ताड़ोबा अंधारी बाघ परियोजना के सबसे ताकतवर और चर्चित बाघों में से एक छोटा मटका ने घायल होने के बाद पहली बार एक वन्यप्राणी का शिकार कर भूख मिटाई है। यह घटना गुरुवार को रामदेगी क्षेत्र में सामने आई। इस घटनाक्रम ने वन्यजीवन प्रेमियों और पर्यावरणविदों के बीच उत्सुकता और चिंता दोनों बढ़ा दी है।
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छोटा मटका फिलहाल ताड़ोबा के बफर जोन में स्थित रामदेगी क्षेत्र में ही रह रहा है। उसका एक पैर गंभीर रूप से घायल हो गया है जिससे वह ज्यादा दूर नहीं चल सकता। लेकिन अब वह धीरे-धीरे नैसर्गिक उपचार से ठीक हो रहा है। उसके स्वास्थ्य की देखरेख के लिए 42 सदस्यीय वन विभाग की विशेष टीम चौबीसों घंटे तैनात है, जिसमें 2 सहायक वन अधिकारी, 4 वन रक्षक, 20 कर्मचारी और 15 फायर वॉचर शामिल हैं।
बुद्ध पूर्णिमा की रात हुई थी खूनी भिड़ंत
छोटा मटका ने अपने क्षेत्र में घुसपैठ करने वाले ब्रह्मा नामक बाघ को बुद्ध पूर्णिमा की रात मौत के घाट उतार दिया था। लेकिन इस लड़ाई में वह खुद भी गंभीर रूप से घायल हो गया। यह कोई पहली बार नहीं है जब छोटा मटका ने अपने इलाके में घुसने वाले किसी बाघ को चुनौती दी हो। इससे पहले बजरंग और मोघली नामक बाघ भी उसके हाथों मारे जा चुके हैं।
नयनतारा के प्रेम में और भी उग्र हुआ ‘राजा’
छोटा मटका की नजदीकी मादा बाघिन नयनतारा उसके जीवन में खास भूमिका निभा रही है। नयनतारा की आंखों की नीली चमक और रहस्यमय मौजूदगी छोटा मटका को अपनी ओर आकर्षित करती रही है। पिछले कई वर्षों से दोनों रामदेगी क्षेत्र में साथ-साथ रह रहे हैं। यह भी देखा गया है कि चोटिल छोटा मटका के इर्द-गिर्द नयनतारा इस समय विशेष रूप से मंडरा रही है, मानो उसके स्वास्थ्य की रक्षा कर रही हो।
पहली शिकार से उम्मीद की किरण
जख्मी होने के बाद जब बाघ किसी शिकार को मारकर खाता है, तो वह बाघ के स्वास्थ्य में सुधार का स्पष्ट संकेत होता है। गुरुवार को छोटा मटका ने पहली बार एक वन्यप्राणी का शिकार कर अपनी भूख शांत की, जो कि उसके तेजी से स्वस्थ हो रहे शरीर और मनोबल का सबूत है। वन अधिकारियों ने भी इसकी पुष्टि की है और कहा है कि बाघ के स्वाभाविक व्यवहार में लौटने की यह एक अहम कड़ी है।
नैसर्गिक उपचार पर भरोसा
छोटा मटका पहले भी घायल हुआ था और हर बार उसने नैसर्गिक उपचार से खुद को ठीक किया है। इस बार भी वन विभाग ने उसके इलाज में मानवीय हस्तक्षेप को न्यूनतम रखते हुए प्राकृतिक तरीके अपनाए हैं। ताड़ोबा के क्षेत्रीय संचालक डॉ. जितेंद्र रामगावकर का मानना है कि छोटा मटका इस बार भी प्राकृतिक इलाज से पूरी तरह स्वस्थ हो जाएगा।
बाघों का संघर्ष, प्रेम और प्रभुत्व की लड़ाई
ताड़ोबा जैसे व्याघ्र क्षेत्र में बाघों का टकराव नई बात नहीं है, लेकिन छोटा मटका की कहानी प्रेम, शक्ति और अधिकार की त्रिकोणीय लड़ाई बन गई है। अपने क्षेत्र पर प्रभुत्व बनाए रखने की उसकी तीव्र इच्छा, नयनतारा के प्रति उसका प्रेम और घुसपैठ करने वालों के खिलाफ उसकी आक्रामकता, ये सभी उसे एक खास पहचान देते हैं।
वन्यजीवन की यह कहानी हमें बाघों के सामाजिक, भावनात्मक और भौगोलिक पहलुओं की झलक देती है। इसमें न केवल बाघों की प्रकृति का गहन चित्रण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे प्रेम और प्रतिस्पर्धा, जंगल के ‘राजा’ को नायक से योद्धा बना देती है।
ताज़ा हालात:
छोटा मटका रामदेगी में ही ठहरा हुआ है। नयनतारा उसके करीब ही दिखाई दे रही है। वन विभाग लगातार निगरानी रख रहा है और उसकी स्थिति “स्थिर और सुधारात्मक” मानी जा रही है।
छोटा मटका की यह कहानी केवल एक घायल बाघ की नहीं, बल्कि जंगल के कानून, बाघों की भावना, और उनके सामाजिक व्यवहार की अनकही दास्तान है। जैसे-जैसे वह ठीक होता जा रहा है, यह स्पष्ट होता जा रहा है — जंगल का राजा अब भी जिंदा है… और पहले से भी ज्यादा मजबूत होकर लौट रहा है।