Bloody Reign of Tigers in Chandrapur’s Forests : चंद्रपुर जिले के मुल और नागभीड तालुका में आज दो अलग-अलग घटनाओं में वाघों के हमले में दो लोगों की मौत हो गई। इसके साथ ही पिछले 9 दिनों में जंगल में तेंदू पत्ता तोड़ने गए 8 लोग वाघों का शिकार बन चुके हैं। ये घटनाएँ मुख्य रूप से वन अधिकारियों और स्थानीय प्रशासन के लिए चिंता का विषय बन गई हैं, क्योंकि ग्रामीणों में डर का माहौल फैल गया है।
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आज की घटनाएँ: एक ही दिन में दो मौतें
नागभीड तालुका: वाढोणा गाँव के 64 वर्षीय मारोती नकडू शेंडे तेंदू पत्ता तोड़ने जंगल गए थे। तलाव परिसर में छुपे एक वाघ ने उन पर पीछे से हमला कर दिया। हालांकि लोगों ने शोर मचाकर वाघ को भगा दिया, लेकिन गंभीर रूप से घायल मारोती को अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उनकी मौत हो गई।
मुल तालुका: भादुर्णी गाँव के 70 वर्षीय ऋषी झुगांजी पेंदोर बकरियाँ चराने जंगल गए थे। जब वह शनिवार को घर नहीं लौटे, तो परिजनों ने उनकी तलाश शुरू की। रविवार को वन विभाग ने उनके शरीर के अवशेष जंगल में खोज निकाले। वाघ ने उनके शरीर का अधिकांश हिस्सा खा लिया था, सिर्फ सिर और एक हाथ बचा था।
9 दिनों में 8 मौतें: क्या है पूरा मामला?
10 मई से लेकर आज तक चंद्रपुर के जंगलों में वाघों के हमले में 8 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें से अधिकांश पीड़ित तेंदू पत्ता तोड़ने वाले मजदूर या ग्रामीण थे। यहाँ घटनाओं का क्रमवार विवरण है:
10 मई – एक ही परिवार की तीन महिलाओं की मौत
-» सिंदेवाही तालुका के मेंढामाल गाँव की सारिका शालीक शेंडे (55), कांता बुद्धाची चौधरी (60) और शुभांगी मनोज चौधरी (31) तेंदू पत्ता तोड़ने जंगल गईं थीं।
-» डोंगरगाव बीट के कंपार्टमेंट 1355 में एक ही दिन तीनों पर वाघ ने हमला कर दिया।
-» सास-बहू का एक साथ मारा जाना इस घटना को और भी दर्दनाक बना देता है।
11 मई – मुल तालुका की महिला की मौत
-» नागाळा गाँव की विमल बुद्धाजी शेंडे चिचप्पली वन परिक्षेत्र में तेंदू पत्ता तोड़ रही थीं, जब वाघ ने उन पर हमला कर दिया।
12 मई – पति के सामने ही पत्नी की मौत
-» भादुर्णा गाँव की भूमिका दीपक भेंडारे अपने परिवार के साथ तेंदू पत्ता तोड़ने गई थीं।
-» जंगल में ही वाघ ने उन पर हमला किया और उनके पति के सामने ही उन्हें मार डाला*।
14 मई – चिमूर तालुका की महिला की मौत
-» पळसगाव वन परिक्षेत्र के करबडा क्षेत्र में कचराबाई अरुण भरडे (54) वाघ का शिकार बनीं।
18 मई – आज दो और मौतें
-» नागभीड और मुल तालुका में दो अलग-अलग हमलों में मारोती शेंडे और ऋषी पेंदोर की मौत।
क्यों हो रहे हैं इतने हमले?
तेंदू पत्ता का मौसम: मई-जून में तेंदू पत्ता तोड़ने का काम चलता है, जिसमें सैकड़ों ग्रामीण जंगलों में जाते हैं।
वाघों का प्राकृतिक आवास में मानव घुसपैठ: जंगल सिकुड़ रहे हैं, और वाघ इंसानों को अपने लिए खतरा मानकर हमला कर देते हैं।
ग्रामीणों की मजबूरी: गरीबी के कारण लोगों के पास जंगल में जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
चंद्रपुर के जंगलों में वाघों के हमले अब एक गंभीर सुरक्षा संकट बन चुके हैं। अगर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो और जानें जा सकती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि वन विभाग को वाघों का पुनर्वास करना चाहिए या खतरनाक क्षेत्रों को चिह्नित करके लोगों को सचेत करना चाहिए।