Tragic Loss: Three Talented Daughters’ Death Shatters the Mandal Family” : “तीनों बेटियों को उच्च शिक्षा देकर अपने पैरों पर खड़ा किया, वही हमारी वंश की रोशनी हैं,”—ऐसा गर्व से कहने वाले मंडल परिवार में अब माता-पिता के अलावा कोई नहीं बचा। उनकी तीनों बेटियों की अचानक हुई दर्दनाक मौत ने पूरे परिवार को गहरे शोक में डूबो दिया है। इस घटना ने न केवल परिवार, बल्कि पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है।
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संपन्न परिवार, उज्ज्वल भविष्य की आस
चंद्रपुर के बाबूपेठ वार्ड में रहने वाले प्रकाश मंडल वेकोली (वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) में नौकरी करते थे। उनकी पत्नी गृहिणी थीं। आर्थिक रूप से संपन्न होने के कारण उन्होंने अपनी तीनों बेटियों—प्रतिमा, कविता और लिपिका—को अच्छे से शिक्षित करने पर पूरा ध्यान दिया। माता-पिता को अपने बेटे की कमी बिल्कुल महसूस नहीं होती थी, क्योंकि उन्होंने अपनी बेटियों को ही अपना गौरव माना था।
प्रतिमा ने न केवल पढ़ाई में उत्कृष्टता प्राप्त की थी, बल्कि अध्यापन का कौशल भी विकसित कर लिया था। उनका काका सरदार पटेल महाविद्यालय, चंद्रपुर में प्राध्यापक थे, और काकी ने विज्ञान विषय में स्नातकोत्तर शिक्षा पूरी कर अपने निजी ट्यूशन क्लासेस शुरू किए थे। बड़ी बेटी प्रतिमा भी काकी के क्लासेस में पढ़ाने जाया करती थी। कविता और लिपिका अभी स्नातक की पढ़ाई कर रही थीं। तीनों बहनें पढ़ाई में बेहद होशियार थीं और विज्ञान एवं गणित विषयों में विशेष रुचि रखती थीं।
महाशिवरात्रि के दिन हुआ भयावह हादसा
हादसे के दिन प्रकाश मंडल अपने काम पर गए हुए थे। घर में उनकी पत्नी और तीनों बेटियां मौजूद थीं। महाशिवरात्रि के अवसर पर काका के परिवार के साथ माता और तीनों बेटियों ने मार्कंडा (देव) मंदिर में दर्शन के लिए जाने का फैसला किया। कोई नहीं जानता था कि यह यात्रा उनकी आखिरी यात्रा बन जाएगी।
यात्रा के दौरान एक भीषण हादसे में तीनों बहनों की मौके पर ही मौत हो गई। इस खबर ने पूरे मंडल परिवार को हिला कर रख दिया। माता-पिता पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। जिन्होंने अपनी बेटियों को बड़े अरमानों से पाला था, उनके उज्ज्वल भविष्य के सपने देखे थे, उन्हीं बेटियों की अर्थी को कंधा देना उनके लिए असहनीय पीड़ा बन गया।
पूरा क्षेत्र शोक में डूबा
प्रतिमा एम.एससी. के अंतिम वर्ष में थी, कविता बी.एससी. अंतिम वर्ष में और लिपिका बी.एससी. द्वितीय वर्ष में पढ़ रही थी। कॉलेज में भी वे सभी शिक्षकों और सहपाठियों की प्रिय थीं। पढ़ाई के साथ-साथ वे हर शैक्षणिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती थीं। उनकी अचानक मौत से पूरा कॉलेज स्तब्ध है। उनकी सहेलियों के आंसू नहीं रुक रहे।
मंडल परिवार के इस दर्दनाक हादसे ने पूरे चंद्रपुर को झकझोर कर रख दिया है। पड़ोसियों के अनुसार, प्रकाश मंडल और उनकी पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। जिस घर में कुछ दिन पहले तक खुशियों की किलकारियां गूंजती थीं, वहां अब मातम पसरा हुआ है।
अलविदा, उज्ज्वल भविष्य की उम्मीदें!
मंडल परिवार की तीनों बेटियां माता-पिता की उम्मीदों का केंद्र थीं। उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए माता-पिता ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। परंतु नियति को कुछ और ही मंजूर था।
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि जिंदगी कितनी अनिश्चित है। जो लोग आज हमारे साथ होते हैं, वे अगले ही पल हमारे बीच न रहें—ऐसा दर्दनाक सच शायद ही कोई स्वीकार कर सके। मंडल परिवार की यह त्रासदी समाज के लिए एक बड़ा सबक है कि अपनों के साथ बिताया हर पल अनमोल होता है।