इस बार का लोकसभा चुनाव चंद्रपुर निर्वाचन क्षेत्र के लिए शुरुआत से ही चुनौतियों व चर्चाओं से भरा रहा। आज जब देर शाम तक मतगणना के बाद चुनावी नतीजे घोषित हुए सर्वत्र इसी की चर्चा रही। महाराष्ट्र के दिग्गज मंत्री व BJP के वरिष्ठ नेता Sudhir Mungantiwar को बेहद करारी हार का सामना करना पड़ा। विकास पुरुष के रूप में BJP के कार्यकर्ताओं ने बरसों से मुनगंटीवार की छवि बनाने में जो मेहनत की, वह आज धरी की धरी रह गई। उल्लेखनीय है कि भाजपा प्रत्याशी सुधीर मुनगंटीवार की 2 लाख 60 हजार 406 वोटों से करारी हार हुई। वहीं Congress प्रत्याशी Pratibha Dhanorkar ने 7 लाख 18 हजार 410 वोट लेकर जीत की सरताज बनीं। हैरत की बात है कि इस चुनावी रण में विकास पुरुष बुरी तरह से ढेर हो गए।
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अपने गढ़ बल्लारपुर में भी पटखनी खा गए मुनगंटीवार
चंद्रपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में कुल 6 विधानसभाओं का समावेश हैं। इनमें राजुरा, चंद्रपुर, बल्लारपुर, वरोरा, वणी तथा आर्णी शामिल हैं। लोकसभा चुनावों के परिणामों में जहां कांग्रेस उम्मीदवार प्रतिभा धानोरकर को कुल 7,18,410 वोट मिले, वहीं भाजपा उम्मीदवार सुधीर मुनगंटीवार को महज 4,58,004 वोट ही हासिल हो पाये। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मुनगंटीवार की कर्मभूमि और भाजपा का गढ़ समझे जाने वाले बल्लारपुर-मूल-पोंभूर्णा वाली उनकी विधानसभा में ही वे जबरदस्त ढंग से पिछड़ गये। यहां धानोरकर को 1,21,652 वोट मिले, तो मुनगंटीवार केवल 73,452 वोटों पर ही सीमट गये। इन आंकड़ों से साफ होता है कि करोड़ों की विकास निधि सही जगह, सही ढंग से इस्तेमाल नहीं की जा सकीं। केवल इमारतें, सड़कें, पुल और गार्डन बनाने को लेकर सदैव राजनीतिक दल व जनता ने नाराजगी जतायी थी। अब के लोकसभा चुनावी परिणाम आने वाले विधानसभा चुनावों का बल्लारपुर विधानसभा का भी रुख बदल सकते हैं।
ईश्वर करें टिकट ही कट जाएं…
चुनावों को शुरुआती दिनों में भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि ईश्वर करें उन्हें मिली लोकसभा की टिकट ही कट जाएं। हालांकि ऐसा हुआ नहीं और मुनगंटीवार को मजबूरी में चुनाव लड़ना पड़ा। लेकिन शायद ईश्वर ने ही मुनगंटीवार की सुन ली और दिल्ली जाने से उन्हें रोक दिया। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा धानोरकर को कांग्रेस की टिकट पाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी थी। जबकि शीलाजीत और भाई-बहन के संबंधों को लेकर दिये गये विवादित बयानों से भाजपा का चुनावी रथ पिछड़ गया। चंद्रपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशाल सभा के बावजूद यहां की जनता पर उनका कोई जादू चल नहीं पाया। प्रचार के अंतिम दिनों में भले ही मुनगंटीवार ने यहां के निर्दलीय विधायक किशोर जोरगेवार को साथ लिया, लेकिन उनकी यंग ब्रिगेड भी जिले के युवाओं में कोई जोश नहीं भर पायी। वंचित बहुजन आघाडी से नाराज हुए उनके कैडर वोट भी कांग्रेस के ही झोली में समा गये।
चंद्रपुर की दुसरी महिला सांसद बनीं धानोरकर
चंद्रपुर लोकसभा चुनावों के इतिहास पर यदि नजर डालें तो ज्ञात होता है कि चंद्रपुर किसी समय में कांग्रेस का ही गढ़ हुआ करता था। वर्ष 1952 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के अब्दुलभाई मुल्ला ताहेराली विजय हुए थे। पश्चात वर्ष 1957 में वी.एन. स्वामी ने कांग्रेस को जीत दिलाई थी। लेकिन वर्ष 1962 में निर्दलीय उम्मीदवार लाल श्यामशाह लाल भगवान शाह ने चुनाव जीता। इसके बाद वर्ष 1967 एवं 1977 का अपवाद छोड़ दें तो चंद्रपुर ने कांग्रेस के सांसद को ही दिल्ली भेजा है। परंतु भाजपा के हंसराज अहीर ने वर्ष 1996 में कांग्रेस को हराकर जीत हासिल की। पश्चात कांग्रेस ने कमबैक किया और नरेश पुगलिया विजयी रहे। वर्ष 2004 में भाजपा नेता हंसराज अहिर ने फिर से बाजी मार ली। अहिर लगातार तीन टर्म तक चुने गये। गत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता बालू धानोरकर ने उन्हें हराकर जीत हासिल की। लेकिन बीमारी के चलते उनका देहांत हो गया। अब उनकी पत्नी प्रतिभा धानोरकर ने कांग्रेस की टिकट पर फिर से चुनाव जीतकर 2 नये कीर्तिमान रच दिये। एक तो चंद्रपुर से महिला सांसद होने का बहुमान हासिल किया और मंत्री मुनगंटीवार को ढ़ाई लाख से अधिक वोटों से हराकर नया इतिहास भी रच दिया।