चंद्रपुर जिले की औद्योगिक नगरी घुग्घुस ने गुरुवार शाम एक ऐसा व्यक्तित्व खो दिया, जिसकी कलम समाज की धड़कन थी। 68 वर्ष की आयु में वरिष्ठ पत्रकार गजानन सखारकर का अचानक निधन न केवल पत्रकारिता जगत बल्कि पूरे समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। 42 वर्षों तक उन्होंने बेबाकी, निर्भीकता और निष्पक्षता के साथ पत्रकारिता की जो परंपरा गढ़ी, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत रहेगी।
गजानन सखारकर का जन्म 1957 में घुग्घुस में हुआ। उनके पिता वेकोलि के कर्मी कवडूजी सखारकर थे। पारिवारिक साधारण पृष्ठभूमि में जन्म लेने के बावजूद गजाननजी के भीतर समाज के लिए कुछ कर गुजरने की आग थी। यही कारण रहा कि 42 वर्ष पूर्व वे अपने पत्रकारिता गुरु श्यामराव बोबडे के साथ इस क्षेत्र में कदम रखते ही एक अलग पहचान बनाने लगे।
शुरुआत हिंदी भाषीय अखबार से हुई, लेकिन पत्रकारिता गुरु के सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने मराठी दैनिक लोकमत में संवाददाता के रूप में कार्यभार संभाला। लोकमत के माध्यम से उन्होंने घुग्घुस क्षेत्र की आवाज़ को चंद्रपुर जिले के साथ राज्य स्तर तक पहुंचाया।
समाज की आवाज़ बनकर खड़े रहे
गजानन सखारकर ने अपने 42 वर्षों के लंबे पत्रकारिता जीवन में हमेशा समाज के शोषित और पीड़ित वर्ग की आवाज़ बुलंद की। उद्योगों में मजदूरों की समस्या हो या राजनीतिक उलझनें—उन्होंने कभी भी सच लिखने से परहेज़ नहीं किया। उनकी कलम में न तो किसी सत्ता का दबाव था और न ही किसी लोभ का असर। यही कारण था कि उन्हें पत्रकारिता जगत में ‘बेबाक कलमकार’ और ‘पत्रकारिता के भीष्मपितामह’ कहा जाता था।
व्यक्तित्व और कार्यशैली
गजाननजी न केवल निर्भीक पत्रकार थे, बल्कि एक सच्चे मार्गदर्शक भी। उन्होंने अपने साथियों को हमेशा यही सिखाया कि खबर केवल सूचना नहीं, बल्कि समाज में न्याय का माध्यम है। उनके मिलनसार स्वभाव और पत्रकारिता के प्रति समर्पण ने उन्हें क्षेत्र के पत्रकारों के बीच एक गुरु के रूप में स्थापित किया।
विशेष बात यह रही कि 68 वर्ष की उम्र में भी वे अपनी खबरों को लेकर सक्रिय थे। उनका कहना था—“जब तक सांस है, कलम चलती रहेगी।” दुर्भाग्यवश गुरुवार को वही कलम सदा के लिए थम गई।
अंतिम क्षण और अपूर्ण शून्य
बुधवार, 27 अगस्त को उन्होंने अपना 68वां जन्मदिन मनाया था। अनेक लोगों ने उन्हें शुभकामनाएँ दीं, लेकिन किसे पता था कि अगले ही दिन कुदरत कुछ और ही मंज़ूर कर चुकी है। गुरुवार की शाम 4:31 बजे उन्होंने फोन पर कहा—“आज तबीयत नाज़ुक लग रही है…” और कुछ ही घंटों बाद खबर आई कि वे इस दुनिया से रुख़्सत हो गए।
उनके निधन के साथ ही घुग्घुस शहर शोकाकुल वातावरण में डूब गया। सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि संदेशों की बाढ़ आ गई और हर आंख नम हो उठी।
एक युग का अंत
गजानन सखारकर के जाने से पत्रकारिता जगत ने एक ऐसे प्रहरी को खो दिया है, जिसने अपने जीवन का हर क्षण समाज की सच्चाई उजागर करने में समर्पित किया। जब भी घुग्घुस के पत्रकारिता इतिहास की चर्चा होगी, गजानन सखारकर का नाम सम्मान और श्रद्धा के साथ लिया जाएगा। उनकी लेखनी आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा प्रेरणा का स्तंभ बनी रहेगी।
घुग्घुस प्रेसक्लब की ओर से श्रद्धांजलि 💐💐💐💐
आज गजाननजी हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी कलम, उनके विचार और उनके संघर्ष की गूँज हमेशा इस औद्योगिक नगरी की धड़कनों में सुनाई देती रहेगी।