घूग्घूस के मुस्लिम समाज का यह कदम न केवल पंजाब के बाढ़ पीड़ितों के जीवन में राहत पहुंचाएगा, बल्कि पूरे देश में भाईचारे और एकता का संदेश देगा। यह घटना याद दिलाती है कि जब समाज के लोग एक-दूसरे के दुख में सहभागी बनते हैं, तभी सच्चा भारत बनता है।
भारत की मिट्टी हमेशा से भाईचारे, सद्भाव और एकता की गवाह रही है। चंद्रपुर जिले औद्योगिक नगरी घूग्घूस ने शुक्रवार को एक ऐसी मिसाल पेश की है जो हमारे समाज के लिए प्रेरणा बन सकती है। पंजाब में आई भयावह बाढ़ से तबाह हुए परिवारों की सहायता के लिए शहर के मुस्लिम समाज ने ₹2,20,786 की राशि स्वेच्छा से दान की और यह पूरी राशि स्थानीय गुरुद्वारा में, गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के अध्यक्ष संमत सिंह दारीं की उपस्थिति में जमा कराई।
जब धर्म से ऊपर उठी मानवता
आज के समय में, जब समाज अक्सर जाति-धर्म के नाम पर बंटा हुआ दिखता है, घूग्घूस के मुस्लिम समाज का यह कदम हमें सिखाता है कि असली धर्म दूसरों के दुख में साथ खड़ा होना है। यह दान सिर्फ आर्थिक मदद नहीं है, बल्कि यह संदेश है कि इंसानियत की डोर ही सबसे मजबूत है। इस कार्य ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि भारत की असली ताकत इसकी गंगा-जमुनी तहज़ीब और आपसी भाईचारा है।
सामाजिक एकता का अनूठा संदेश
इस नेक काम में आजम खान, मोमीन शेख, अनिस सिद्दीकी, इर्शाद कुरेशी, बाबू सिद्दीक़ी, अज़हर शेख, सानू सिद्दीकी, मुस्लिम खान, इस्लाम अहमद, इकरार भाई, जुबेर शेख और फैज़ान खान जैसे समाज के कई प्रमुख लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। यह प्रयास यह भी दर्शाता है कि जब समाज के लोग सामूहिक रूप से आगे आते हैं, तो कोई भी आपदा बड़ी नहीं रह जाती।
देश के लिए सीख
इस घटना ने यह साबित कर दिया कि भारत की आत्मा अभी भी जिंदा है। जरूरत इस बात की है कि ऐसे प्रयासों को सराहा जाए और इन्हें समाज में फैलाया जाए ताकि हर संकट के समय लोग एक-दूसरे के साथ खड़े होने की प्रेरणा लें। घूग्घूस की यह मिसाल देशभर में साम्प्रदायिक सौहार्द का मजबूत संदेश देती है।
पंजाब के बाढ़ पीड़ितों तक यह सहायता पहुँचेगी और उनके जीवन में राहत लाएगी। लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि यह कदम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सबक छोड़ जाएगा — कि इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है।
