कांग्रेस के भीतर बगावत! सांसद प्रतिभा धानोरकर का खुला हमला – ‘पदाधिकारी पार्टी के खिलाफ कर रहे काम, करें बर्खास्त!’
हालही मे यवतमाल में हुई कांग्रेस की समीक्षा बैठक में सांसद प्रतिभा धानोरकर ने बगावती तेवर अपनाते हुए पार्टी के ही कुछ पदाधिकारियों पर सीधे-सीधे पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाया। उन्होंने तीखे शब्दों में मांग की कि जो पदाधिकारी चुनाव आते ही कांग्रेस के खिलाफ काम करने लगते हैं, उन्हें तत्काल पदमुक्त किया जाए। ध्यान देने वाली बात यह है कि यह मामला अब केवल एक बैठक तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसकी राजनीतिक गूंज पूरे विदर्भ में सुनाई दे रही है। सांसद धानोरकर की इस शिकायत के बाद अब सभी की निगाहें प्रदेशाध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल और शीर्ष नेतृत्व की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं – क्या वे इस मुद्दे को गंभीरता से लेंगे?
‘कांग्रेस के अंदर ही छिपे विपक्षी!’
सांसद प्रतिभा धानोरकर का आरोप है कि कई पदाधिकारी कांग्रेस के नाम पर पद तो हथिया लेते हैं, लेकिन चुनाव आते ही या तो भाजपा की तरफ झुक जाते हैं या शिवसेना (शिंदे गुट) की ओर। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को बाहर का रास्ता दिखाना ही पार्टी के हित में होगा। उन्होंने स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव का उदाहरण देते हुए बताया कि भाजपा और शिवसेना ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है और कार्यकर्ता मैदान में उतर चुके हैं, जबकि कांग्रेस में समय रहते नाम तय ही नहीं होते, जिससे पार्टी को सीधे तौर पर नुकसान होता है।
प्रदेश नेतृत्व पर भी निशाना – कब जागेगा नेतृत्व?
प्रतिभा धानोरकर की शिकायत से यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या प्रदेशाध्यक्ष या हाईकमान इस पर कार्रवाई करेंगे या इसे एक और “भीतरघात” समझकर अनदेखा करेंगे? कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति और गुटबाजी का यह खुलासा पार्टी के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुका है।
महाविकास आघाड़ी में गहराता संकट
लोकसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस ने महाविकास आघाड़ी के तहत अच्छी प्रदर्शन किया हो, लेकिन विधानसभा में पार्टी की स्थिति बदतर रही है। विदर्भ की 62 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस महज 8 पर सिमट गई, जो इस क्षेत्र में पार्टी की जमीनी पकड़ कमजोर होने का संकेत है।
लोकसभा चुनावों में भी विदर्भ की 10 में से केवल 3 सीटें महाविकास आघाड़ी के खाते में गईं (2 भाजपा, 1 शिवसेना शिंदे गुट)। यही कारण है कि कांग्रेस समेत महाविकास आघाड़ी के सभी घटक दलों को आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में खुद को साबित करना अनिवार्य हो गया है।
कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी
प्रदेश में कांग्रेस की लगातार गिरती पकड़, नेताओं का दूसरी पार्टियों में जाना, और अब अंदर से ही उठती विरोध की आवाज़ें – यह सब पार्टी के लिए खतरे की घंटी है। प्रतिभा धानोरकर की शिकायत अब केवल एक बैठक का विषय नहीं रही, यह कांग्रेस के अंदरुनी संकट का प्रतीक बन चुकी है।
इस बीच सवाल उठता है – क्या कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व अब भी चुप बैठा रहेगा? या धानोरकर की शिकायत को बदलाव की चिंगारी मानकर कार्रवाई की शुरुआत करेगा?
