ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व रामदेगी क्षेत्र से एक सनसनीखेज खबर सामने आई है। जंगल का राजा कहे जाने वाले प्रसिद्ध बाघ ‘छोटा मटका’ पिछले 3 महीनों से घायल होकर मौत से जूझ रहा है। ज्ञात हो बुद्ध पूर्णिमा की रात (12 मई 2025 ) को अपने इलाके और मादा बाघिन ‘नयनतारा’ पर अधिकार को लेकर हुए खूनी संघर्ष में उसने एक घुसपैठिए बाघ ‘ब्रह्मा’ को मौत के घाट उतार दिया। हालांकि, इस संघर्ष में छोटा मटका खुद भी बुरी तरह जख्मी हो गया है।
Tadoba Andhari Tiger Reserve (TATR), जिसे ‘विदर्भ का गौरव’ माना जाता है, इन दिनों एक बेहद गंभीर विवाद के केंद्र में है। यहाँ का सबसे लोकप्रिय और चर्चित बाघ 🔍‘छोटा मटका’ – जिसने ताडोबा को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई और VIP पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा – पिछले तीन महीनों से गंभीर रूप से घायल होकर जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहा है।
स्थानीय वन्यजीव प्रेमियों का आरोप है कि विभाग ने उसकी देखभाल और आधुनिक चिकित्सा उपचार में कोई गंभीर पहल नहीं की। विभाग केवल “प्राकृतिक तरीके से स्वस्थ होने” का हवाला दे रहा है, लेकिन लगातार बिगड़ती हालत देखकर अब लोगों का धैर्य टूट रहा है।
VIP टाइगर, अब लाचार
यह वही बाघ है जिसे देखने के लिए सचिन तेंडुलकर, अभिनेत्री रवीना टंडन जैसे कई नामचीन हस्तियां ताडोबा पहुँची थीं। पर्यटन विभाग ने भी इस बाघ के नाम पर करोड़ों का राजस्व कमाया, लेकिन आज जब वही बाघ घायल अवस्था में है, तो जिम्मेदारी निभाने से पीछे हट रहा है।
संघर्षों से जन्मा सम्राट: छोटा मटका, प्रसिद्ध बाघिन ‘छोटी तारा’ और ताकतवर नर बाघ ‘मटकासुर’ का बेटा है। विरासत में मिला यह राजसी रक्त, उसे सिर्फ जंगल का उत्तराधिकारी नहीं बनाता, बल्कि एक रणनीतिक योद्धा, निडर रक्षक और अपराजेय विजेता भी बनाता है।
जब जंगल बना रणभूमि: मोगली और बजरंग से टकराव
जंगल में सत्ता का खेल खूनी होता है। छोटे मटका को इस सत्ता के लिए कई बाघों से टकराना पड़ा, जिनमें सबसे चर्चित नाम हैं—‘मोगली’ और ‘बजरंग’।
मोगली, एक दुस्साहसी और ताकतवर बाघ, जिसने लंबे समय तक अपने इलाके पर राज किया। लेकिन जब छोटा मटका ने उसके क्षेत्र में कदम रखा, तो टकराव अनिवार्य था। लड़ाई भयंकर हुई। आखिरकार, छोटा मटका ने मोगली को पछाड़ते हुए उसका इलाका अपने कब्जे में ले लिया।
इसके बाद उसकी भिड़ंत हुई ‘बजरंग’ से—एक ऐसा बाघ जिसे कोई हरा नहीं पाया था। लेकिन छोटा मटका सिर्फ हराने में नहीं, खत्म करने में यकीन रखता है। इस ऐतिहासिक लड़ाई के चश्मदीद बने कई पर्यटक, जब उन्होंने देखा कि बजरंग को मौत के घाट उतारते हुए छोटा मटका जंगल का निर्विवाद राजा बन गया।
सोशल मीडिया पर ‘सुयोग भोयर’ की आग
वन्यप्रेमी 🔍सुयोग भोयर ने सोशल मीडिया पर एक भावुक और आक्रोशित पोस्ट लिखी, जिसमें उन्होंने वन विभाग की निष्क्रियता पर सवाल उठाए। उन्होंने लिखा –
“7–8 करोड़ रुपया सुशोभीकरण पर खर्च होता है, लेकिन एक बाघ को बचाने की तकनीकी व्यवस्था क्यों नहीं? अगर विभाग के पास पैसे नहीं हैं तो हम जनता चंदा देकर मदद करेंगे।”
यह पोस्ट अब तेजी से वायरल हो रही है और ‘CM बचाओ – ताडोबा बचाओ’ नामक मुहिम को भी बल मिल रहा है।
आधुनिक तकनीक का सवाल
लोगों का कहना है कि Discovery और National Geographic चैनल पर हम देखते हैं कि विदेशों में घायल वन्यजीवों के लिए कितनी आधुनिक तकनीकें और मेडिकल उपाय अपनाए जाते हैं। लेकिन ताडोबा जैसे एशिया के सबसे पुराने टाइगर रिज़र्व में ऐसी कोई व्यवस्था क्यों नहीं?
भावनाओं का विस्फोट
स्थानीय लोगों की पीड़ा साफ झलक रही है। वे पूछ रहे हैं कि “क्या केवल बाघ के नाम पर पैसा कमाना ही प्राथमिकता है? उसकी जान बचाने की कोशिश क्यों नहीं?” वन विभाग की चुप्पी पर अब सवाल और तेज़ होते जा रहे हैं।
यह मामला अब राज्य सरकार और वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। सवाल साफ है – क्या ताडोबा का ‘स्टार टाइगर’ सिर्फ एक नाम और आकर्षण तक सीमित रहेगा, या उसके जीवन को बचाने के लिए वास्तव में ठोस कदम उठाए जाएंगे?
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