आक्रोशित ग्रामीणों का राष्ट्रीय महामार्ग पर ‘रास्ता रोको’, वन विभाग की निष्क्रियता पर फूटा गुस्सा
गोंडपिपरी तालुका में बाघ के हमलों से दहशत का माहौल है। महज आठ दिनों के भीतर बाघ ने दो ग्रामीणों को अपना शिकार बनाया है, जिससे स्थानीय लोगों का गुस्सा चरम पर है। इस सिलसिलेवार घटना से आक्रोशित चेकपिपरी, गणेशपिपरी सहित तालुका के विभिन्न गांवों के ग्रामीणों ने सोमवार, 27 अक्टूबर को सुबह 9 बजे चंद्रपुर-अहेरी राष्ट्रीय महामार्ग पर गोंडपिपरी के पास धाबा टर्निंग पॉइंट पर तकरीबन 9 घंटे तक ‘रास्ता रोको’ आंदोलन किया।
खेत से लौट रहे दम्पति पर हमला: पत्नी को घसीटकर ले गया बाघ
हालिया घटना गणेशपिपरी गांव की है। अल्का पेंदोर (43) और पांडुरंग पेंदोर नामक दम्पति दिनभर खेत में काम करने के बाद घर लौट रहे थे। अल्का पशुओं के लिए चारा काटने के लिए वहीं रुकी और पांडुरंग आगे निकल गए। इसी दौरान बाघ ने अल्का पर हमला किया और उसे घसीटकर ले गया। एक घंटे बाद भी जब अल्का घर नहीं लौटी, तो पति पांडुरंग ने गांववालों और वन विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर तलाशी अभियान चलाया। इस दौरान उन्हें खेत में बाघ के हमले में मारी गई अल्का का शव मिला।
एक हफ्ते में दूसरी घटना: ग्रामीणों में दहशत
इस घटना से ठीक एक सप्ताह पहले, करीब एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित चेकपिपरी गांव में किसान भाऊजी पाल की भी बाघ के हमले में मौत हो गई थी। लगातार दो हमलों ने किसानों को भयभीत कर दिया है, और वे डर के मारे खेतों में जाने से कतरा रहे हैं।
पुलिस और प्रशासन ने संभाली स्थिति
घटना की जानकारी मिलते ही वनपरिक्षेत्र अधिकारी गौरकर, क्षेत्र सहायक पुरी, पुलिस उपविभागीय अधिकारी सत्यजित आमले, और थाना प्रभारी रमेश हत्तीगोटे तुरंत मौके पर पहुंचे। उन्होंने पंचनामा कर शव को अपने कब्जे में लिया। बाघ को खोजने के लिए पिंजरे लगाए गए हैं और एक विशेष टीम को सक्रिय किया गया है।
आंदोलन के दौरान सभी सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के पदाधिकारी भी मौजूद थे। जिला पुलिस अधीक्षक सुदर्शन मुमक्का, उपविभागीय अधिकारी (एसडीओ) सत्यजित आमले, गोंडपिपरी की उपविभागीय अधिकारी लघीमा तिवारी, सीसीएफ रामानुज, पुलिस उपअधीक्षक ईश्वर कातकडे, महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष कुंदा जेणेकर, तहसीलदार शुभम बहाकर, सतीश वासमवार, और पूर्व जि.प. सदस्य संदीप करपे जैसे वरिष्ठ अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया। उन्होंने नागरिकों से शांति बनाए रखने की अपील की और पीड़ित परिवारों से चर्चा कर समाधान निकालने का प्रयास किया।
वन विभाग की निष्क्रियता पर गंभीर आरोप
आंदोलनकारियों ने बाघ को जल्द से जल्द पकड़ने की मांग तेज कर दी है और वन विभाग पर निष्क्रियता का गंभीर आरोप लगाया है। तालुका में बाघों के बढ़ते हमलों से लोगों में डर का माहौल है। ग्रामीणों ने वन विभाग से तत्काल ठोस उपाय योजना करने की मांग की है।
अंततः, बाघ को पकड़ने के लिए विशेष टीम के मौके पर पहुंचने और वरिष्ठ अधिकारियों के आश्वासन के बाद, तकरीबन 9 घंटे बाद ग्रामीणों ने अपना आंदोलन वापस लिया। अब सभी की निगाहें बाघ को पकड़ने के लिए चलाए जा रहे अभियान पर टिकी हैं।
