भद्रावती और चंद्रपुर तालुका के 9 गांव होंगे प्रभावित, 30 मई को होगी सार्वजनिक सुनवाई – पर्यावरण प्रेमियों और स्थानीय निवासियों में मचा हड़कंप
चंद्रपुर जिले में एक बार फिर पर्यावरण और विकास के टकराव ने जोर पकड़ लिया है। नागपुर की निजी कंपनी मे. मिलीयन स्टील्स प्रा. लि. द्वारा प्रस्तावित विशाल स्टील प्लांट और 30 मेगावाट पावर प्रोजेक्ट को लेकर क्षेत्र में तनाव की स्थिति बनी हुई है। यह परियोजना भद्रावती तालुका के मौजा मुर्सा और चंद्रपुर तालुका के मौजा बेलसनी में फैलाई जा रही है, जिससे आसपास के 9 गांवों पर सीधा प्रभाव पड़ने वाला है। यह परियोजना जहां एक ओर औद्योगिक निवेश, रोजगार और विकास का सपना दिखा रही है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय ग्रामीणों, किसान संगठनों और पर्यावरण प्रेमियों के मन में चिंता, भय और गुस्से की लहर दौड़ा रही है।
क्या है प्रस्तावित परियोजना?
स्पॉंज आयरन उत्पादन: 2,31,000 टन/वर्ष – 2X350 टन/दिन की डीआरआई किल्न से
स्टील मेल्टिंग शॉप: 2,64,000 टन/वर्ष – 4 प्रवर्तन भट्टियाँ और अन्य मशीनरी
बिलेट्स और रोल्ड प्रोडक्ट्स का निर्माण: 1,32,000 टन/वर्ष
टीएमटी बार्स, वायर्स, एंगल्स, बीम्स, चैनल्स का उत्पादन
30 मेगावाट पावर प्लांट:
20 मेगावाट – WHRB (Waste Heat Recovery Boiler)
10 मेगावाट – AFBC (Atmospheric Fluidized Bed Combustion)
इन गांवों पर पड़ेगा प्रभाव
परियोजना के कारण निम्नलिखित गांव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होंगे:
भद्रावती तालुका – मुर्सा
चंद्रपुर तालुका – सोनेगांव, बेलसनी, शेणगांव, येरुर, म्हातारदेवी, ताडाली, ऊसगांव और वढा
इन क्षेत्रों के पर्यावरण, खेती, जलस्त्रोत, वन क्षेत्र, जैव विविधता और मानवीय जीवनशैली पर भारी असर पड़ सकता है। स्थानीय निवासियों और पर्यावरण विशेषज्ञों की चिंता यह है कि इस प्रोजेक्ट से प्रदूषण स्तर में भारी वृद्धि हो सकती है।
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि इस परियोजना से:
जलस्त्रोतों पर दबाव बढ़ेगा
खेती योग्य भूमि बर्बाद होगी
प्रदूषण का स्तर कई गुना बढ़ सकता है
जैव विविधता को भारी क्षति पहुंचेगी
विस्थापन और स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा मंडराएगा
जनसुनवाई कब और कहां?
महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के तहत 30 मई 2025 को सुबह 11:00 बजे जनसुनवाई आयोजित की जाएगी।
📍 स्थान:
सर्वे नं. 379 से लेकर 393 तक, मौजा बेलसनी, ता. जि. चंद्रपुर
क्या कहती है ज़मीनी हकीकत?
चंद्रपुर जिला पहले से ही तापीय और औद्योगिक प्रदूषण का केंद्र रहा है, और इस नए प्रोजेक्ट से समस्या और गहराने की आशंका है।
ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यावरणीय रिपोर्ट्स और CSR वादों पर अमल की निगरानी कमजोर पाई जाती है।
स्थानीय लोगों को आशंका है कि इस प्रोजेक्ट का लाभ कुछ हाथों तक सीमित रह जाएगा, जबकि नुकसान पूरे इलाके को भुगतना होगा।
विकास बनाम जीवन – फैसला जनता करेगी
30 मई की जनसुनवाई सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि यह उन गांवों के लिए भविष्य का फैसला करने वाली घड़ी है। क्या लोग अपने जंगल, पानी, ज़मीन और हवा की रक्षा के लिए खड़े होंगे, या फिर ‘विकास’ की आंधी में उनकी आवाजें दब जाएंगी? आपकी एक आवाज़ — गांवों की रक्षा बन सकती है!
यह सुनवाई न केवल एक कानूनी प्रक्रिया है, बल्कि स्थानीय जनता को उनके भविष्य से जुड़ी सबसे अहम लड़ाई लड़ने का अवसर भी है।
यह प्रोजेक्ट एक ओर औद्योगिक विकास और रोजगार के अवसर ला सकता है, वहीं दूसरी ओर यह पर्यावरणीय संकट और सामाजिक असंतुलन की आशंका भी बढ़ा रहा है। अब यह देखना होगा कि 30 मई को होने वाली जनसुनवाई में कौन-सी आवाजें बुलंद होती हैं — विकास की या संरक्षण की।
