembly Elections, Sudhir Mungantiwar Vs Deorao Bhongle Election Affidavit ये एक सच्ची कहानी है। इस कहानी में एक शिष्य अपने गुरू से आगे निकल गये। यह कहानी है घुग्घुस निवासी देवराव भोंगले की। जो अपने राजनीतिक गुरू व जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार से अनेक मामलों में काफी आगे नजर आते हैं। खासकर चल-अचल संपत्ति के मामले में। शिष्य भोंगले का अपने गुरू मुनगंटीवार से आगे निकलने की सच्ची कहानी के मूलतत्वों का प्रमाण चुनावी शपथपत्रों में मिलता है। इन शपथपत्रों को कोई झूठला नहीं सकता। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि देवराव भोंगले के पास कैश, चल संपत्ति, कार और कीमती आभूषण के मामले में वे अपने गुरू मंत्री मुनगंटीवार से काफी आगे हैं। अर्थात मंत्री मुनगंटीवार जहां अपने स्वयं की आर्थिक प्रगति में कम दिखाई पड़ते हैं, वहीं भोंगले उनसे अधिक अमीर हैं। वर्ष 2017 में भोंगले द्वारा दायर की किये गये शपथपत्र की संपत्ति और वर्तमान की संपत्ति के शपथपत्र के अनुसार उन्होंने बीते 7 वर्षों में चमात्कारिक रूप से करोड़पति के आंकड़ों तक विकास किया है। जबकि मुनगंटीवार लखपति ही दिखाई पड़ रहे हैं।
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आइये विस्तार से तमाम आंकड़ों के आधार राजनीतिक गुरू और शिष्य के शपथपत्रों में दर्ज तथ्यों को समझते हैं…
7 साल में 9 लाख से 45 लाख हो गई सालाना आय
भाजपा के वरिष्ठ नेता, प्रदेश के वन, मत्स्य व सांस्कृतिक मंत्री तथा जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार की बरसों की राजनीति और करोड़ों के विकास के बावजूद उनकी सालाना आय वर्तमान में 60 लाख 70 हजार 740 रुपये तक पहुंच पायी है। जबकि आयकर विवरण पत्र के अनुसार राजुरा के प्रत्याशी व भाजपा नेता तथा मंत्री मुनगंटीवार के शिष्य देवराव भोंगले की सालाना आय वर्ष 2017 में जहां महज 9 लाख 72 हजार 947 थी, वह अब 7 साल में विकास की ऊंचाई को छूते हुए रेकॉर्ड ब्रेक प्रगति कर गई। अभी वर्तमान में भोंगले की सालाना आय 9 लाख से बढ़कर सीधे 45 लाख 21 हजार 200 रुपयों तक पहुंच गई है। यह आश्चर्यकारण प्रगति तब है जब वे विधायक बने भी नहीं, जबकि उनके गुरू मुनगंटीवार बीते सैंकड़ों सालों से विधायक होने के बावजूद 60 लाख सालाना आय तक पहुंच सकें हैं।
मुनगंटीवार की जेब में डेढ़ लाख और भोंगले के पास 8 लाख रुपये कैश
यह काफी आश्चर्य की बात है कि राज्य के दिग्गज कहे जाने वाले मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार के पास वर्तमान में केवल डेढ़ लाख रुपये (1, 56, 150) ही उनके जेब में कैश के रूप में उपलब्ध है। वहीं उनके शिष्य देवराव भोंगले भी राजुरा से चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन उनकी जेब में 8 लाख 23 हजार 551 रुपये कैश उपलब्ध है। आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि देवराव भोंगले जब वर्ष 2017 में जिला परिषद के चुनावों के दौरान पोंभूर्णा के चिंतलधाबा-घोसरी से चुनाव लड़ रहे थे, तब उनके द्वारा दायर शपथपत्र के अनुसार उनके पास केवल 12 हजार रुपये ही कैश थे। लेकिन आज वे 8 लाख रुपयों के कैश के साथ अपने गुरू मुनगंटीवार से कई कदम आगे निकल चुके हैं।
18 लाख की कार में देवराव, और मुनगंटीवार बिन वाहन के
चुनावी रण में एक से एक मजेदार तथ्य जनता के लिए उपलब्ध हैं। एक ओर जहां मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के पास वर्तमान में उनके नाम पर एक भी कार या चौपहिया वाहन मौजूद नहीं है। वहीं उनके शिष्य देवराव भोंगले 18 लाख रुपयों की Innova Crysta लेकर घूमते हैं। गुरू से कई कदम आगे रहे शिष्य देवराव दर्ज अपराधों के मामलों में भी गुरू को पछाड़ दिया है। उन पर 4 मामले विविध थानों में दर्ज है। हैरत की बात है कि जिला परिषद चुनावों के वक्त घुग्घुस निवासी भोंगले अब विधानसभा चुनावों के समय स्वयं को राजुरा के रामनगर कॉलोनी निवासी दर्शा रहे हैं।
मुनगंटीवार लखपति (91 लाख) और भोंगले करोड़पति (2.51 करोड़)
यह तथ्य सिर चक्राने वाले है कि अनेक वर्षों से विधायक और राज्य के वित्त मंत्री रहे सुधीर मुनगंटीवार जैसे दिग्गज नेता की चल संपत्ति वर्तमान में केवल 91 लाख 22 हजार 653 रुपये ही हैं। जबकि उनके शिष्य देवराव भोंगले की चल संपत्ति वर्तमान में 2 करोड़ 51 लाख 09 हजार 170 रुपयों दर्शायी गई है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि वर्ष 2017 में भोंगले के पास मात्र 59 लाख 43 हजार 746 रुपयों की संपत्ति हुआ करती थी। केवल 7 साल में उन्होंने अपने गुरू मुनगंटीवार का रेकॉर्ड तोड़ते हुए सीधे 59 लाख से 2 करोड़ 51 लाख रुपयों की संपत्ति जुटाते हुए नंबर वन पर आ गये हैं। गुरू मुनगंटीवार 91 लाख की संपत्ति पर ही अटके रहे, और शिष्य भोंगले ढाई करोड़ संपत्ति इकट्ठा कर बन गये करोड़पति।
गहने-आभूषण रखने में मुनगंटीवार से देवराव आगे
भारतीय संस्कृति में गहने-आभूषणों का एक विशेष महत्व रहा है। हर कोई अपनी अचल संपत्ति के अलावा आभूषणों को रखना पसंद करता है। सौंदर्य बढ़ाने और अमीरी का यह परिचायक भी होता है। वर्तमान शपथपत्र पर यदि गौर करें तो देवराव भोंगले ने इस मामले में भी अपने गुरू सुधीर मुनगंटीवार को पछाड़ दिया है। फिलहाल मंत्री मुनगंटीवार और उनकी धर्मपत्नी के पास कुल मिलाकर 55 लाख 23 हजार रुपयों के आभूषण उपलब्ध है। जबकि मुनगंटीवार के शिष्य भोंगले और उनकी धर्मपत्नी के पास वर्तमान में 55 लाख 30 हजार के आभूषण मौजूद है। सबसे चौंकाने वाली बात तो यह है कि वर्ष 2017 में भोंगले दंपत्ति के पास केवल और केवल 1 लाख 41 हजार 900 रुपये के ही आभूषण हुआ करते थे। केवल 7 साल में डेढ़ लाख के आभूषणों से सीधे 55 लाख से अधिक आभूषण खरीदे गये। कम समय में संपत्ति में इतना बड़ा उछाल क्यों व कैसे आया, यह तो वे ही जाने।
मुनगंटीवार करोड़ों के कर्जदार, भोंगले पर महज 12 लाख का कर्ज
एक समय था जब वर्ष 2017 में देवराव भोंगले 29 लाख 34 हजार 980 रुपये के कर्जदार हुआ करते थे। लेकिन अब उन पर केवल 12 लाख 51 हजार 444 रुपयों का कर्ज हैं। मतलब वे अब ज्यादा कर्जदार नहीं है। अब जब हम कर्ज के मामले में भोंगले के राजनीतिक गुरू व मंत्री मुनगंटीवार के दस्तावेजों का अवलोकन करते हैं तो हमें यह ज्ञात होता है कि वे वर्तमान में 4 करोड़ 30 लाख 95 हजार 421 रुपयों के कर्ज में डूबे हुए हैं। हालांकि कुछ मामलों में मुनगंटीवार, भोंगले से आगे हैं। जैसे कि शिक्षा और डिग्रियां हासिल करने में। मुनगंटीवार के पास जमीन-जायजाद भोंगले से अधिक है। लेकिन अनेक मामलों में तो भोंगले ही मुनगंटीवार से आगे नजर आते हैं। इतनी करोड़ों की संपत्ति में केवल 7 सालों में आश्चर्यजनक उछाल कैसे आया, यह तो भाजपा के नेता और कार्यकर्ता ही बता सकते हैं।