चंद्रपुर में भाजपा की गुटबाज़ी – संगठन के भीतर उठते तूफान की कहानी
महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है और इस बार केंद्रबिंदु बना है चंद्रपुर जिला। लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बाद अब भाजपा ने स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव की तैयारियाँ तेज़ कर दी हैं। परंतु इन तैयारियों के बीच चंद्रपुर में पार्टी को एक अंदरूनी ज्वालामुखी का सामना करना पड़ रहा है, जहाँ दो वरिष्ठ नेताओं—सुधीर मुनगंटीवार और किशोर जोरगेवार—के बीच की तनातनी खुलकर सामने आ गई है।
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संघटनात्मक नियुक्तियाँ और चंद्रपुर की अनुपस्थिति:
20 अप्रैल को भाजपा ने राज्यभर में 1221 मंडल अध्यक्षों में से 963 की नियुक्तियाँ कर दीं, लेकिन चंद्रपुर को इस सूची से बाहर रखा गया। कारण? पार्टी के भीतर गहराता अंतर्कलह। यह वही चंद्रपुर है, जहाँ भाजपा की जड़ें मजबूत मानी जाती हैं, लेकिन अब यह गुटबाज़ी का अखाड़ा बनता दिख रहा है। भाजपा की प्रदेश कमिटी को इस मुद्दे को हल करने के लिए 23 अप्रैल को मुंबई में एक अहम बैठक बुलानी पड़ी है। खास बात यह है कि पहली बार दोनों गुट आमने-सामने आने वाले हैं, जिससे यह बैठक बेहद निर्णायक साबित हो सकती है।
मुनगंटीवार बनाम जोरगेवार
सुधीर मुनगंटीवार:
राज्य के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता मुनगंटीवार संगठन में भारी पकड़ रखते हैं। कहा जा रहा है कि वे मौजूदा पदाधिकारियों को स्वराज्य संस्था चुनाव तक यथावत रखने के पक्ष में हैं। उनका गुट राहुल पावडे को अध्यक्ष बनाए रखने की वकालत कर रहा है।
किशोर जोरगेवार:
दूसरी ओर, विधायक किशोर जोरगेवार का खेमा सत्ता में अधिक भागीदारी चाहता है। उनके गुट की ओर से सुभाष कासनगोट्टवार का नाम अध्यक्ष पद के लिए आगे किया गया है। मुनगंटीवार की तगड़ी पकड़ को चुनौती देने के लिए जोरगेवार ने भी अपने समर्थकों के साथ मुंबई कूच कर लिया है।
‘शक्ति प्रदर्शन’ की राजनीति: नेताओं की बैठकें और ‘बैकडोर डिप्लोमेसी’
बीते शनिवार को मुनगंटीवार ने नागपुर में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी से मुलाकात की। आधिकारिक तौर पर यह बैठक ‘विकास कार्यों’ को लेकर थी, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इसमें चंद्रपुर के संगठनात्मक मुद्दों पर भी बातचीत हुई। यह दर्शाता है कि मुनगंटीवार अपने गुट की स्थिति मज़बूत करने के लिए हर राजनीतिक पत्ता खेल रहे हैं।लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इसमें चंद्रपुर के संगठनात्मक मुद्दों पर भी बातचीत हुई।
कौन होगा अध्यक्ष? – संभावित नामों पर मंथन:
मुनगंटीवार गुट:
मुख्य नाम: राहुल पावडे
संभावित विकल्प: राजेंद्र गांधी, प्रमोद कडू
जोरगेवार गुट:
मुख्य नाम: सुभाष कासनगोट्टवार
संभावित चर्चा: मनोज पॉल, दशरथसिंह ठाकूर
गुटबाज़ी बनाम चुनावी मजबूती
भाजपा को आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में मजबूत प्रदर्शन करना है, लेकिन अगर संगठन के भीतर गुटबाज़ी इसी तरह बनी रही, तो इसका असर न केवल उम्मीदवारों की छवि पर पड़ेगा, बल्कि भाजपा की पकड़ भी कमजोर हो सकती है। चंद्रपुर जैसे मजबूत किले में यह अंदरूनी संघर्ष पार्टी के लिए चेतावनी की घंटी है।
यह सिर्फ चंद्रपुर की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह इस बात का संकेत भी है कि भाजपा को अपने संगठनात्मक ताने-बाने को एकजुट रखने के लिए गंभीर प्रयास करने होंगे—वरना स्थानीय निकाय चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
चंद्रपुर में भाजपा के भीतर का यह संग्राम इस बात का प्रतीक है कि राजनीति सिर्फ जनता के बीच नहीं, बल्कि संगठन के अंदर भी लड़ी जाती है। अब देखना यह है कि 23 अप्रैल को मुंबई में होने वाली बैठक इस राजनीतिक उठापटक को खत्म करती है या यह आग और भड़कती है। अगर यह विवाद सुलझा नहीं, तो यह स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं की तैयारी में भाजपा के लिए एक बड़ी रुकावट साबित हो सकता है।