देश के करोड़ों गरीब और दृष्टिबाधित नागरिकों को राहत देने के उद्देश्य से संसद में एक अहम मुद्दा गूंजा। सार्वजनिक स्वास्थ्य की तात्कालिक आवश्यकता और लाखों मरीजों की मजबूरी को देखते हुए नेत्र उपकरणों पर लगने वाले 7.5-10% सीमा शुल्क और 12% जीएसटी को खत्म करने की मांग केंद्र सरकार से जोर पकड़ रही है।
महाराष्ट्र की सांसद प्रतिभा धानोरकर के नेतृत्व में एक उच्च-स्तरीय शिष्टमंडल ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन से मुलाकात कर इस मुद्दे पर तत्काल कार्रवाई की मांग की। इस शिष्टमंडल में सांसद डॉ. शिवाजी कालगे, डॉ. शोभा बचाव, प्रा. वर्षा गायकवाड, डॉ. कल्याण काले और बल वंत वानखेडे भी शामिल थे।
नेत्र उपकरण महंगे होने से गरीब मरीज बेहाल
सांसद प्रतिभा धानोरकर ने वित्त मंत्री को लिखे पत्र में कहा कि ऑल इंडिया ऑप्थल्मोलॉजिकल सोसायटी (AIOS) की रिपोर्ट के अनुसार, करों के पुनः लागू होने से नेत्र उपकरणों की कीमतें बेतहाशा बढ़ गई हैं। इस वजह से गरीब और ज़रूरतमंद मरीजों के लिए आंखों का इलाज करवाना मुश्किल हो गया है।
देश में करोड़ों लोग दृष्टिदोष और अंधत्व जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिनमें से अधिकांश आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हैं। वर्तमान टैक्स संरचना के कारण धर्मादाय संस्थाओं और सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठनों को भी मुफ्त या सब्सिडी पर सेवाएं देने में भारी कठिनाइयाँ झेलनी पड़ रही हैं।
धानोरकर ने यह भी याद दिलाया कि सरकार ने पहले नोटिफिकेशन 69/93-CE के तहत ऐसे उपकरणों को कर छूट दी थी। इस छूट को फिर से लागू करने से राष्ट्रीय अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम और विजन 2030 जैसे राष्ट्रीय अभियानों को मजबूती मिलेगी।
78 लाख पेंशनर्स की भी मांग – ‘ससम्मान जीवन के लिए तात्कालिक कदम उठाए जाएं’
इसी मुलाकात में ईपीएस (कर्मचारी पेंशन योजना) के तहत सार्वजनिक, सहकारी और निजी क्षेत्र के लगभग 78 लाख पेंशनधारकों की मांगों को भी केंद्र के सामने रखा गया। शिष्टमंडल ने वित्त मंत्री से अपील की कि इन पेंशनर्स के जीवन-स्तर को सम्मानजनक बनाने के लिए उनकी समस्याओं का तुरंत समाधान किया जाए।
क्यों अहम है यह मांग?
- आंखों की बीमारियों का बढ़ता बोझ: भारत में अंधत्व और दृष्टिदोष के मरीजों की संख्या विश्व में सबसे अधिक है।
- मुफ्त सेवा में बाधा: टैक्स बोझ के कारण एनजीओ और धर्मादाय संस्थाएं बड़े पैमाने पर आंखों की मुफ्त जांच और ऑपरेशन नहीं कर पा रही हैं।
- राष्ट्रीय अभियानों को बूस्ट: टैक्स छूट से विजन 2030 जैसे अभियान को नई गति मिलेगी।
- पेंशनर्स की कठिनाई: 78 लाख से अधिक पेंशनर्स महंगाई से जूझ रहे हैं; पेंशन वृद्धि या राहत पैकेज की मांग लंबे समय से लंबित है।
सांसदों की इस पहल से उम्मीद जताई जा रही है कि आगामी बजट या कैबिनेट बैठक में इन दोनों मुद्दों पर बड़ा फैसला हो सकता है। यदि टैक्स छूट मिलती है, तो देशभर के नेत्र मरीजों के इलाज का खर्च 20-25% तक कम हो सकता है। वहीं पेंशनर्स के लिए राहत पैकेज घोषित होने की भी अटकलें हैं।
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