आज, जब हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं, तब यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या सच में महिलाएं सुरक्षित हैं? देश और राज्य में बढ़ते महिला अत्याचार, बलात्कार, छेड़छाड़ और कार्यस्थल पर शोषण की घटनाएं इस बात को कटु सत्य बनाती हैं कि महिलाएं अब भी असुरक्षित हैं।
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महिला कांग्रेस की मांग: आत्मरक्षा के लिए शस्त्र रखने की अनुमति मिले
महिला जिला कांग्रेस कमेटी की जिला उपाध्यक्ष यास्मिन सैय्यद ने महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को देखते हुए सरकार से मांग की है कि महिलाओं और लड़कियों को आत्मरक्षा के लिए घातक शस्त्र रखने की अनुमति दी जाए। उन्होंने मुख्यमंत्री तथा गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इस संबंध में ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि यदि प्रशासन महिलाओं को सुरक्षा देने में विफल हो रहा है, तो उन्हें खुद की रक्षा के लिए हथियार रखने की अनुमति दी जानी चाहिए।
आंकड़े जो डराते हैं
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, देश में 2021 के दौरान कुल 60 लाख अपराधों की रिपोर्ट दर्ज हुई, जिनमें 4,28,278 मामले महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराधों से जुड़े थे।
यदि महाराष्ट्र की बात करें, तो यहां बलात्कार और छेड़छाड़ के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। दुखद तथ्य यह है कि जब देश के केंद्रीय मंत्री की बेटी तक सार्वजनिक स्थानों पर छेड़छाड़ का शिकार हो सकती है, तो आम महिलाओं की स्थिति क्या होगी?
सार्वजनिक स्थानों पर भी महिलाएं असुरक्षित
हाल ही में पुणे के स्वारगेट इलाके में शिवशाही बस में एक युवती के साथ बलात्कार की घटना ने यह सिद्ध कर दिया है कि महिलाओं के लिए कोई स्थान सुरक्षित नहीं है। बस हो, ट्रेन हो, मेट्रो हो या सड़क—हर जगह महिलाओं के लिए खतरा बना हुआ है।
कार्यस्थलों पर महिलाओं का शोषण और न्याय की लड़ाई
महिलाओं की असुरक्षा केवल सार्वजनिक स्थानों तक सीमित नहीं है, बल्कि कार्यस्थलों पर भी उनका शोषण बदस्तूर जारी है। चंद्रपुर जिले के घुग्घूस शहर में स्थित लॉयड्स मेटल्स कंपनी में एक महिला कर्मचारी को एक बड़े ठेकेदार करण कोहली द्वारा जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव डाला गया। पीड़िता जब न्याय के लिए पुलिस के पास गई, तो न केवल आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया, बल्कि पीड़िता पर ही दबाव बनाया गया।
महिलाओं के खिलाफ अपराधियों को संरक्षण क्यों?
महिला अपराधों की गंभीरता को देखते हुए यह स्पष्ट होता है कि दोषी अक्सर पैसे और रसूख के बल पर बच निकलते हैं। महिला जिला कांग्रेस की उपाध्यक्ष ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आरोपी को तुरंत गिरफ्तार करने और पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र में बढ़ते महिला अपराधों के खिलाफ एक बड़े आंदोलन की चेतावनी भी दी है।
क्या आत्मरक्षा के लिए शस्त्र रखना समाधान है?
जब एक महिला के लिए घर से बाहर निकलना ही चुनौतीपूर्ण हो, जब सार्वजनिक स्थान भी असुरक्षित हों और कार्यस्थलों पर भी शोषण हो, तो सवाल उठता है कि आखिर महिलाओं को सुरक्षा कैसे मिले? सरकार यदि सुरक्षा देने में असमर्थ है, तो क्या आत्मरक्षा के लिए महिलाओं को हथियार रखने की अनुमति मिलनी चाहिए?
यह मांग भले ही कठोर लगे, लेकिन मौजूदा हालातों को देखते हुए इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यदि अपराधियों को कानून का भय नहीं है, तो महिलाओं को आत्मरक्षा का अधिकार मिलना ही चाहिए।
सरकार कब जागेगी?
महिला दिवस पर हमें केवल नारों और वादों से आगे बढ़कर ठोस कदम उठाने की जरूरत है। महिलाओं की सुरक्षा सिर्फ कानून बनाने से नहीं होगी, बल्कि उसे प्रभावी तरीके से लागू करने और दोषियों को सख्त सजा देने से होगी।
आज, जब महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, तब उनका आत्मविश्वास बनाए रखना और उन्हें सुरक्षित माहौल देना सरकार की जिम्मेदारी है। यदि प्रशासन और कानून व्यवस्था महिलाओं को न्याय दिलाने में विफल होती है, तो महिलाओं को अपनी रक्षा के लिए खुद ही कदम उठाने होंगे। यही इस महिला दिवस की सच्ची सीख होगी।