शंकरपूर क्षेत्र में एक महीने में दो मौतें, 15 दिनों में 12 मवेशी शिकार; किसानों का विरोध, धान-कपास की कटाई ठप
चिमूर तालुका के शंकरपूर क्षेत्र में बाघ के बढ़ते हमलों की घटनाओं से आक्रोशित किसानों ने मंगलवार, 28 अक्टूबर को बड़ा विरोध प्रदर्शन किया। बाघ को पकड़ने में वन विभाग की विफलता से नाराज होकर, ग्रामीणों ने सुबह 9 बजे कानपा-शंकरपूर-चिमूर राज्य महामार्ग पर शिवार फाटा के पास तीन घंटे तक ‘रास्ता रोको’ आंदोलन किया और वन विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
वन विभाग को दी गई मोहलत खत्म
यह विरोध प्रदर्शन रविवार की शाम को हुई एक घटना के बाद भड़का। शंकरपूर से लगभग छह किलोमीटर दूर स्थित शिवरा गाँव के किसान नीलकंठ भूरे को बाघ ने उनके ही खेत में मार डाला था। इस घटना के बाद, ग्रामीणों ने बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग को एक दिन का समय दिया था।
लेकिन दी गई समय सीमा में बाघ को पकड़ने में विफल रहने के कारण किसान और ग्रामीण सड़कों पर उतर आए।
खेतों में काम ठप, दहशत का माहौल
- मानव हानि: पिछले एक महीने में इस क्षेत्र में बाघ ने दो लोगों की जान ले ली है।
- पशु हानि: पिछले पंद्रह दिनों में, बाघ ने कम से कम बारह पालतू जानवरों को भी मार डाला है।
- प्रभावित गाँव: शिवरा, आंबोली, गडपिपरी, पुयारदंड, कवडशी, चिचाळा, और लावारी जैसे गाँवों में बाघ ने आतंक मचा रखा है।
भय के माहौल के चलते किसान खेतों में जाने से डर रहे हैं, जिससे कपास चुनने और धान काटने जैसे महत्वपूर्ण कृषि कार्य ठप हो गए हैं।
आंदोलन में नेताओं की भागीदारी, वन विभाग का आश्वासन
इस ‘रास्ता रोको’ आंदोलन का नेतृत्व जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सतीश वारजूकर ने किया। उनके साथ तालुका कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष विजय गावंडे, पूर्व उपसभापति स्वप्नील मालके, राजू कापसे, रोशन ढोक, सूर्योदन घूटके, वंचित बहुजन आघाडी के शुभम मंडपे, शिवरा सरपंच अतुल ननावरे और शंकरपूर के उपसरपंच अशोक चौधरी सहित सैकड़ों किसान और ग्रामीण उपस्थित थे।
आंदोलन के दौरान, वनपरिक्षेत्र अधिकारी किशोर देऊळकर मौके पर पहुंचे और चार दिनों के भीतर बाघ को पकड़ने का आश्वासन दिया। इस आश्वासन के बाद ही किसानों ने आंदोलन वापस लिया। हालांकि, ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि दी गई समय सीमा के भीतर बाघ को नहीं पकड़ा गया, तो वे फिर से तीव्र आंदोलन करेंगे।
आंदोलन के दौरान, पुलिस उपविभागीय अधिकारी दिनकर ठोसरे के मार्गदर्शन में चिमूर थाना प्रभारी दिनेश लबडे और भीसी थाना प्रभारी मंगेश भोंगाडे अपनी टीम के साथ मौके पर मौजूद रहे ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।
बाघ को पकड़ने की रणनीति: पालतू पशुओं का चारा
वनपरिक्षेत्र अधिकारी किशोर देऊळकर ने बाघ को पकड़ने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी:
“बाघ को पकड़ने के लिए एक लाइव कैमरा, 16 ट्रैप कैमरे और 35 वन कर्मचारी तैनात किए गए हैं। अभी तक बाघ की पहचान नहीं हो पाई है, इसलिए बाघ का पता लगाने के लिए पालतू जानवर (मवेशी) बांधकर उसका पीछा किया जा रहा है। किसानों की सुरक्षा के लिए चार विशेष टीमें तैनात की गई हैं, जो खेतों के चारों ओर गश्त करेंगी, और एक टीम बाघ के मार्ग की तलाश कर रही है।”
