पालगांव के ग्रामीणों ने अल्ट्राटेक सीमेंट कंपनी के खिलाफ सड़क मरम्मत के लिए दोबारा ठिया आंदोलन शुरू किया। जानें पूरी रिपोर्ट, चेतावनी और नेताओं की भूमिका।
फिर एक बार पालगांव में अल्ट्राटेक सीमेंट के खिलाफ ग्रामीणों का उबाल दिखाई पड़ा। सीमेंट कंपनी की वादाखिलाफी से नाराज़ ग्रामीणों को दोबारा से ठिया आंदोलन शुरू करना पड़ा। लेकिन हैरानी की बात यह है कि भाजपा के विधायक देवराव भोंगले जो पिछले, डेढ़ माह पूर्व अर्थात 5 मई को हुए आंदोलन के दौरान ग्रामीणों को सताये जाने पर बदला लेने की घोषणा करते हुए खबरें और सोशल मीडिया पर धमाकेदार गाने के साथ रिल्स बनाकर प्रचारित कर रहे थे, उन्हें आज भी ठिया आंदोलन में शामिल होना पड़ा। जबकि महाराष्ट्र और देश में भाजपा ही सत्ताधारी दल है। और तमाम तरह की एजेंसियों पर भाजपा सरकार का ही कब्जा है। ऐसे में एक सत्ताधारी दल के विधायक को ठिया आंदोलन करना पड़ रहा है, यह काफी अफसोसजनक स्थिति है। सत्ता में बैठे ‘दादा’ की बात यदि कंपनी प्रबंधन, जिला प्रशासन, राज्य सरकार और केंद्र सरकार नहीं मान रही है तो आम नागरिकों की बात को इस लोकतंत्र में अब क्या कीमत रह जाएगी ?
रास्ता न बनवाने पर भड़के ग्रामीण
अल्ट्राटेक कंपनी प्रबंधन के खिलाफ ग्रामीणों का आज गुस्सा फूट पड़ा हैं। ग्रामीण आक्रोश में हैं। इधर सत्ताधारी भाजपा के विधायक भोंगले फिर से चेता रहे हैं कि, “अबकी बार एकजुटता भारी पड़ेगी”
आंदोलन के उग्र होने की आशंका
चंद्रपुर जिले के कोरपना तहसील के पालगांव के ग्रामीणों का आक्रोश एक बार फिर फूट पड़ा है। वर्षों से खराब हालत में पड़े मुख्य सड़क की मरम्मत और डामरीकरण की मांग को लेकर अल्ट्राटेक सीमेंट कंपनी के खिलाफ अब आंदोलन और उग्र रूप लेता जा रहा है। यह सड़क, जो सीधे आवालपुर स्थित अल्ट्राटेक के प्लांट तक जाती है, न सिर्फ ग्रामीणों के लिए मुख्य मार्ग है, बल्कि कंपनी के ट्रक और भारी वाहन भी इसी रास्ते से गुजरते हैं। इसके बावजूद, कंपनी ने आज तक इस सड़क की मरम्मत को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
पिछली चेतावनी की भी उड़ाई धज्जियाँ
गौरतलब है कि 5 से 7 मई 2025 के बीच ग्रामीणों ने अल्ट्राटेक प्लांट के मुख्य द्वार पर तीन दिवसीय ठिया आंदोलन किया था। आंदोलन के दबाव में आकर कंपनी ने 30 मई तक सड़क की मरम्मत और अन्य मांगों को पूरा करने का लिखित आश्वासन दिया था। लेकिन 30 मई बीते भी लगभग एक महीना हो चुका है, और कंपनी के घमंडी प्रशासन ने एक ईंट भी नहीं हिलाई। इससे नाराज़ ग्रामीणों ने आज सुबह से दोबारा उसी स्थल पर ठिया आंदोलन छेड़ दिया है।
कड़ी चेतावनी: “अबकी बार नहीं सहेंगे”
आंदोलन स्थल से ग्रामीणों ने साफ संदेश दिया है कि “अब अल्ट्राटेक ग्रामीणों की एकजुटता की परीक्षा न ले, नहीं तो उसकी कीमत भारी पड़ेगी।” यह आंदोलन केवल सड़क की मांग नहीं, बल्कि ग्रामीण स्वाभिमान की लड़ाई बन चुका है।
नेताओं का समर्थन – लामबंदी और तेज़
ग्रामीणों की इस लड़ाई को स्थानीय नेताओं और संगठन का जबरदस्त समर्थन मिला है। मौके पर पहुंचे नेताओं ने कहा कि वे इस न्यायसंगत मांग के लिए ग्रामीणों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। भाजपा के जिला महामंत्री विवेक बोढे, तालुकाध्यक्ष संजय मुसळे, तालुका महामंत्री सतीश उपलेंचवार, सरपंच अरुण रागीट, सहित कई जनप्रतिनिधि और ग्रामीण नेता आंदोलन में शामिल हुए।
ग्राउंड रिपोर्ट से झलक
गांव की महिलाएं, बुजुर्ग और युवा – सभी हाथों में तख्तियां लिए शांतिपूर्ण पर दृढ़ आंदोलन में डटे हैं। कोई नारेबाज़ी नहीं, सिर्फ एक मांग – “हमें हमारा रास्ता चाहिए!” अल्ट्राटेक को अब जल्द से जल्द ठोस कार्रवाई करनी होगी, वरना पालगांव के ग्रामीणों की एकजुटता उसे भारी नुकसान पहुँचा सकती है – साख से लेकर संचालन तक।
