Tadoba Madnapur tourism gate ताडोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत अनेवाले मदनापूर पर्यटन द्वार पर इन दिनों वनविभाग और स्थानीय महिलाओं के बीच जबरदस्त टकराव देखने को मिल रहा है। झांसी रानी महिला बचत गट ने वनविभाग की “अनुचित” शर्तों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए द्वार पर पत्थर और कांटे रखकर बीते दो दिनों से प्रवेश पूर्णतः बंद कर दिया है। इससे ताडोबा सफारी के लिए आने वाले पर्यटकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
Whatsapp Channel |
मुद्दा यह है कि ग्राम पंचायत द्वारा झांसी रानी महिला बचत गट को कॅम्पिंग साइट पर भोजन व्यवस्था के लिए एक साल के लिए अधिकृत किया गया था। परंतु इस बार वनविभाग ने एक नई शर्त जोड़ दी – भोजन व्यवस्था से मिलने वाली कमाई का 5% हिस्सा वन व्यवस्थापन ग्राम समिति के खाते में जमा किया जाए।
महिलाओं का ऐलान – “यह अन्याय है, नहीं सहेंगे!”
गट की सचिव गीता मगरे के अनुसार, “जब से मदनापूर पर्यटन द्वार शुरू हुआ है, तब से लेकर आज तक ऐसी कोई शर्त नहीं थी। इस बार यह शर्त जबरन थोपी गई है, जो हमें मंजूर नहीं। जब तक यह अट हटाई नहीं जाती, तब तक पर्यटन द्वार और स्वयंपाक गृह दोनों बंद रहेंगे।” महिलाओं का कहना है कि यह शर्त उनके छोटे-से व्यापार पर बोझ डालने वाली है। वनविभाग की इस मनमानी का पुरजोर विरोध करते हुए गांव की ग्रामसभा ने भी महिलाओं का साथ देते हुए साफ कहा है – “अगर शर्त नहीं हटती, तो द्वार हमेशा के लिए बंद रहेगा।”
गांव की एकजुटता, वनविभाग पर दबाव
गांव के लोग भी महिलाओं के समर्थन में खड़े हो गए हैं। ग्रामसभा ने प्रस्ताव पारित करते हुए चेतावनी दी है कि यदि वनविभाग ने यह शर्त वापस नहीं ली, तो पर्यटन गेट और कॅम्पिंग साइट हमेशा के लिए बंद कर दी जाएगी।वन परीक्षेत्र अधिकारी अभी तक इस विषय पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दे पाए हैं। वहीं दूसरी ओर, पर्यटक खासे निराश हैं क्योंकि उन्हें पहले से बुक की गई सफारी रद्द करनी पड़ी है।
क्या है आगे की राह?
मदनापूर द्वार ताडोबा के महत्वपूर्ण प्रवेश द्वारों में से एक है। यहां से प्रतिदिन सैकड़ों पर्यटक जंगल सफारी के लिए प्रवेश करते हैं। यदि यह विरोध ऐसे ही चलता रहा, तो पर्यटन पर बड़ा असर पड़ेगा।
अब देखना यह होगा कि वनविभाग झांसी रानी महिला बचत गट की इस एकजुटता के आगे झुकता है या मामला और भी तूल पकड़ता है।