“वोट चोर गद्दी छोड़” अभियान की शुरुआत नागपुर से, बिहार से उठी चर्चा महाराष्ट्र तक गरमाई
लोकसभा में पिछले एक महीने से बिहार में एसआईआर (SIR) और मतचोरी के मुद्दे पर चर्चा की मांग उठ रही है, लेकिन केंद्र सरकार इस पर कोई स्पष्ट रुख दिखाने को तैयार नहीं है। कांग्रेस सांसद प्रतिभा धानोरकर ने कहा कि विपक्ष लगातार “वोट चोर गद्दी छोड़” के नारे लगाकर सरकार को सचेत कर रहा है, लेकिन सत्ता पक्ष सुनने को तैयार नहीं है।
कामठी (महाराष्ट्र) से कांग्रेस ने इस आंदोलन को संगठित रूप दिया है। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर चौक से पदयात्रा निकालते हुए कृषी उत्पन्न बाजार समिति परिसर में मेळावा आयोजित किया गया, जहां धानोरकर ने सरकार पर तीखा प्रहार किया।
राहुल गांधी के आरोप और पृष्ठभूमि
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सबसे पहले बिहार और महाराष्ट्र की विधानसभा सीटों पर मतचोरी का आरोप उठाया था। उन्होंने कामठी विधानसभा क्षेत्र का उदाहरण देकर चुनाव आयोग और भाजपा पर मिलीभगत का गंभीर आरोप लगाया था। इसके बाद कर्नाटक के महादेवपुरा क्षेत्र की मतचोरी का प्रेजेंटेशन भी उन्होंने सार्वजनिक किया।
अब राहुल गांधी बिहार में “वोटाधिकार यात्रा” निकाल रहे हैं, जिसे जनता से अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है। कांग्रेस ने तय किया है कि इस मुद्दे को देशव्यापी आंदोलन का रूप दिया जाएगा ताकि भाजपा और चुनाव आयोग की कथित साठगांठ को उजागर किया जा सके।
महाराष्ट्र में कांग्रेस की रणनिति
प्रदेश कांग्रेस ने नागपुर ज़िले के कामठी से अपने अभियान की शुरुआत की है। 3 सितंबर को यहां एक बड़ी जनसभा आयोजित की जाएगी। पार्टी ने योजना बनाई है कि विभागीय और जिला स्तर पर सभाएँ, मशाल यात्राएँ और हस्ताक्षर अभियान चलाकर “वोट चोर गद्दी छोड़” का नारा घर-घर तक पहुँचाया जाए।
मतदाता सूची और संदेह
चुनावी आँकड़े भी कांग्रेस के आरोपों को बल दे रहे हैं। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कामठी में 35 हज़ार मतदाता जोड़े गए, जिनमें से 12 हज़ार सिर्फ तीन दिनों में बढ़ने का आरोप पराजित उम्मीदवार सुरेश भोयर ने लगाया था।
महाराष्ट्र में 2019 विधानसभा और 2024 लोकसभा चुनावों के बीच 32 लाख नए मतदाता जुड़े। लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव और महज पाँच महीने बाद हुए विधानसभा चुनावों के बीच 39 लाख मतदाता अचानक सूची में शामिल हो गए।
राहुल गांधी ने सवाल उठाया कि राज्य की कुल जनसंख्या से अधिक मतदाता आखिर कैसे बन सकते हैं? और चुनाव आयोग इन आरोपों पर मौन क्यों है?
कांग्रेस ने अब इस मुद्दे को केवल चुनावी आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित न रखकर एक आंदोलन का रूप दे दिया है। बिहार से उठी बहस महाराष्ट्र तक पहुँच चुकी है। आने वाले दिनों में “वोट चोर गद्दी छोड़” नारे के सहारे कांग्रेस भाजपा सरकार और चुनाव आयोग पर दबाव बनाने की रणनीति आगे बढ़ाएगी।
