राज्य सरकार और चुनाव आयोग को फटकार – परिसीमन, ईवीएम और प्रशासनिक तैयारी तय समय में पूरी करने का निर्देश; चंद्रपुर-घुग्घुस में भी चुनावी हलचल तेज
महाराष्ट्र में पिछले तीन साल से लंबित स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सख्त रुख अपनाया। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने कहा कि चुनाव हर हाल में 31 जनवरी 2026 तक पूरे करा लिए जाएं। कोर्ट ने सरकार और राज्य चुनाव आयोग दोनों को फटकार लगाते हुए कहा कि अब और देरी नहीं की जाएगी।
सरकार और आयोग पर नाराजगी
अदालत ने सवाल किया कि मई 2024 में दिए गए आदेश के बाद भी चुनाव क्यों नहीं कराए गए। न्यायालय ने कहा, “सरकार की निष्क्रियता और आयोग की देरी उसकी अक्षमता का प्रमाण है।” महाराष्ट्र सरकार ने दलील दी कि पहली बार 29 नगर निगमों के चुनाव एक साथ कराने हैं, इसलिए समय चाहिए। लेकिन अदालत ने यह तर्क खारिज कर दिया और जनवरी 2026 की डेडलाइन को अंतिम बताया।
कड़े निर्देश: परिसीमन से लेकर ईवीएम तक
कोर्ट ने आदेश दिया कि परिसीमन की प्रक्रिया 31 अक्टूबर 2025 तक पूरी हो।
मुख्य सचिव को तुरंत रिटर्निंग ऑफिसर की नियुक्ति करने और राज्य चुनाव आयोग को दो सप्ताह में कर्मचारियों की सूची सौंपने का निर्देश दिया गया।
इसके अलावा, ईवीएम की उपलब्धता पर 30 नवंबर 2025 तक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया गया। सरकार ने बताया कि 65,000 मशीनें उपलब्ध हैं और 50,000 अतिरिक्त मशीनों का ऑर्डर दे दिया गया है।
चुनावों का राजनीतिक महत्व
ये चुनाव राज्य की राजनीति के लिए अहम हैं। 29 नगर निगमों में एक साथ चुनाव होने से शिवसेना (शिंदे गुट)-भाजपा गठबंधन और महा विकास अघाड़ी के बीच सीधा मुकाबला होगा। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह चुनाव 2029 के विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ा सेमीफाइनल साबित होंगे।
चंद्रपुर और घुग्घुस पर संभावित असर
चंद्रपुर जिले में भी कई नगर निगम तथा नगर परिषदें और जिला परिषद, पंचायत समितियां चुनाव की तैयारी में जुटेंगी। घुग्घुस, जिसे नगर परिषद का दर्जा मिले पांच साल हो चुके हैं, में पहली बार नगर परिषद चुनाव होंगे। यहां की राजनीति लंबे समय से भाजपा और कांग्रेस समर्थक गुटों में बंटी रही है।
स्थानीय स्तर पर यह चुनाव रोचक हो सकते हैं, क्योंकि:
- भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार की पकड़ चंद्रपुर जिले में मजबूत है, परंतु स्थानीय स्तर पर गुटबाजी भी गहरी है।
- विधायक किशोर जोरगेवार गुट और अन्य स्वतंत्र नेता इस चुनाव में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश करेंगे।
- उद्योग क्षेत्र होने के कारण यहां मजदूर राजनीति और मराठा-ओबीसी आरक्षण की मांग भी प्रमुख मुद्दा रह सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब राज्य सरकार और चुनाव आयोग पर दबाव बढ़ेगा कि वे परिसीमन, मतदाता सूची और आरक्षण प्रक्रिया में तेजी लाएं। इससे घुग्घुस में पहली बार होने वाले चुनाव की सरगर्मी अगले कुछ महीनों में चरम पर पहुंच सकती है।
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश न केवल चुनावी प्रक्रिया को समयबद्ध करेगा, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में नई हलचल भी पैदा करेगा। आने वाले महीनों में चंद्रपुर-घुग्घुस में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव राज्य की सत्ता संतुलन का अहम संकेत बन सकते हैं।
